अधर में लटका ‘पटना कलेक्ट्रेट' का भाग्य, देशभर के धरोहर प्रेमियों ने बिहार सरकार से की ये अपील

9/28/2020 2:17:46 PM

नई दिल्ली/पटनाः देशभर के कई धरोहर प्रेमियों ने सरकार से सदियों पुराने पटना कलेक्ट्रेट को ध्वस्त ना करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस पर अधिक ध्यान देने से सरकार को ‘राजस्व हासिल' करने में मदद मिल सकती है। इसके अधिकतर हिस्सों का निर्माण डच युग में किया गया था।

अधर में लटका इस ऐतिहासिक स्थल का भाग्य 
बिहार की राजधानी में बने इस ऐतिहासिक स्थल का भाग्य फिलहाल अधर में लटका है। पटना से वडोदरा और दिल्ली से कोलकाता तक के विशेषज्ञों तथा आम लोगों ने सरकार से एक बार फिर गंगा नदी के किनारे स्थित प्रतिष्ठित परिसर को ध्वस्त नहीं करने की अपील की है। ‘विश्व पर्यटन दिवस' यानी रविवार को इन लोगों ने सरकार से यह अपील की। विरासत पर काम करने वाले संगठन इनटैक की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने 18 सितंबर को पटना कलेक्ट्रेट को ध्वस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी थी।

कोलकाता के संरक्षण वास्तुकार ने की ये अपील
कोलकाता के संरक्षण वास्तुकार मनीष चक्रवर्ती ने कहा कि पर्यटन का उपयोग ‘‘शिक्षा'' और ‘‘विरासत के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करने'' दोनों के लिए किया जा सकता है। उन्होंने बिहार सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने और ‘‘शहर की इस अमूल्य धरोहर'' को दूर ना करने की अपील की।

पुरानी इमारतों को ध्वस्त करने पर तुली सरकारः बीना मिश्रा
पटना की बीना मिश्रा (67) ने कहा कि दुनिया भर में लोग अपनी पुरानी इमारतों को संरक्षित कर रहे हैं, लेकिन हमारी सरकार उसके विरासत मूल्य और पर्यटन की संभावनाओं का इस्तेमाल करने के बजाय, इसे ध्वस्त करने पर तुली हुई है। दिल्ली के ‘ब्रांड' रणनीतिकार रमेश ताहिलियानी ने विध्वंस के आदेश को ‘‘लापरवाही भरा'' और ‘‘एक खतरनाक कदम'' करार देते हुए कहा कि यह अतीत के गौरव के शहर को बर्बाद कर सकता है।

2016 में इसे ध्वस्त करने को एक प्रस्ताव रखा गया था
बता दें कि बिहार सरकार ने 2016 में इसे ध्वस्त करने को एक प्रस्ताव रख, एक नए परिसर के निर्माण के लिए रास्ता बनाया था, जिसका भारत और विदेशों में विभिन्न स्तरों पर विरोध किया गया था। तत्कालीन डच राजदूत अल्फोंस स्टोइलिंग ने 2016 में बिहार के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पटना कलेक्ट्रेट को भारत और नीदरलैंड की ‘‘साझा विरासत'' के रूप में संरक्षित करने की अपील भी की थी।


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Ramanjot

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