बिहार में लंगड़ी सरकार चलाने वाले को देश में नहीं बना रहा कोई नेता, प्रशांत किशोर का नीतीश पर तंज

Tuesday, Dec 05, 2023-04:13 PM (IST)

पटना: 4 राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली हार के बाद I.N.D.I.A. गठबंधन में शामिल जेडीयू के नेताओं की ओर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को I.N.D.I.A. गुट की ओर से आगामी लोकसभा चुनाव-2024 में प्रधानमंत्री का चेहरा बनाने की मांग तेजी से उठाई जा रही है। साथ ही ये भी खबर है कि नीतीश कुमार आगामी INDIA गुट की बैठक में भी शामिल नहीं होंगे। इस पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के लोगों को नीतीश कुमार बहुत बड़े तोप दिखते हैं। 42 विधायकों की लंगड़ी सरकार चलाने वाले दल के नेता, जो कभी उछलकर कमल के साथ, तो कभी लालटेन के साथ चले जाते हैं। जिसको खुद भरोसा नहीं है कि वो कहां रहेगा, उसको देश में कौन नेता बना रहा है, इस बारे में सिर्फ के लोगों को ही पता है।

"जिस पार्टी का जीरो सांसद है, वो बता रहा है कि..."
दरभंगा के हनुमाननगर प्रखंड में मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि जबसे महागठबंधन बना है, उस दिन से मेरा बयान देख लीजिए कि मैंने साफ कहा कि इसका राष्ट्रीय राजनीति पर कोई महत्व नहीं है। जो विपक्ष की राजनीति है उसमें सबसे बड़ा दल कांग्रेस है, हारे या जीते ये अलग बात है। दूसरा टीएमसी है और तीसरे नंबर पर डीएमके है। जदयू को कौन पूछ रहा है और ये तो अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने वाली बात है। लालू यादव ने कहा कि देश का प्रधानमंत्री नीतीश कुमार होंगे। लालू की पार्टी के लोकसभा में सांसद जीरो हैं। जिस पार्टी का जीरो सांसद है, वो बता रहा है कि देश का प्रधानमंत्री कौन होगा। जिसके अपने दल के सिर्फ 42 विधायक हैं, वो बता रहा है कि देश का नेता कौन होगा?

"नेता कितनी भी बार मिलकर चाय-नाश्ता कर लें, लेकिन..."
प्रशांत किशोर ने बिहार की आर्थिक स्थिति पर बात करते हुए कहा कि सबसे बड़ी बात ये है कि जो देश का सबसे गरीब और पिछड़ा राज्य है, जो बेरोजगारी और पलायन के लिए पूरे देश में जाना जा रहा है। उस राज्य के नेता को दूसरे राज्य के लोग और नेता मान जाएंगे कि आइए महाराष्ट्र को बिहार बना दीजिए। इतनी सामान्य समझ तो लोगों में है कि ​केरल के लोग कहेंगे कि केरल को बिहार बना दीजिए। किस आधार पर वहां के लोग आपको नेता मानेंगे, आपके पास संख्या बल नहीं है, आपके पास चुनाव के लिए पैसा और संसाधन भी नहीं है। आपने गवर्नेंस के आधार पर ऐसा कोई मॉडल भी नहीं बना दिया है कि पूरा देश उसे फॉलो करना चाहता है, तो किसी आधार पर आपको कोई नेता मान लेगा। ऐसे में नेता कितनी भी बार मिलकर चाय और नाश्ता कर लें इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
 


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Content Editor

Swati Sharma

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