Bihar Cabinet Decision: BSSC पेपर लीक कांड में बड़ी कार्रवाई, IAS सुधीर कुमार सेवा से बर्खास्त

Wednesday, Dec 10, 2025-07:46 AM (IST)

IAS Sudhir Kumar Termination: बिहार में 2017 के बहुचर्चित बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BSSC) परीक्षा पेपर लीक मामले में नीतीश कुमार की एनडीए सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में तत्कालीन BSSC अध्यक्ष और वरिष्ठ IAS अधिकारी सुधीर कुमार को पद से हटा दिया गया। यह निर्णय सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा है, जिसके तहत सुधीर कुमार अब किसी भी सरकारी पद के लिए अयोग्य माने जाएंगे। यह एनडीए सरकार की तीसरी कैबिनेट बैठक में लिया गया महत्वपूर्ण कदम है, जो पुराने घोटालों पर सख्ती दिखाता है।

कैसे शुरू हुआ पूरा विवाद?

5 फरवरी 2017 को बिहार के विभिन्न केंद्रों पर BSSC की परीक्षा देने पहुंचे उम्मीदवारों के बीच अफरा-तफरी मच गई। परीक्षा शुरू होने से ठीक पहले, उम्मीदवारों के व्हाट्सएप, टेलीग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उत्तर कुंजी वायरल हो गई। इससे साफ हो गया कि प्रश्न पत्र लीक हो चुका था। गुस्साए छात्रों ने जमकर हंगामा किया—कुछ ने परीक्षा दी, जबकि कई ने बीच में ही छोड़ दिया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि लीक हुई उत्तर कुंजी 1,000 रुपये से लेकर 5-6 लाख रुपये तक की कीमत पर बेची जा रही थी।

अधिकारियों की भूमिका पर सवाल

मामले की गंभीरता को देखते हुए, BSSC के तत्कालीन अध्यक्ष सुधीर कुमार और उनके पांच रिश्तेदारों को गिरफ्तार किया गया। आरोप था कि ये रिश्तेदार परीक्षा में शामिल थे और लीक में संलिप्त थे। शुरुआत में BSSC के अधिकारियों, सचिव और अध्यक्ष, ने लीक के आरोपों को महज अफवाह बताकर खारिज कर दिया। लेकिन वायरल सबूतों के सामने यह इनकार नहीं टिक सका। इससे छात्रों में आक्रोश फैल गया और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। प्रदर्शनकारियों ने BSSC सचिव परमेश्वर राम पर हमला भी किया। स्थिति बिगड़ने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्य सचिव और डीजीपी को उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए।

नीतीश सरकार का बड़ा कदम

एनडीए सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सुधीर कुमार को बर्खास्त करने का फैसला किया। यह निर्णय भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सुधीर कुमार अब किसी भी सरकारी सेवा के लिए पात्र नहीं रहेंगे। कैबिनेट ने इस बैठक में अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की, लेकिन यह फैसला सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहा है।

 गुजरात कनेक्शन और चीटिंग गैंग की करतूत

जांच में खुलासा हुआ कि प्रश्न पत्र गुजरात के अहमदाबाद स्थित एक प्रिंटिंग प्रेस से लीक हुआ था, जिसके पास छपाई का वैध लाइसेंस भी नहीं था। एक संगठित चीटिंग गिरोह छात्रों को नकल उपलब्ध कराने के लिए ब्लूटूथ डिवाइस, क्रेडिट कार्ड जैसे दिखने वाले गैजेट्स और सिम कार्ड वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल कर रहा था। सुधीर कुमार ने इस मामले में तीन साल से ज्यादा समय न्यायिक हिरासत में बिताया। जांच पूरी होने और आरोप-पत्र दाखिल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2020 में उन्हें जमानत दी। यह फैसला न केवल पुराने घोटालों पर न्याय सुनिश्चित करता है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक मजबूत संदेश भी देता है।


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Ramanjot

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