बिहार के वनों में आग लगने की घटनाएं लगभग हुईं दोगुनी, आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में हुआ खुलासा

3/13/2024 4:15:25 PM

 

पटनाः बिहार के वनों में आग लगने की घटनाएं पिछले वित्त वर्ष की तुलना में लगभग दोगुनी हो गई हैं। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। हाल में राज्य विधानसभा में पेश ‘बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023-24' में कहा गया है कि 2021-22 में राज्य में दावानल की 445 घटनाएं घटी थीं, जो वर्ष 2022-2023 में बढ़कर 822 हो गईं। रिपोर्ट के अनुसार 2018-19 में ऐसी 524 घटनाएं हुई थीं।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2021-22 में बिहार के वनों में आग की घटनाओं के कारण 664.61 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ और 2022-23 में यह बढ़कर 1394.13 हेक्टेयर (जला हुआ क्षेत्र) हो गया। बिहार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग (डीईएफसीसी) की सचिव बंदना प्रियाशी ने बताया कि लंबे समय तक शुष्क अवधि के कारण जंगलों में आग लगने का जोखिम बढ़ा है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा फसल अवशेष में आग लगाने जैसी गतिविधियों, जली हुई सिगरेट-बीड़ी फेंकने के कारण वनों में आग लगने की घटनाओं में वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि पिछले सीज़न में आग की घटनाओं पर गहन निगरानी रखी गई, जिससे वनों में आग की घटनाओं के बढ़ने के बारे में पता चल सका। प्रियाशी ने कहा कि राजगीर और नालंदा के वनों में आग लगने की घटनाएं व्यापक भौगोलिक प्रभाव का संकेत देती हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) से लेकर क्षेत्रीय इकाइयों तक घटनाओं की समय पर रिपोर्टिंग और संचार के परिणामस्वरूप बेहतर निगरानी हुई है।

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) के अध्यक्ष, देवेंद्र कुमार शुक्ला ने बताया, “जलवायु परिवर्तन तेजी से हो रहा है और दुनिया भर में वनों में आग की आवृत्ति बढ़ रही है, बिहार कोई अपवाद नहीं है।” उन्होंने कहा, ‘‘बढ़ता तापमान, परिवर्तित वर्षा पैटर्न और पारिस्थितिक परिवर्तन वनों की आग को भड़काने और फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आग वन क्षेत्रों को तबाह कर सकती है और पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर सकती है।” उन्होंने कहा, “आग लगने के बाद के परिदृश्य अक्सर कटाव के प्रति संवेदनशील होते हैं, जो पारिस्थितिक तंत्र और जल व्यवस्था को और ख़राब कर सकते हैं। वनों की आग के जोखिम को कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अंगीकार कर और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देकर जलवायु परिवर्तन की संभावनाओं को कम किया जा सकता है।'' शुक्ला ने कहा, ‘वाटरशेड' जैसी टिकाऊ वन प्रबंधन प्रथाओं को लागू करने से वनों में आग की घटनाओं के जोखिम को कम किया जा सकता है।

बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, वनों में आग की घटनाएं दुनिया भर के वन पारिस्थितिकी तंत्र और मानव समुदायों के लिए एक बड़ा खतरा हैं। रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के तीन जिले कैमूर, पश्चिम चंपारण और रोहतास में राज्य के कुल वन क्षेत्र का 35 प्रतिशत से अधिक हिस्सा आता है। रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के अधिकांश जंगलों (64 प्रतिशत) में आग का खतरा कम है, वहीं लगभग 6.7 प्रतिशत को उच्च या अत्यधिक खतरे का सामना करना पड़ता है। अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से आग से बचने के उपायों और फसल अवशेष न जलाने को लेकर जनता के बीच जागरूकता पैदा की जा रही है।


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Nitika

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