पूसा कृषि विश्वविद्यालय ने रोजगार को बढ़ावा देने के लिए 6 एमओयू पर किए हस्ताक्षर

2/8/2022 8:57:48 PM

समस्तीपुरः बिहार में समस्तीपुर जिले के पूसा स्थित डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने रोजगार के बढ़ावा देने के उद्देश्य से मंगलवार को छह सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया।

विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में कुलपति डा.रमेश चन्द्र श्रीवास्तव की उपस्थिति में आज यहां विभिन्न तकनीकों की मार्केटिंग समेत छह एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। इस मौके पर कुलपति ने कहा कि बिहार के किसानों को नई तकनीक तथा युवाओं को कृषि रोजगार उपलब्ध कराने के लिए विश्वविद्यालय ने कई तकनीक विकसित किया है। उन्होंने कहा कि वे विश्वविद्यालय की तकनीकों से लाखों रोजगार सृजन करने के प्रयास में लगे हैं।

डा.श्रीवास्तव ने बताया कि इसी कड़ी मे आज पहला समझौता बिजली चालित ओखली से संबंधित है जिसके लिए मेसेर्स बिनोद इंजीनियरिंग के साथ समझौता किया गया है। खाद्य पोषण सुरक्षा के मद्देनजर विश्वविद्यालय द्वारा कुलपति के नेतृत्व में छोटे अनाजों के प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए बिजली चालित ओखली विकसित की गई है। इस समझौते से ओखली के व्यवसायिक उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय इस ओखली का पेटेंट कराने को लेकर भी सक्रिय पहल कर रहा है। जबकि दूसरा समझौता बिहार मे फसल के उत्पादकों का श्रमिक पर निर्भरता कम करने के लिए उन्नत मशीन के उत्पादन एवं व्यवसायीकरण के लिए कुशवाहा एग्रीकल्चर प्राइवेट लिमिटेड के साथ किया गया है।

वहीं कुलपति ने कहा कि तीसरा समझौता स्वचालित पैडी बीडर के लिए है। यह एक अत्याधुनिक मशीन है जिससे धान की फसल की पंक्तियों में सीधी बुवाई एवं रोपनी के बाद खर पतवार नियंत्रण किया जा सकता है। यह मशीन खेतों में तीन चार से.मी पानी रहने पर तथा सूखा रहने पर दोनों स्थितियों में काम करता है। इस मशीन के उपयोग से तीस चालीस दिनों तक खर पतवार नहीं पनपता है। इस मशीन के उत्पादन एवं व्यवसायीकरण के लिए बीसीएस कंपनी से समझौता किया गया है। इसी तरह ट्रैक्टर चालित मल्टीक्राप सीडर के उत्पादन एवं व्यवसायीकरण के लिए मां दुर्गा एग्रो इंडस्ट्री के साथ समझौता किया गया है। यह एक अत्यंत आधुनिक यंत्र है जिससे एक साथ धान गेंहूं, दलहन और मक्के के बीजों की पंक्ति में बुवाई की जा सकती है। इस मशीन से अंतर्वर्ती खेती तथा मिश्रित खेती भी की जा सकती है।

समझौता पत्र पर विश्वविद्यालय की ओर से कुलसचिव डा.पी.पी. श्रीवास्तव ने हस्ताक्षर किया। इस मौके पर निदेशक अनुसंधान डा. एन.के.सिंह, डीन पीजी डा.के.एम सिंह, डीन एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग विभाग के डा.अम्बरीष कुमार, इंजीनियर सुभाष कुमार एवं विश्वविद्यालय के सूचना पदाधिकारी डा. कुमार राज्यवर्धन भी उपस्थित थे।


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Ramanjot

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