Nitish Cabinet Meeting: दूसरी कैबिनेट में सरकार ने लिए बड़े फैसले, तीन नए विभाग बने, तीन के नाम बदले
Wednesday, Dec 10, 2025-07:58 AM (IST)
Nitish Cabinet Meeting: NDA सरकार बनने के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में दूसरी कैबिनेट बैठक आयोजित हुई। यह बैठक कई महत्वपूर्ण फैसलों के लिए खास रही, जहां कुल 19 प्रस्तावों को मंजूरी मिली। बैठक का मुख्य आकर्षण रहा—तीन नए विभागों का गठन और तीन विभागों के नामों में बदलाव।
Youth Employment Focus: रोजगार सृजन के लिए बनाए गए तीन नए विभाग
नीतीश कैबिनेट ने युवाओं को रोजगार देने के वादे को मजबूत करने के लिए तीन नए विभाग गठित किए हैं। उद्देश्य है—राज्य में रोज़गार के नए अवसर पैदा करना और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाना।
1. युवा, रोजगार एवं कौशल विकास विभाग
यह विभाग खासतौर पर राज्य के युवाओं के Skill Development, Training और Employment Programmes को मजबूत करेगा।
2. उच्च शिक्षा विभाग
उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और संस्थानों को और सक्षम बनाने के मकसद से नया Higher Education Department बनाया गया है।
3. सिविल विमानन विभाग
बिहार में Civil Aviation सेक्टर को गति देने के लिए नया Civil Aviation Department स्थापित किया गया है। यह हवाई सेवाओं और एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को विस्तार देने पर फोकस करेगा।
तीन विभागों के नाम भी बदले—नई संरचना पर कैबिनेट की मुहर
कैबिनेट ने प्रशासनिक सुधार को आगे बढ़ाते हुए तीन प्रमुख विभागों के नाम बदलने को मंजूरी दी है।
1. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग → डेयरी मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग
अब यह विभाग Dairy Sector को भी प्राथमिकता के साथ शामिल करेगा।
2. श्रम संसाधन विभाग → श्रम संसाधन एवं प्रवासी श्रमिक कल्याण विभाग
प्रवासी मजदूरों से जुड़ी योजनाएं भी अब इसी विभाग के अंतर्गत संचालित होंगी।
3. कला संस्कृति एवं युवा विभाग → कला एवं संस्कृति विभाग
युवा विभाग को अलग कर दिया गया है, ताकि कला और संस्कृति पर समर्पित फोकस रखा जा सके।
सरकार का उद्देश्य—युवाओं को रोजगार, विभागों को अधिक स्पष्ट पहचान
बिहार सरकार का कहना है कि विधानसभा चुनावों में युवाओं से किए गए वादों को पूरा करने के लिए ये फैसले आवश्यक थे। तीन नए विभागों के गठन से जहां कार्यप्रणाली तेज होगी, वहीं विभागों के नाम बदलने से उनके Functional Clarity और Specialization में बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही अधिकारियों पर विभागीय बोझ भी कम होगा और फैसलों का क्रियान्वयन तेजी से हो सकेगा।

