"सवाल जहर का नहीं था....",बेटे को मंत्री बनाए जाने की आलोचना पर उपेंद्र कुशवाहा ने शायराना अंदाज में दिया जबाव, जानें क्या कुछ कहा
Saturday, Nov 22, 2025-10:48 AM (IST)
Bihar Cabinet Formation: राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने अपने बेटे दीपक प्रकाश (Deepak Prakash) को बिहार में मंत्री बनाए जाने के बाद लग रहे परिवारवाद के आरोपों पर कहा कि पार्टी के अस्तित्व और भविष्य को बचाने के लिए यह निर्णय अपरिहार्य था। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर लिखा है उनके बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाए से जुड़े पार्टी के हालिया निर्णय को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, जिनमें उत्साहवर्धक टिप्पणी भी हैं और तीखी आलोचनाएं भी।
पार्टी का अस्तित्व बचाने के लिए था जरूरी- Upendra Kushwaha
कुशवाहा ने कहा कि वह सार्थक आलोचनाओं का सम्मान करते हैं क्योंकि वे “बहुत कुछ सिखाती हैं जबकि फिजूल आलोचनाएं सिर्फ “आलोचकों की नियत को दर्शाती हैं।” स्वस्थ आलोचनाओं पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि उन पर परिवारवाद का आरोप लगाया गया है, लेकिन पार्टी के अस्तित्व और भविष्य को बचाने के लिए यह निर्णय अपरिहार्य था। उन्होंने कहा, “पूर्व में पार्टी के विलय जैसा अलोकप्रिय और लगभग आत्मघाती निर्णय लेना पड़ा था, जिसकी पूरे बिहार में तीखी आलोचना हुई थी। तब भी संघर्ष के बाद पार्टी ने सांसद और विधायक बनाए, लेकिन कई लोग जीतकर निकल गए और हम शून्य पर पहुंच गए। पुनः ऐसी स्थिति न आए, यह सोचना आवश्यक था।” उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में पार्टी को शून्य पर वापस जाने से रोकने के लिए यह कदम जरूरी था। उन्होंने लिखा, “परिवारवाद का आरोप लगना मेरे लिए जहर पीने जैसा था, लेकिन पार्टी को बचाने की जिद में यह निर्णय लेना पड़ा।”
किसी व्यक्ति की पात्रता का मूल्यांकन उसकी जाति या परिवार से नहीं- Upendra Kushwaha
निरर्थक आलोचकों पर टिप्पणी करते हुए कुशवाहा ने एक पंक्ति में कहा, “सवाल जहर का नहीं था, वो तो मैं पी गया...तकलीफ उन्हें बस इस बात से है कि मैं फिर से जी गया।” बेटे को मंत्री बनाए जाने पर उठ रहे सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि उन्हें बिना योग्यता के नहीं चुना गया। कुशवाहा ने लिखा, “अरे भाई, रही बात दीपक प्रकाश की तो जरा समझिए। वह विद्यालय की कक्षा में फेल विद्यार्थी नहीं है। मेहनत से पढ़ाई करके कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। उसे थोड़ा समय दें, वह अपनी काबिलियत साबित करेगा।” सांसद कुशवाहा ने अंत में कहा कि किसी व्यक्ति की पात्रता का मूल्यांकन उसकी जाति या परिवार से नहीं, बल्कि उसकी योग्यता और क्षमता से होना चाहिए।

