"धरना-प्रदर्शन करने पर नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी", इस आदेश पर बिहार सरकार ने फिर दी सफाई

2/6/2021 1:53:04 PM

पटनाः बिहार सरकार की ओर से एक बार फिर स्पष्ट किया गया कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकारों को सरकार महत्व देती है और सिर्फ धरना-प्रदर्शन तथा जाम में शामिल होने के आधार पर किसी को भी नौकरी या ठेकेदारी से वंचित नहीं किया जाएगा।

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी और पुलिस महानिदेशक एस.के.सिंघल ने शुक्रवार को यहां पटेल भवन स्थित राज्य पुलिस मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बिहार में प्रदर्शन करने वालों को सरकारी नौकरी और ठेका से वंचित किए जाने की खबरों के बारे में स्पष्ट करते हुए कहा कि लोकतंत्र में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकारों का बहुत महत्व है। सरकार और उनके अधिकारी इसके दायरे में रहकर ही काम करते हैं। सरकार की मंशा कभी भी व्यक्तिगत अभिव्यक्ति और लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन की नहीं रही है। ऐसा न हुआ है और आगे भी नहीं होगा।

सुबहानी ने कहा कि संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है। शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखने और धरना-प्रदर्शन का सभी को अधिकार है। उन्होंने कहा कि इसकी अनुमति सरकार देती है और इसके लिए नियम-कानून भी बनाए गए हैं। पुलिस महानिदेशक सिंघल ने इस बारे में सरकार के आदेश के संबंध में स्थिति को और स्पष्ट करते हुए कहा कि सिर्फ धरना-प्रदर्शन और जाम में शामिल होने पर ही किसी को नौकरी या ठीकेदारी से वंचित नहीं किया जाएगा।

आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि कोई प्रदर्शन या जाम के नाम पर आपराधिक कृत्य करता है और कोर्ट या पुलिस की जांच में इसकी पुष्टि होती है, तभी चरित्र प्रमाण से संबंधित पुलिस रिपोर्ट में इसका जिक्र किया जाना है। इस मौके पर अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) मुख्यालय जितेंद्र कुमार ने कहा कि यह कोई नया आदेश नहीं है। चरित्र प्रमाण पत्र की अनिवार्यता पहले से रही है। वर्ष 2006 में भी सामान्य प्रशासन विभाग ने इससे जुड़ा आदेश निकाला था। चरित्र प्रमाण पत्र को लेकर थानास्तर पर मनमानी न हो, इसके लिए मॉनिटरिंग की भी व्यवस्था की गई है।


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Ramanjot

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