रांची विश्वविद्यालय के कुलपति की तानाशाही के खिलाफ आइसा ने किया पुतला दहन
Saturday, Jul 12, 2025-02:20 PM (IST)

रांची: झारखंड में रांची विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के मुख्य गेट पर आइसा के नेतृत्व में जेएनयू छात्रसंघ द्वारा विश्वविद्यालय की प्रवेश सहित देश के विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को बरकार रखने के लिए 26 जून से जारी भूख हड़ताल के समर्थन में एक प्रतिवाद सभा और एनपीयू कुलपति के तानाशाही फरमान के खिलाफ पुतला दहन किया गया।
इस मौके पर आइसा राज्य सचिव त्रिलोकीनाथ ने कहा, एनपीयू कुलपति छात्रों की आवाज़ को कुचलने की कोशिश कर रहा है। यह किसी भी लोकतांत्रिक संस्थान के लिए बेहद शर्मनाक है। छात्र समय पर छात्र संचालित करने, आरटीआई के तहत छात्र अपने कॉपी की मूल्यांकन को देखकर रिजल्ट में सुधार की मांग, समय छात्र संघ चुनाव करने, नियमित क्लास संचालित करने, छात्र संघ चुनाव कराने, लाइब्रेरी और हॉस्टल संचालित के साथ छात्रों की मूलभूत समस्याओं को हल करने की मांग को लेकर छात्र आवाज उठा रहे है। परंतु छात्रों की मांगों को सुनने के बजाय छात्रों पर मुकदमा करना, कैंपस से बाहर कर देने की धमकी और छात्रों में डर का का माहौल बना कैंपस में लोकतांत्रिक हमला नहीं बल्कि संवैधानिक स्वतंत्रता हमला है।
आइसा एक्टिविस्ट संजना मेहता ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय प्रशासन सहित केन्द्र सरकार सभी विश्वविद्यालयों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन और स्वतंत्र विचार रखने वाले छात्रों की आवाज़ को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों और विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर सीधा हमला है। सभा में जेएनयू छात्रसंघ के नेतृत्व में जारी भूख हड़ताल के प्रति भी एकजुटता दिखाई गई। यह भूख हड़ताल 26 जून से चल रही है और इसका उद्देश्य न केवल जेएनयू प्रवेश परीक्षा को पुन: प्रारंभ कराना है, बल्कि देशभर के विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता की रक्षा करना भी है। आइसा ने यह स्पष्ट किया कि जब तक छात्र आवाज़ उठाते रहेंगे, किसी भी प्रकार की दमनकारी नीति को स्वीकार नहीं किया जाएगा। प्रतिवाद सभा और पुतला दहन कार्यक्रम में आइसा राज्य सचिव त्रिलोकीनाथ, छुटुराम महतो, संजना मेहता, जगमोहन महतो, विजय कुमार, सोनाली केवट, अनुराग रॉय, शालीन, रूपक के साथ अन्य विद्यार्थ मौजूद रहे।