डाक टिकट हमारी परम्परा, संस्कृति और इतिहास से जुड़ने का एक अच्छा माध्यम है: राज्यपाल

Thursday, Nov 28, 2024-11:44 PM (IST)

Patna News: डाक टिकट हमारी परम्परा संस्कृति और इतिहास से जुड़ने का एक अच्छा माध्यम है। इसके द्वारा हम अपने अतीत में झाँककर देख सकते हैं।" यह बातें राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने ज्ञान भवन, पटना में आयोजित राज्य स्तरीय डाक टिकट प्रदर्शनी, 2024 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कही।
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उन्होंने कहा कि पहले संदेशों का आदान-प्रदान पत्रों के माध्यम से हुआ करता था, परन्तु आज के डिजिटल युग में यह मोबाईल आदि से किया जा रहा है। डाक टिकट हमारे अतीत से जुड़ने का एक अच्छा माध्यम है। विभिन्न महापुरुषों पर आधारित डाक टिकटों के माध्यम से हमें उनका स्मरण होता है और प्रेरणा भी मिलती है। डाक टिकट आज भी प्रासंगिक है। पहले कॉपर के डाक टिकट हुआ करते थे. जिनकी कीमत आज करोड़ों में है। पैसे के लिए डाक टिकटों का संग्रह एक अलग बात है, परन्तु अपने अतीत को जानने और समझने के दृष्टिकोण से इसका काफी महत्व है। हमारे बच्चों में डाक टिकट संग्रहण की रूचि होनी चाहिए।

राज्यपाल ने इस अवसर पर कबूतर के माध्यम से पत्र भेजा, जिसका उत्तर उन्हें हरकारा ने लौटती डाक से लाकर दिया। उन्होंने चाणक्य, चित्रगुप्त और आर्यभ‌ट्ट पर विशेष आवरण तथा ऋषियों पर आधारित चित्र पोस्टकार्ड का विमोचन किया। राज्यपाल ने Glory of Bihar एवं Postal Heritage of Bihar' नामक पुस्तकों का विमोचन भी किया। उन्होंने डाक टिकट प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। कार्यक्रम को पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ० सी०पी० ठाकुर एवं बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर मुख्य पोस्टमास्टर जनरल, बिहार अनिल कुमार, पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो० रासबिहारी प्रसाद सिंह, बिहार डाक परिमंडल के पदाधिकारीगण एवं कर्मीगण तथा अन्य लोग उपस्थित थे।


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Content Editor

Mamta Yadav

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