Tulsi Vivah Rangoli 2025: तुलसी के पौधे के पास बनाएं ये शुभ रंगोली, घर में आएगा सुख-समृद्धि
Saturday, Nov 01, 2025-07:47 PM (IST)
Tulsi Vivah 2025:सनातन धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी या द्वादशी को यह पावन पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) लंबी योगनिद्रा से जागते हैं, और उसी के बाद तुलसी माता (Goddess Tulsi) का विवाह भगवान शालिग्राम (Shaligram Ji) के साथ संपन्न कराया जाता है। यही दिन देशभर में शादी के सीजन की शुरुआत (Wedding Season Begins) का प्रतीक भी माना जाता है।
तुलसी विवाह पर रंगोली का विशेष महत्व (Tulsi Rangoli Designs)

तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे के पास सुंदर रंगोली (Tulsi Vivah Rangoli Design) बनाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
ऐसा विश्वास है कि रंगोली बनाने से देवी-देवता प्रसन्न (Gods are pleased) होते हैं और घर में सुख-समृद्धि (Prosperity and Happiness) का वास होता है। महिलाएं इस दिन सुबह-सुबह उठकर तुलसी माता को दुल्हन की तरह सजाती हैं (Decorating Tulsi Like a Bride), लाल चुन्नी ओढ़ाती हैं और भगवान विष्णु के साथ उनका विवाह करती हैं।
पौराणिक कथा: क्यों मनाया जाता है तुलसी विवाह (Story Behind Tulsi Vivah) | Tulsi Vivah Phool Rangoli

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, माता तुलसी पूर्व जन्म में वृंदा (Vrinda) के रूप में जानी जाती थीं। वे परम भक्त थीं और भगवान विष्णु ने ही उनके पुनर्जन्म के बाद तुलसी रूप में प्रकट होकर विवाह का वरदान दिया था। इस दिन Tulsi Vivah Ceremony करने वाला व्यक्ति कन्यादान जितना पुण्य (Equal to Kanyadaan) अर्जित करता है। इसलिए हर वर्ष श्रद्धालु पूरे विधि-विधान से यह पवित्र अनुष्ठान करते हैं।
तुलसी विवाह से खुलते हैं शुभ कार्यों के द्वार (Beginning of Auspicious Works) |Tulsi Vivah Simple Rangoli

तुलसी विवाह के साथ ही देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) भी मनाई जाती है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु के जागने के बाद सभी शुभ कार्य जैसे—
विवाह, गृहप्रवेश, नामकरण संस्कार, और धार्मिक उत्सव (Marriage, Griha Pravesh, and Rituals) शुरू किए जा सकते हैं।
Morpankh Tulsi Vivah Rangoli Design

इस दिन का उत्सव घर-घर में हर्षोल्लास से मनाया जाता है — महिलाएं पूजा करती हैं, तुलसी के आंगन को सजाती हैं और भजन-कीर्तन से वातावरण को भक्तिमय बना देती हैं।


