कुढ़नी उपचुनावः सहयोगी दल बने विरोधी, 4 महीने पहले अलग होने के बाद BJP और JDU आमने-सामने
Tuesday, Nov 29, 2022-11:23 AM (IST)

पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) और भाजपा करीब चार महीने पहले अलग होने के बाद पहली बार कुढ़नी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में आमने-सामने है। इस सीट पर पांच दिसंबर को उपचुनाव होने वाला है और यह उपचुनाव, मौजूदा विधायक अनिल कुमार सहनी की अयोग्यता के कारण आवश्यक हुआ है, जो राजद के टिकट पर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में यहां से विजयी हुए थे।
चुनावी मैदान में कुल 13 उम्मीदवार
कुढ़नी उपचुनाव में कुल 13 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, हालांकि मुकाबला मुख्य रूप से जद (यू) के मनोज सिंह कुशवाहा और भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता के बीच है। दोनों ने अतीत में अपनी-अपनी पार्टियों के लिए यह सीट जीती है। भाजपा विधायक जिबेश कुमार मिश्रा ने कहा, “मोकामा और गोपालगंज में हाल के उपचुनावों ने एक बात स्पष्ट कर दी है कि नीतीश कुमार अब बिहार में कोई ताकत नहीं रह गए हैं। उनकी पार्टी का समर्थन राजद को किसी भी सीट पर मदद नहीं कर सका।” उन्होंने कहा कि भाजपा मोकामा में राजद की जीत के अंतर को कम करने और गोपालगंज सीट को बरकरार रखने में सफल रही है। हम चकित हैं कि लालू प्रसाद (राजद अध्यक्ष) जैसे दिग्गज ने घुटने टेक दिए और कुढ़नी सीट जो पूर्व में राजद के पास थी, जद(यू) के लिए लिए छोड़ दी।
अपने भरोसेमंद लोगों का समर्थन खो चुकी भाजपाः ललन सिंह
कुढ़नी में ताबड़तोड़ प्रचार कर रहे जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ "ललन" का दावा है कि भाजपा जो बिहार में गिरावट पर है, अपने भरोसेमंद लोगों का समर्थन खो चुकी है"। ललन का यह भी दावा है कि भाजपा की "असुरक्षा" इस तथ्य से स्पष्ट है कि उसे अपनी "बी-टीम, असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम" को कुढ़नी में उतारना पड़ा है। उल्लेखनीय है कि एआईएमआईएम को गोपालगंज में राजद की हार के लिए भी दोषी ठहराया गया था, जहां ओवैसी की पार्टी को मिले वोटों की संख्या भाजपा उम्मीदवार की जीत के अंतर से कहीं अधिक थी।