भू-अर्जन को लेकर नीतीश सरकार का नया प्लान, आमलोगों की परेशानियों को ऐसे दूर करेगी सरकार
Tuesday, Jan 28, 2025-05:51 PM (IST)
Bihar News: भू-अर्जन के काम में आमलोगों की चिंताओं को परियोजना स्थल पर जाकर समझने और उनका निराकरण करने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने नया निदेश जारी किया है। भूमि अर्जन की प्रक्रिया के दौरान सामाजिक प्रभाव आकलन का कार्य पूरी गंभीरता के साथ किया जाएगा। इस दौरान आयोजित होने वाली जन-सुनवाई में जिला भू-अर्जन पदाधिकारी खुद या उनका प्रतिनिधि निश्चित रूप से उपस्थित रहेंगे। भू-अर्जन निदेशक कमलेश कुमार सिंह ने इस संबंध में सभी समाहर्ताओं को पत्र लिखा है।
भू-अर्जन निदेशालय को शिकायत मिली थी कि भूमि अधिग्रहण के मामलों में सामाजिक प्रभाव आकलन यानि एसआईए कार्य निर्धारित समय सीमा में नहीं हो पा रहा है। भू-अर्जन पदाधिकारी या उनके प्रतिनिधि की अनुपस्थिति से एसआईए प्रतिनिधियों को परियोजना से संबंधित कई प्रश्नों का उत्तर देने में परेशानी होती है। परियोजना के ससमय पूरा होने में भी इन बातों से बुरा असर होता है। सामाजिक प्रभाव आकलन वार्ड या ग्राम स्तर पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के परामर्श और उनकी उपस्थिति में निर्धारित तिथि और स्थल पर किया जाता है, जिसमें इस तथ्य की जांच की जाती है कि प्रस्तावित अर्जन से लोक प्रयोजन पूरा हो रहा है या नहीं? इसमें जमीन हासिल करने वाला संस्थान, जिला भू-अर्जन कार्यालय के अधिकारी और अर्जन से प्रभावित रैयत उपस्थित रहते हैं। इसमें विस्थापित होने वाले लोगों और उनके पुनर्वास के बारे में भी विस्तार से चर्चा की जाती है और विशेषज्ञ समूह को रिपोर्ट सौंपी जाती है।
5 संस्थाओं को सौंपी गई जिम्मेदारी
बिहार में 5 संस्थाओं को सामाजिक प्रभाव आकलन की जिम्मेदारी दी गई है। ये सभी संस्थाएं पटना में अवस्थित हैं। इनके नाम हैं ए.एन. सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान, एल.एन. मिश्रा आर्थिक अध्ययन एवं सामाजिक परिवर्तन संस्थान, चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान, विकास प्रबंधन संस्थान एवं आद्री। हरेक परियोजना के शुरू होने के साथ उनके सामाजिक प्रभाव आकलन के लिए इन्हीं 5 संस्थानों से प्रस्ताव मंगाए जाते हैं और जिनका प्रस्ताव न्यूनतम होता है उसे एसआईए करने की जिम्मेदारी दी जाती है।
सभी प्रक्रियाओं को सुगम बनाने की आवश्यकताः मंत्री
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने भू-अर्जन से संबंधित सभी प्रक्रियाओं को सरल, सहज और आम लोगों के लिए सुगम बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 2013 के भू-अर्जन अधिनियम में सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन का विशेष महत्व है। शिविर में भू अर्जन अधिकारियों की उपस्थिति से लोगों की चिंताओं से अवगत होने में प्रशासन को मदद मिलेगी।