RJD विधायक के फिर बिगड़े बोल, भगवान राम को बताया काल्पनिक पात्र, कहा- बौद्ध भिक्षुओं के खून से रंगी हैं अयोध्या
Thursday, Jan 11, 2024-12:41 PM (IST)

जमुई( अभिषेक कुमार सिंह): राजद विधायक फतेह बहादुर (Fateh Bahadur) ने एक बार फिर भगवान श्रीराम (Lord Shri Ram) और अयोध्या को लेकर विवादित बयान दिया है। जमुई में एक कार्यकर्ता सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे राजद विधायक फतेह बहादुर ने कहा कि अयोध्या का निर्माण बौद्ध भिक्षुओं के सिर काटकर किया गया है, जिसकी गवाह सरयू नदी है।
"भगवान राम महज एक काल्पनिक पात्र"
फतेह बहादुर ने कहा कि पहले इसका नाम साकेत हुआ करता था, लेकिन जब राजा बृहद्रथ की हत्या पुष्यमित्र शुंग ने कर दी, इस दौरान लाखों बौद्ध भिक्षुओं की हत्या कर दी गई थी। तब सरयू नदी खून से लाल हो गई थी। इस दौरान ही उसका नाम बदलकर साकेत से अयोध्या कर दिया गया। लाखों बौद्ध भिक्षुओं की हत्या कर दी गई। सरयू नदी आज भी इसका गवाह है। उन्होंने कहा कि लाखों बौद्ध भिक्षुओं के सर काटे गए थे, इसी कारण उस नदी का नाम सरयू नदी भी पड़ा है। इतना ही नहीं उन्होंने भगवान राम के अस्तित्व पर फिर से सवाल उठाते हुए कहा कि भगवान राम महज एक काल्पनिक पात्र हैं। उन्होंने कहा कि यह मैं नहीं कहता बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने एक अपने आदेश में यह कहा था। इस दौरान जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने मंदिर को गुलामी का रास्ता बताया है।तब उन्होंने कहा कि जो लोग इसे मेरा कहा हुआ कथन समझ रहे हैं वह लोग इस देश में मनुवाद फैलाना चाहते हैं। यह बात सावित्री बाई फुले और डॉ. भीमराव अंबेडकर भी कह चुके हैं।
"यह लोग मनुवाद फैलाना चाहते हैं"
राजद विधायक ने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि शिक्षा शेरनी का वह दूध है इसे जो पी लेगा वह दहाड़ेगा। इसी बात को मैंने कहा है...पर कुछ लोग इसे अलग तरीके से बता रहे हैं। यह लोग मनुवाद फैलाना चाहते हैं और आम लोगों के हाथों में त्रिशूल और तलवार देना चाहते हैं, जबकि हम लोगों के हाथों में कलम और किताब देने की बात करते हैं। राजद विधायक यही नहीं रुके उन्होंने यह तक कह दिया कि भगवान श्री राम से पहले गौतम बुद्ध इस धरती पर आए थे। उन्होंने कहा कि वाल्मीकि रामायण के सर्ग संख्या 109, चौपाई संख्या 134 में भी एक जगह पर लिखा हुआ है तथागत बुद्ध और उनके अनुयायियों के साथ वही दंड मिलना चाहिए, को चोर को मिलता है। अब अगर वाल्मीकि रामायण में बुद्ध का उल्लेख किया गया है, जिससे यह पता चलता है कि पहले गौतम बुद्ध आए थे।
"मंदिरों में कोई शक्ति नहीं"
लालू के विधायक ने कहा कि रामायण या रामचरितमानस 14वीं से 15वीं शताब्दी में लिखी गई थी, जबकि बुद्ध का अस्तित्व उससे भी पुराना है। उन्होंने इस दौरान और भी कई विवादित बयान दिए। उन्होंने कहा कि अगर मंदिर बनने से ही सब कुछ हो जाता तो राजद के नेता के द्वारा जब रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया गया तो उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आपको पुलिस थाना में जाने की जरूरत नहीं थी, आप मंदिर में जाकर प्राथमिक की दर्ज करवा देते। आपने यह साबित कर दिया कि मंदिरों में कोई शक्ति नहीं है। लोग कहते हैं कि 22 जनवरी को भगवान राम में प्राण डाला जाएगा, तो इसका मतलब है कि इससे पहले भगवान राम प्राणहीन थे।