''ओत गुरु कोल लाको बोदरा'' की 106वीं जयंती पर पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने दी श्रद्धांजलि, कहा-भारत सरकार आदिवासियों को लेकर गंभीर
Friday, Sep 20, 2024-09:01 AM (IST)
सरायकेला: वारंग क्षिति लिपि के जनक ओत गुरु लाको बोदरा की 106वीं जयंती के मौके पर सरायकेला के बड़बिल स्थित आदिवासी कला केंद्र परिसर में गुरुवार को कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने ने कोल लाको बोदरा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर अपने संबोधन में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि भारत सरकार आदिवासियों को लेकर गंभीर है। वहीं देश के गृहमंत्री अमित शाह की सराहना करते हुए कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों दिल्ली के जंतर मंतर पर "हो" भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर दिए गए धरना का संज्ञान लिया है। वहीं चंपई सोरेन ने भी पत्र लिखकर अमित शाह से "हो" भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की है। वहीं चंपई सोरेन ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी ने अलग झारखंड राज्य दिया। बीजेपी ही इस राज्य को संवार सकती है। साथ ही चंपई सोरेन ने लोगों से अपील करते हुए कहा जो आदिवासियों की भलाई के लिए सोच रखते हैं उनका साथ दिया जाए।
बता दें कि 'हो भाषा' विशेषकर झारखण्ड के सिंहभूम इलाके में बोली जाती है। झारखंड में इस भाषा को द्वितीय राज्य भाषा के रूप में शामिल किया गया है। 'हो भाषा' को लिखने के लिए वारंग क्षिति लिपि का उपयोग किया जाता है, जिसका आविष्कार ओत गुरू कोल लाको बोदरा द्वारा किया गया था। ओट कोल लाको बोदरा खुद को कोल मानते थे इसलिए उनके नाम के आगे कोल शब्द जुड़ा है