Basant Panchami 2025: धनबाद में बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का उल्लास, अभिजीत चटर्जी की अनूठी मूर्ति बनी आकर्षण का केंद्र

Sunday, Feb 02, 2025-02:52 PM (IST)

Basant Panchami 2025: Basant Panchami के पावन अवसर पर झारखंड (Jharkhand) के हर जिले में मां सरस्वती (Maa Saraswati) की पूजा का उल्लास देखने को मिलता है। विशेष रूप से विद्यार्थियों में इस पर्व को लेकर गजब का उत्साह रहता है, क्योंकि मां सरस्वती को विद्या, ज्ञान और कला की देवी माना जाता है। इस अवसर पर हर ओर भव्य पंडालों और आकर्षक मूर्तियों की झलक देखने को मिलती है। धनबाद जिले में भी सरस्वती पूजा का भव्य आयोजन किया जाता है। इस बार भी जिले भर में कलाकारों ने अपनी उत्कृष्ट प्रतिभा का परिचय देते हुए अद्भुत प्रतिमाओं का निर्माण किया है।

"मूर्तिकला मेरे लिए सिर्फ एक कला नहीं, बल्कि साधना है"

धनबाद के बीसीसीएल सिजुआ एरिया के वरिष्ठ अधिकारी अभिजीत चटर्जी हर साल अपनी अनोखी मूर्तिकला से भक्तों को चकित कर देते हैं। वह पिछले 50 वर्षों से मां सरस्वती की प्रतिमाएं बना रहे हैं और इस बार उन्होंने अपनी कला को एक नए स्तर तक पहुंचाया है। इस वर्ष वह मूर्तिकला में अपनी स्वर्ण जयंती (50वां वर्ष) मना रहे हैं, जिसे खास बनाने के लिए उन्होंने विशेष तैयारी की है। अभिजीत चटर्जी की इस बार की कृति बेहद अनूठी है। उन्होंने कोयला, लकड़ी का छिलका और ट्यूबलाइट जैसे अपशिष्ट सामग्री से मां सरस्वती की सुंदर प्रतिमा तैयार की है। उनकी यह कृति दर्शकों को न सिर्फ आकर्षित कर रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दे रही है। अभिजीत चटर्जी की बनाई गई अद्भुत प्रतिमा को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और कला प्रेमी उनके आवास पर पहुंच रहे हैं। उनकी यह कृति लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। अभिजीत के अनुसार, "मूर्तिकला मेरे लिए सिर्फ एक कला नहीं, बल्कि साधना है। हर साल मैं माँ सरस्वती की प्रतिमा बनाकर उन्हें समर्पित करता हूँ, और इस बार मैंने इसे और भी खास बनाने का प्रयास किया है।"

धनबाद के विभिन्न घाटों पर भक्तगण मां को विदाई देंगे

धनबाद जिले के विभिन्न हिस्सों में इस बार भव्य पंडालों का निर्माण किया गया है। पूजा समितियां विभिन्न थीम पर आधारित पंडालों को आकर्षक स्वरूप दे रही हैं। कुछ स्थानों पर मां सरस्वती की झांकियां भी सजाई जा रही हैं, जो भक्तों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। पूजा आयोजकों के अनुसार, इस बार पूजा पंडालों को पर्यावरण अनुकूल बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। कई जगहों पर बांस, कपड़े और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों से सजावट की गई है, जिससे प्लास्टिक और थर्माकोल का उपयोग कम हो सके। सरस्वती पूजा के बाद अगले दिन भव्य शोभायात्रा के साथ मां की प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा। धनबाद के विभिन्न घाटों पर भक्तगण मां को विदाई देंगे और अगले वर्ष फिर से इसी उल्लास के साथ मां सरस्वती के आगमन की कामना करेंगे।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Khushi

Related News

static