पटना HC ने बिहार सरकार से पूछा- राज्य में कब काम करेगा जनजातीय अनुसंधान संस्थान?

Tuesday, Jul 05, 2022-04:15 PM (IST)

पटनाः पटना उच्च न्यायालय ने बिहार में जनजातीय अनुसंधान संस्थान (टीआरआई) की स्थापना नहीं होने पर चिंता व्यक्त करते हुए बिहार सरकार को निर्देश दिया है कि वह बताए कि यह संस्थान कब से राज्य में काम करेगा।

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने बिहार आदिवासी अधिकार फोरम की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को यह निर्देश दिया। फोरम ने बिहार में आदिवासियों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए नीति और योजना बनाने के उद्देश्य से टीआरआई की स्थापना के लिए लोकहित याचिका दायर की है। टीआरआई की मुख्य जिम्मेदारी जनजातीय विकास, आदिवासी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए इनपुट प्रदान करना है।

बिहार में टीआरआई की स्थापना के उद्देश्य से समय सीमा में प्रक्रियात्मक औपचारिकताएं प्रस्तुत करने के उद्देश्य से न्यायालयों के पूर्व के आदेश के अनुपालन के बारे में सरकारी वकील प्रशांत प्रताप ने अदालत को बताया कि 30 जून को बिहार के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई गई थी, जहां राज्य सरकार ने तीन निर्णय लिए हैं। सबसे पहले अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के सचिव ने टीआरआई के अंतर्गत पदों की स्वीकृति तत्काल प्राप्त करने का निर्देश दिया है।

प्रताप ने बताया कि दूसरा निर्णय लिया गया कि जब तक केन्द्र सरकार की योजना के अनुसार नए भवन एवं परिसर की स्थापना नहीं हो जाती, तब तक भवन निर्माण विभाग के सचिव 30 दिन के अंदर टी.आर.आई. को उपयुक्त जगह मुहैया कराएं। उन्होंने बताया कि तीसरा निर्णय है कि पटना में ए.एन. सिन्हा संस्थान, जिसे पहले अन्य सभी सुविधाओं के साथ टीआरआई भवन की स्थापना के लिए निर्धारित किया गया था वहां स्थान की सीमित उपलब्धता के कारण किसी वैकल्पिक उपयुक्त भूमि का पता लगाने का निर्णय लिया गया है ताकि वहां सभी घटक आदिवासी संग्रहालय, स्मारक, भंडार, सम्मेलन हॉल, कारीगर कोना आदि के साथ टी आर आई की स्थापना की जा सके। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को इसकी मंजूरी के वास्ते विस्तृत प्रस्ताव भेजने के लिए 90 दिनों का समय मांगा है।
 


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Ramanjot

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