दवा आपूर्ति में देश का सिरमौर बना बिहार, 20 सालों में 10 गुना बढ़ी मेडिकल कवरेज
Tuesday, Apr 15, 2025-07:44 PM (IST)

पटना:बिहार की स्वास्थ्य सेवाएं 2005 के पहले बदहाली के लिए मुख्य रूप से जानी जाती थी। किसी अस्पताल में पशु बंधे होने के, तो किसी अस्पताल की बेड पर कुत्ते सोए होने की तस्वीरें वायरल होती थी। परंतु अब सूबे की स्वास्थ्य सेवाओं ने पिछले दो दशकों में नई इबारत गढ़ी है। वर्ष 2005 के बाद से राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली में जो व्यापक सुधार हुए हैं। उनमें सबसे अहम पहलू है शुल्क दवा नीति। इस नीति के तहत बिहार आज देश में सबसे अधिक 611 प्रकार की औषधियां मरीजों को मुफ्त उपलब्ध कराने वाला राज्य बन चुका है। इसमें कैंसर, हार्ट से लेकर वायरल से लेकर अन्य सभी महत्वपूर्ण श्रेणी की बीमारियों की दवाईयां शामिल हैं। पिछले 20 वर्ष में सरकारी अस्पतालों से दवा आपूर्ति में 10 गुणा की बढ़ोतरी हो गई है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल ने वर्ष 2005 में स्वास्थ्य सुधार की नई दिशा प्रारम्भ की। इस कदम से बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था में व्यापक सुधार हुआ, जिससे मुफ्त दवा नीति को मजबूती मिली। इन प्रयासों का परिणाम है कि आज बिहार स्वास्थ्य सेवाओं और दवा वितरण में देश का अग्रणी राज्य बन गया है।
दवा आपूर्ति और वितरण पर 10 गुणा वृद्धि
बीते पांच वर्षों में राज्य सरकार ने मुफ्त दवा नीति के तहत दवा आपूर्ति और वितरण पर 10 गुणा तक खर्च बढ़ाया है। जहां पहले यह खर्च सीमित था, वहीं वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह बढ़कर लगभग 762 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2025-26 में यह खर्च 1100 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। स्वास्थ्य सेवाओं में जो गुणवत्तापूर्ण सुधार आया है, इससे साफ नजर आ रहा है कि वर्ष 2005 से पहले अस्पतालों में दवाइयां नहीं मिलती थी लेकिन वर्ष 2005 के बाद से अस्पतालों में जीवनरक्षक दवाइयां मिलने लगी हैं, जिससे गरीब तबके के मरीजों को अब जेब ढीली नहीं करनी पड़ती है।
डीवीडीएमएस पोर्टल पर बिहार देश में शीर्ष पर
केंद्र सरकार के डीवीडीएमएस (ड्रग्स एंड वैक्सिन डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम) पोर्टल के अनुसार बिहार लगातार 5वें महीने देश में दवा आपूर्ति और वितरण के क्षेत्र में पहले स्थान पर बरकरार है। यह राज्य सरकार की स्वास्थ्य सुधार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मुफ्त दवा नीति की शुरुआत और विस्तार
- इस पहल की शुरुआत 1 जुलाई 2006 से हुई, जब कैबिनेट की मंजूरी के बाद राज्य में मुफ्त दवा वितरण की नींव रखी गई।
- वर्ष 2006 : सिर्फ 47 प्रकार की औषधियां उपलब्ध थी।
- वर्ष 2008 : ओपीडी मरीजों के लिए 33 प्रकार और आईपीडी मरीजों के लिए 112 प्रकार की दवाइयां सूचीबद्ध।
- वर्ष 2023 : सूची में वृद्धि होकर 611 प्रकार की दवाइयां और 132 प्रकार के डिवाइसेज/कंज्यूमेबल्स शामिल हो चुके हैं।
हर मरीज को मिल रही जरूरी दवाएं
बिहार सरकार की यह नीति सुनिश्चित करती है कि अस्पताल आने वाले हर मरीज को उसकी जरूरत की दवाइयां उपलब्ध कराई जाएं। इनमें जीवन रक्षक दवाओं से लेकर कैंसर, गठिया, अस्थमा, एलर्जी, रक्त थक्के और एंटी-एलर्जिक समेत कई दवाएं शामिल हैं।
गरीबों को मिली बड़ी राहत
एक वक्त था, जब मरीजों को जरूरी दवाओं के लिए निजी दुकानों पर निर्भर रहना पड़ता था लेकिन अब यह स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। गरीब तबके के लोगों को भारी राहत मिली है और अब दवा की कमी से मरीजों की जान नहीं जाती। साथ ही अब महंगी दवाओं पर निजी खर्च नहीं करना पड़ रहा है। इससे आमजन की जेब पर बोझ कम हुआ है और स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच बेहतर हुई है।