PM मोदी के रहते SC-ST, OBC के हितों की नहीं हो सकती अनदेखी: सम्राट चौधरी

Wednesday, Aug 21, 2024-12:18 PM (IST)

 

पटनाः बिहार के उप मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी ने लेटरल एंट्री के तहत शीर्ष नौकरशाही में बहाली के संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) के विज्ञापन वापस लेने पर कहा कि प्रधानमंत्री (पीएम) नरेंद्र मोदी के रहते एससी-एसटी और ओबीसी के हितों की कोई अनदेखी नहीं कर सकता।

सम्राट चौधरी ने मंगलवार को लेटरल एंट्री के तहत बहाली के लिए यूपीएससी द्वारा निकाले गए विज्ञापन को वापस कराने की पहल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक साहसिक निर्णय है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के रहते अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के हितों की कोई अनदेखी नहीं कर सकता है।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार में लेटरल एंट्री के माध्यम से सीधी बहाली की अवधारणा बनाई गई थी, जिसमें आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं था। दरअसल कांग्रेस तो शुरू से ही एससी-एसटी और ओबीसी के आरक्षण का विरोधी रही है। प्रधानमंत्री रहते हुए पंडित जवाहर लाल नेहरू ने वर्ष 1961 में और राजीव गांधी ने विपक्ष का नेता रहते हुए लोकसभा में ओबीसी आरक्षण का विरोध किया था। लेटरल एंट्री सभी के लिए खुली है। सभी वर्ग के लोग आवेदन करते हैं। उन्होंने पूछा कि क्या जब कांग्रेस की सरकार लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती कर रही थी, तो उसमें आरक्षण की व्यवस्था थी।

वहीं चौधरी ने कहा कि अचानक कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) समेत अन्य विपक्षी पार्टियों का ओबीसी के प्रति प्रेम उमड़ आया है। वे एससी, एसटी और ओबीसी के छात्रों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। विपक्ष झूठ फैलाकर लोगों में जातीय उन्माद पैदा करने का प्रयास कर रहा है, जिस पर प्रधानमंत्री मोदी ने पानी फेर दिया है। विपक्ष यूपीएससी जैसी संस्थाओं की छवि खराब करने की भी कोशिश कर रहा है।

भाजपा नेता ने सवालिया लहजे में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लेटरल एंट्री के जरिए ही 1976 में फाइनेंस सेक्रेटरी, मोंटेक सिंह अहलूवालिया को योजना आयोग का उपाध्यक्ष और सोनिया गांधी को नेशनल एडवाइजरी काउंसिल का प्रमुख बनाया गया था, तब कांग्रेस को आरक्षण की याद क्यों नहीं आई। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेटरल एंट्री के जरिए होने वाली सीधी नियुक्ति के हालिया विज्ञापन को वापस करवाकर यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके रहते एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण को कोई छू भी नहीं सकता है। संविधान प्रदत्त आरक्षण को सुनिश्चित रखना केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।


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Nitika

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