ड्रोन बदल रहा खेती का खेल, लागत आधी...काम मिनटों में और सरकार भी दे रही अनुदान
Tuesday, Dec 30, 2025-06:55 PM (IST)
Agriculture Drone Spraying Scheme: खेती को हाई-टेक और लाभकारी बनाने के लिए बिहार सरकार का कृषि विभाग निरंतर प्रयासरत है। इसी के तहत विभाग कृषि ड्रोन छिड़काव योजना लेकर आया है, जिससे किसानों के लिए ड्रोन से छिड़काव कराना सस्ता और कारगर साबित हो रहा है। फसलों में कीटनाशी, खरपतवारनाशी और तरल उर्वरकों आदि का ड्रोन से छिड़काव कराने पर विभाग की ओर से भारी अनुदान दिया जा रहा है। इसका लाभ लेने के लिए किसानों को कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
ड्रोन से छिड़काव पर किसानों को मिल रहा अनुदान
ड्रोन से छिड़काव कराने पर किसानों को प्रति एकड़ 50 प्रतिशत, अधिकतम 240 रुपए का अनुदान दिया जा रहा है। एक किसान अधिकतम 10 एकड़ क्षेत्र के लिए आवेदन कर सकता है। किसान ड्रोन का उपयोग कर बड़े क्षेत्रफल में महज कुछ ही मिनटों में कीटनाशक, खाद या दवाओं का छिड़काव कर सकते हैं। इसके प्रयोग से न केवल लागत में कमी आएगी, बल्कि समय की भी बचत होगी। साथ ही, इससे मिट्टी की क्वालिटी दुरुस्त रखने और फसलों में कीटनाशकों व दवाओं के अवशेष को कम करने में भी मदद मिलती है।
पिछले वर्ष 27,666 एकड़ में ड्रोन से हुआ था छिड़काव
कृषि विभाग ने इस वर्ष 56,050 एकड़ क्षेत्र में ड्रोन से छिड़काव का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2024-25 में 27,666 एकड़ फसलों में ड्रोन से छिड़काव सफलतापूर्वक किया गया था। ड्रोन के माध्यम से फसलों में कीटनाशी, फफूंदनाशी, खरपतवारनाशी, पादप वृद्धि नियामक तथा तरल उर्वरक जैसे नैनो यूरिया, नैनो डीएपी, एनपीके एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव किया जा सकता है।
छिड़काव से होंगे ये फायदे
ड्रोन मैन्युअल छिड़काव की तुलना में 50 से 60 गुना तेजी से कीटनाशकों और उर्वरकों का छिड़काव कर सकता है। इससे लगभग 15 से 20 मिनट में एक एकड़ क्षेत्र में छिड़काव संभव है। ड्रोन के उपयोग से 90 प्रतिशत तक पानी और 40 प्रतिशत तक कीटनाशक एवं फफूंदनाशक आदि की बचत की जा सकती है। इससे कृषि लागत में कमी आएगी, समय की बचत होगी और सही समय पर खेतों में प्रभावी कीट प्रबंधन किया जा सकेगा।
कृषि मंत्री ने क्या कहा?
कृषि मंत्री रामकृपाल यादव ने कहा, "बिहार में खेती को आधुनिक, सस्ती और सुरक्षित बनाने की दिशा में कृषि ड्रोन छिड़काव योजना एक बड़ा कदम है। ड्रोन तकनीक से किसानों की लागत घटेगी, समय की बचत होगी और फसलों में कीटनाशी व उर्वरकों का सटीक एवं संतुलित उपयोग संभव होगा। राज्य सरकार 50 प्रतिशत अनुदान के माध्यम से किसानों को इस नई तकनीक से जोड़ रही है।"

