''सरकार बनते ही 1 घंटे में हटा दी जाएगी शराबबंदी'', प्रशांत किशोर बोले- बिहार विधानसभा की सभी 243 सीट पर लड़ेंगे चुनाव

Friday, Sep 13, 2024-11:24 AM (IST)

पूर्णिया: राजनीतिक रणनीतिकार की भूमिका से स्वयं राजनेता की भूमिका में आए प्रशांत किशोर ने गुरुवार को कहा कि ‘जन सुराज' एक महीने से भी कम समय में राजनीतिक पार्टी बनने जा रही है और आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीट पर चुनाव लड़ेगी। 

"जन सुराज सभी 243 सीट पर चुनाव लड़ेगी"
पूर्णिया जिले में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि राज्य में कम से कम एक करोड़ लोगों के सक्रिय समर्थन से पार्टी का गठन दो अक्टूबर को किया जाएगा और इसे किसी से गठबंधन करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्पष्ट कर दूं कि जन सुराज सभी 243 सीट पर चुनाव लड़ेगी, इससे एक भी कम नहीं।'' इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आईपीएसी) के संस्थापक किशोर पूर्व में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल जैसे विभिन्न नेताओं के चुनाव अभियानों को संभाल चुके हैं। उन्होंने बिहार में शराबबंदी कानून के बारे में कहा कि पार्टी की सरकार बनने के एक घंटे के भीतर प्रदेश से शराब पर लगी रोक हटा दी जाएगी। 

"शराबबंदी दिखावा के अलावा और कुछ नहीं​​​​​​"
बिहार में शराबबंदी कानून के आलोचक रहे आईपीएसी संस्थापक ने आरोप लगाया कि यह नीतीश कुमार की ओर से दिखावा के अलावा और कुछ नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस कानून ने शराब की अवैध ‘होम डिलीवरी' के लिए रास्ता साफ किया। इस कानून के जरिए राज्य को आबकारी शुल्क के माध्यम से अर्जित होने वाले 20,000 करोड़ रुपये से वंचित किया जा रहा है। इसकी आड़ में नेता और नौकरशाह अपनी हिस्सेदारी पा रहे हैं। किशोर ने कहा कि वह ‘‘योग्यता की राजनीति'' में विश्वास रखते हैं और अन्य दलों के उलट शराबबंदी के खिलाफ बोलने से नहीं कतराएंगे। उन्होंने कहा कि अन्य दलों को शराबबंदी का विरोध करने पर महिला मतदाताओं के मत खोने का डर है। 

किशोर ने कहा कि बिहार की दुर्दशा के लिए वह नीतीश कुमार और उनके पूर्ववर्ती लालू प्रसाद को मुख्य रूप से जिम्मेदार मानते हैं, हालांकि कांग्रेस और भाजपा भी इसमें दोषी हैं। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कांग्रेस ने लालू प्रसाद के गलत कार्यो के प्रति आंखें मूंद लीं क्योंकि उनकी राजद पिछली संप्रग सरकार की अहम सहयोगी थी। इससे उन्हें सत्ता में बने रहने में मदद मिली, हालांकि राजद के पास कभी भी विधानसभा में बहुमत नहीं था।''


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Ramanjot

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