बिहार स्वास्थ्य विभाग का सख्त रुख: भगोड़े डॉक्टरों को अल्टीमेटम – 15 दिन में स्पष्टीकरण दो, वरना नौकरी से बाहर!
Saturday, Dec 13, 2025-09:47 PM (IST)
Bihar Doctor Action: बिहार स्वास्थ्य विभाग ने उन डॉक्टरों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी कर ली है, जो लंबे समय से ड्यूटी से अनुपस्थित हैं। विभाग ने 150 से अधिक ऐसे चिकित्सकों को नोटिस जारी कर 15 दिनों के अंदर अपना पक्ष रखने का अंतिम मौका दिया है। अगर स्पष्टीकरण नहीं मिला या वह संतोषजनक नहीं पाया गया, तो इन डॉक्टरों को सेवा से बर्खास्त कर दिया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव उपेंद्र राम की ओर से जारी अधिसूचना में साफ चेतावनी दी गई है कि समयसीमा बीतने के बाद एकतरफा कार्रवाई की जाएगी।
नियम तोड़ने वालों की खैर नहीं: 9 साल से गायब डॉक्टरों पर एक्शन, महिला विशेषज्ञ और रेडियोलॉजिस्ट भी लिस्ट में!
बिहार सेवा संहिता 1950 के नियम 74 के तहत कोई भी सरकारी कर्मचारी लगातार पांच साल तक बिना सूचना अनुपस्थित रहता है, तो उसकी सेवा स्वतः समाप्त हो जाती है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कई डॉक्टरों ने इस नियम को खुलेआम चुनौती दी है। कुछ चिकित्सक तो नौ साल से अधिक समय से बिना किसी जानकारी के गायब हैं, जबकि कुछ ने जॉइनिंग के बाद कभी अस्पताल का मुंह नहीं देखा। इनमें सामान्य चिकित्सा पदाधिकारी, स्त्री रोग विशेषज्ञ और रेडियोलॉजिस्ट जैसे महत्वपूर्ण पदों पर तैनात डॉक्टर शामिल हैं।
नामजद डॉक्टरों पर लटकी तलवार: गया, बक्सर, कैमूर समेत कई जिलों के चिकित्सक निशाने पर
विभाग द्वारा जारी सूची में कई डॉक्टरों के नाम सामने आए हैं। उदाहरण के तौर पर, गया के जयप्रकाश नारायण अस्पताल में पदस्थापित डॉ. ममता आनंद 1 जून 2016 से अनुपस्थित हैं। बक्सर के डुमरांव में तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. माला सिन्हा जॉइनिंग के बाद गायब हैं। कैमूर सदर अस्पताल के डॉ. राजेश कुमार सिंह 6 दिसंबर 2016 से और डॉ. रंजू सिंह 24 अगस्त 2016 से ड्यूटी पर नहीं पहुंचे। इसी तरह औरंगाबाद के कुर्था सीएचसी में डॉ. पूजा कुमारी और गया के डुमरिया पीएचसी में डॉ. राखी कुमारी भी जॉइनिंग के बाद लापता हैं।
अंतिम मौका खत्म होने के बाद बर्खास्तगी: लोक सेवा आयोग की मंजूरी के बाद होगी कार्रवाई
स्वास्थ्य विभाग ने इन सभी डॉक्टरों को विज्ञापन और नोटिस के जरिए सूचित किया है। 15 दिनों की समयसीमा पूरी होने के बाद अगर जवाब नहीं आता या वह असंतोषजनक पाया जाता है, तो बिहार लोक सेवा आयोग की सहमति से बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। विभाग का मानना है कि ऐसे लापरवाह चिकित्सकों की वजह से मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने और अनुशासन बहाल करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। यह कार्रवाई राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने का संकेत देती है। उम्मीद है कि इससे बाकी डॉक्टरों में भी जिम्मेदारी का भाव जागेगा।

