जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल: बेगूसराय में बनी फिल्म "प्रत्यक्षा" को मिला बेस्ट ऑरिजिनल स्क्रीनप्ले अवार्ड

3/26/2024 12:23:25 PM

बेगूसराय: 16वें जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के द्वारा बेगूसराय में सर्व सिद्धि फिल्म्स के बैनर तले बनी हिंदी फीचर फिल्म "प्रत्यक्षा" को बेस्ट ऑरिजिनल स्क्रीनप्ले अवार्ड मिला है। यह फुल लेंथ फीचर फिल्म है जिसकी कुल अवधि 1:23:58 सेकेंड है। इस फिल्म के निर्माता विवेकानंद हैं। यह अवार्ड बेगूसराय, बिहार में पहली बार किसी स्किप्ट राइटर को मिला है। इस फिल्म की सबसे खास बात यह है कि इस फिल्म में अभिनेता, अभिनेत्री, लेखक और निर्देशक सभी बेगूसराय के ही हैं। साथ ही इस पूरी फिल्म की शूटिंग बेगूसराय आई टी आई, लभरचक रामदीरी में हुई थी। 

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'प्रत्यक्षा' एक ऑफबीट और प्रयोगात्मक फिल्म है। जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल विश्व की बिगेस्ट इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में से एक है। इस फिल्म फेस्टिवल में विभिन्न देशों से भारत को मिलाकर, कुल 84 देशों से 2971 फिल्में आई थीं जिसमें 101 फीचर फिल्में आईं विभिन्न भाषाओं में, जिसको 12 देशों से आए 19 जुरी सदस्यों चुनी थीं, उन्हीं चुनी गई फिल्मों में से फीचर फिक्शन(कॉम्पिटिशन कैटोगरी) में बेगूसराय में बनी फिल्म "प्रत्यक्षा" को पहले नॉमिनेट किया गया और 25 जनवरी 2024 को अवार्ड की विधिवत घोषणा की गई थी एवं बेगूसराय में बनी फिल्म प्रत्यक्षा के लिए, प्रत्यक्षा के स्क्रीप्ट राईटर प्रद्योत कुमार को बेस्ट मूल स्क्रीनप्ले का अवार्ड जिफ (JIFF) के द्वारा दिया गया। इस फिल्म के निर्देशक पंकज कुमार, लेखक प्रद्योत कुमार,अभिनेता विवेक आनंद, अभिनेत्री श्वेता कश्यप और डीओपी संतोष मीठबावकर सभी के बीच में एक नया उत्साह और खुशी की लहर फैल सी गई है। 

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फिल्म के निर्देशक ने कहा- सचमुच यह बेगूसराय और बिहार के लिए गर्व की बात है। इस फिल्म की कथानक कुछ इस प्रकार हैं; प्रत्यक्षा देश के मशहूर बिजनेसमैन मुकेश लुम्बानी की इकलौती संतान है जो बहुत ही पढ़ी- लिखी, ज्ञानी, समझदार, विद्वान, जज़्बाती और ज़िद्दी लड़की है। प्रत्यक्षा अपने जीवन को संघर्ष और मर्यादा के बीच जीने वाली स्वाभिमानी और संवेदनशील लड़की है। इस कहानी में प्रत्यक्षा संपूर्ण स्त्री, लड़की की समस्याओं का प्रतिनिधित्व करती है क्योंकि पूरे भारत ही नहीं बल्कि सारे विश्व की लड़कियां, औरतें आज भी पुरुषवादी मानसिकता के कारण मानसिक गुलामी झेलने को विवश हैं, अलग-अलग जगहों पर तरीके अलग हो सकते हैं पर नतीजा एक ही है। लड़कियां, औरतें आज तक अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रही हैं पुरुषवादी मानसिकता के खिलाफ। स्त्री कर्म और धर्म के बीच चलने वाली एक संस्कृति है और वहीं दूसरी ओर कई कालखंडों से पुरुषवादी मानसिकता में उलझी हुई एक संस्कार है। इसी संस्कृति और संस्कार के बीच के संघर्ष और मर्यादा की कहानी है "प्रत्यक्षा"। इस फिल्म में जीवन के हर एक मनोभावों की शिखरता को दर्शक बखूबी महसूस करेंगे।इस फिल्म के दूसरे पहलू में इस फिल्म की नायिका जीवन की तमाम विरक्तियों को झेलते-झेलते मृत्यु की वकालत करती है तो दूसरी ओर फिल्म का नायक विवस्वान सकारात्मक सोच के समाधान के साथ जीवन की वकालत करता है यानि जीवन और मृत्यु के संघर्ष के कहानी है प्रत्यक्षा।

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बताते चलें कि इस पूरी फिल्म में सिर्फ तीन ही कलाकार हैं। इस फिल्म से श्वेता कश्यप डेव्यू कर रही हैं, श्वेता कश्यप बहुत ही बेतरीन अदाकारा हैं जो साहेबपुरकमाल प्रखंड के फुलमलिक गाव की निवासी हैं। वहीं एक्टर विवेक आनंद बॉलीवुड में काफी काम कर चुके हैं और कर रहे हैं जो भगवानपुर प्रखंड में मानोपुर के निवासी हैं एवं सचिन कुमार बेगूसराय रंगमंच के मशहूर रंगकर्मी हैं जो स्टेशन रोड बेगूसराय के निवासी हैं। इस फिल्म के लेखक प्रद्योत कुमार हैं, जिन्होंने बॉलीवुड के लिए टेली फिल्में, टीवी सीरियल्स लिख चुके हैं जिन्हें भारत सरकार के द्वारा स्वच्छता अभियान पर बनी कंपीटिशन कैटोगरी शॉर्ट फिल्म के लिए एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है जो लोहियानगर, बेगूसराय के निवासी हैं। इस फिल्म के निर्देशक पंकज कुमार ने काफी मशहूर टीवी सीरियल्स को निर्देशित किया है जिसमें से मुख्य हैं- साथ निभाना साथिया, ससुराल सिमर का, राजा की आएगी बारात, भाग्यलक्ष्मी, शक्ति अस्तित्व एक एहसास इत्यादि। ये भी बेगूसराय के भगवानपुर प्रखंड के मूल निवासी हैं। इस फिल्म के डीओपी सन्तोष मिठभावकर, बैकग्राउंड रिसोर्स आकाश विहान और एडिटर वरुण सिंह हैं तीनों मुंबई से हैं। इन्होंने भी भारतीय सिनेमा उद्योग के लिए काफी काम किया है और कर रहे हैं।


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Content Writer

Ramanjot

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