Bihar Caste Census: पटना HC के फैसले पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, सरकार बोली- हमने गणना पूरी कर ली..
Friday, Aug 18, 2023-05:01 PM (IST)

पटनाः बिहार में जाति आधारित गणना के खिलाफ पटना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर किसी भी तरह की रोक लगाने से मना कर दिया है। जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच में बिहार सरकार ने कहा कि हमने गणना पूरी कर ली। वहीं जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि दो-तीन कानूनी पहलू हैं। उनपर नोटिस जारी करने से पहले दोनों पक्ष की दलील सुनेंगे, फिर निर्णय करेंगे।
सर्वे का डेटा सार्वजनिक करने पर रोक लगाने की मांग
हालांकि जस्टिस खन्ना ने कहा कि निजी आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं होते। आंकड़ों का विश्लेषण ही जारी किया जाता है। इस पर बिहार सरकार की तरफ से कहा गया कि डेटा दो तरह के है- एक व्यक्तिगत डेटा जो सार्वजनिक नहीं किया जा सकता क्योंकि निजता का सवाल है जबकि दूसरा आंकड़ों का विश्लेषण, जिसका एनालिसिस किया जा सकता है जिससे बड़ी पिक्चर सामने आती है। वहीं याचिकाकर्ताओं ने जातिगत सर्वे का डेटा सार्वजनिक करने पर रोक लगाने की मांग की। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम अभी रोक नहीं लगाएंगे। एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि कानून का होना जरूरी है। कार्यकारी आदेश से यह नहीं किया जा सकता। किसी को कोई कारण नहीं बताया गया और न ही सूचित किया गया। उन्होंने कहा कि निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जा सकता, किसी वैध उद्देश्य वाले निष्पक्ष और उचित कानून के अलावा इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है और तो और यह कार्यकारी आदेश के जरिए नहीं किया जा सकता। बिहार सरकार के वकील ने कहा कि सर्वे 6 अगस्त तक पूरा हो गया है और 12 अगस्त को डाटा अपलोड कर दिया गया।
21 अगस्त को होगी सुनवाई
कोर्ट ने कहा सर्वे का डेटा सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का निजता के अधिकार से जुड़े फैसले के मुताबिक यह निजता का हनन होगा। इसपर बिहार सरकार के वकील ने कहा कि हम डेटा सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट बिहार सरकार के सर्वे का डाटा सार्वजनिक ना किए जाने की मांग वाली याचिका पर 21 अगस्त को सुनवाई करेगा। वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा पुट्टास्वामी फैसले में कहा गया है कि गोपनीयता का उल्लंघन केवल वैध उद्देश्य के साथ निष्पक्ष और उचित कानून पर ही किया जा सकता है। यह कोई संवैधानिक आदेश नहीं था, यह एक प्रशासनिक आदेश था। बिहार सरकार ने जातिगत सर्वेक्षण केवल एक कार्यकारी आदेश के आधार पर किया, जो नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि पुट्टस्वामी फैसले के अनुरूप एक कानून की आवश्यकता है। हमारे इस तर्क को हाईकोर्ट ने सरसरी तौर पर खारिज कर दिया था।