फर्जी एनकाउंटर मामले में 26 साल बाद आया फैसला, पूर्व थानाध्यक्ष को मिली उम्रकैद की सजा, 3 लाख का जुर्माना भी लगाया
Wednesday, Oct 09, 2024-04:18 PM (IST)
पटना: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की बिहार में पटना स्थित विशेष अदालत ने फर्जी एनकाउंटर मामले में मंगलवार को एक पूर्व थानाध्यक्ष को आजीवन कारावास की सजा के साथ ही तीन लाख एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
पूर्व दारोगा को पांच वर्षों के सश्रम कारावास की सजा
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (नवम) सह विशेष न्यायाधीश अविनाश कुमार ने मामले में सुनवाई के बाद पूर्णिया के बड़हरा थाना के तत्कालीन अध्यक्ष मुखलाल पासवान को भारतीय दंड विधान की धारा 302, 201, 193 और 182 के तहत दोषी करार देने के बाद यह सजा सुनाई है। जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर दोषी को एक वर्ष छह माह की सजा अलग से भुगतनी होगी। अदालत ने इसी मामले के एक अन्य अभियुक्त बिहारीगंज थाना के पूर्व दारोगा अरविंद कुमार झा को भारतीय दंड विधान की धारा 193 में दोषी करार देने के बाद पांच वर्षों के सश्रम कारावास की सजा के साथ 50 हजार रुपए का जुर्माना भी किया। जुर्माने की रकम अदा नहीं करने पर इस दोषी को छह माह के कारावास की सजा अलग से भुगतनी होगी।
जानिए क्या था पूरा मामला?
सीबीआई, दिल्ली के लोक अभियोजक अमरेश कुमार तिवारी ने मामले में अभियोजन की ओर से बहस की थी। उन्होंने बताया की मामला वर्ष 1998 का था। आरोप के अनुसार, एक अपराधी की तलाश में पुलिस ने पूर्णिया के बिहारीगंज थाना क्षेत्र स्थित फिद्दी की बस्ती गांव में जगदीश झा के घर की घेराबंदी की और संतोष कुमार सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बाद में इस घटना को पुलिस ने एनकाउंटर का रूप देने का प्रयास किया था। मामले की जांच पहले स्थानीय पुलिस के स्तर पर की गई, बाद में मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी गई थी। उसके बाद मामले का अनुसंधान केंद्रीय जांच ब्यूरो ने किया था। इस मामले में सीबीआई ने आरोप साबित करने के लिए 45 गवाहों का बयान अदालत में कलम बंद करवाया था।