शिबू सोरेन के बीमार होने की खबर से झारखंड के लोग चिंतित, कर रहे हैं जल्द स्वस्थ होने की कामना

Sunday, Jun 29, 2025-12:53 PM (IST)

दुमका: झारखंड अलग राज्य आंदोलन के अग्रदूत 81 वर्षीय दिशोम गुरु शिबू सोरेन के अचानक बीमार होने की खबर से दुमका समेत समूचे राज्य के लोग बेहद चिंतित हैं। राज्य में मंदिर, मस्जिद और गिरजाघरों में अपने-अपने आराध्य देव से उनके शीघ्र स्वास्थ्य होने की कामना कर रहे हैं। विशेष कर संताल परगना सहित समूचा झारखंड झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन की कर्मभूमि रही है। 70 के दशक से उनका संताल परगना से गहरा नाता रहा है।

विभिन्न कारणों से शिबू सोरेन कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके
अलग झारखंड राज्य आंदोलन में लम्बे अर्से तक गुरुजी के साथ जुड़े बुजुर्ग भी उनकी सलामती की दुआ कर रहे है। इसी क्रम में सरकारी सेवा से अवकाश प्राप्त दिगम्बर मरांडी गुरु जी शिबू सोरेन के अस्वस्थ होने की खबर से बेहद चिंतित हैं और कहते हैं कि शिबू सोरेन सिर्फ नेता नहीं बल्कि सदियों से शोषित, वंचित, दबे कुचले गरीबों के आत्मा की आवाज हैं जिन्होंने हमेशा शोषितों और वंचितों की आवाज को बुलंदी दी है। पूर्ववर्ती केंद्र व राज्य सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ वे जीवन भर संघर्षरत रहे हैं। सरकार व प्रशासन की पड़ताड़ना के बावजूद गुरु जी के नेतृत्व में करीब चार दशक के लम्बे संघर्ष के बाद झारखंड को अलग राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ। अलग राज्य के लिए जीवन भर संघर्ष करने के बावजूद अलग राज्य बनने के बाद भी शिबू सोरेन को कभी भी अपने सपनों के अनुरुप कार्य करने का अवसर नहीं मिल सका। अलग झारखंड राज्य निर्माण के बाद भले ही उन्हें केन्द्र में तीन बार कोयला एवं खान मंत्री और तीन बार मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य मिला, लेकिन विभिन्न कारणों से वे कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।

बचपन में ही शिबू सोरेन के सिर से उठ गया था पिता का साया
झारखंड के रामगढ़ जिले के नेमरा नाम के एक छोटे से गांव के पिता सोबरन सोरेन और माता सोना के घर 11 जनवरी 1944 में जन्म लेने वाले शिबू सोरेन बचपन से सदैव संघर्ष की राह पर चलते रहे। करीब 81 साल के अपने सामाजिक और राजनीतिक सफर में कभी पारिवारिक उलझन तो, कभी राजनीतिक विवादों ने कभी उनका पीछा नहीं छोड़ा। बचपन में ही उनके सिर से पिता का साया उठ गया। तो कभी उफान पर रहे झारखंड आंदोलन के दौरान ही कई साथियों ने उनका साथ छोड़ दिया। बड़े पुत्र दुर्गा सोरेन के 2009 में असामयिक निधन की पीड़ा ने उन्हें झकझोर कर रख दिया था। फिर भी उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आगे बढ़ते रहे। इस तरह कभी भी उन्हें सुख चैन नसीब नहीं हुआ।

दिशोम गुरू शिबू सोरेन को अपना आदर्श मानने वाले उनके हजारों समर्थक राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करने का पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाने से आज भी मायूस हैं। उनका मानना है कि झारखंड राज्य निर्माण के 25 वर्ष बीत गये। फिर भी उनके सपनों के अनुरूप झारखंड का नव निर्माण सम्भव नहीं हो पाया है। हालांकि हाल के कुछ वर्षों से उनके द्वितीय पुत्र हेमंत सोरेन उनके आदर्श और सपनों को धरातल पर उतारने का जरुर प्रयास कर रहे हैं। जानकारों के अनुसार झामुमो के संस्थापक राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन 1980 से 2019 तक दुमका से सांसद व विधायक चुने जाते रहे हैं। इस अवधि में वे दुमका से आठ बार सांसद और एक-एक बार जामा व जामताड़ा से विधायक चुने गए। इस बीच अलग झारखंड राज्य निर्माण के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में उन्हें तीन बार केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, लेकिन वे कभी भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा।


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Khushi

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