Basant Panchami 2025: बिहार में बेहद खास है बसंत पंचमी का त्योहार, महिलाएं लगाती हैं देवी सरस्वती के नाम की मेहंदी

Friday, Jan 31, 2025-10:56 PM (IST)

न्यूज डेस्क
सनातन धर्म में हर त्योहार का विशेष महत्व होता है। आने वाले 2 फरवरी को बसंत पंचमी (Basant Panchami 2025)का त्योहार मनाया जाने वाला है। यह दिन वेदों की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का जन्म दिवस भी है। मां सरस्वती ज्ञान, कला, संगीत और वाणी की देवी हैं जो तीन महादेवियों में से एक हैं। इनका जन्म दिवस होने के कारण भी बसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। मुख्यत: ऋतुराज बसंत के स्वागत में इस दिन को मनाया जाता है। बसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) से ही सर्दियां कम होने लगती हैं।

बसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) के दिन पीले रंग के कपड़े धारण करने के साथ कई नियमों का पालन किया जाता है। चलिए जानते हैं बिहार में कैसे मनाया जाता है बसंत पंचमी का त्योहार।

 माता सरस्वती को खीर और मालपुए का लगाया जाता है भोग ( Basant Panchami Mehndi )

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बिहार में बसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) के दिन सरस्वती पूजा की धूम रहती है। यहां पर सुबह नहाने के बाद पीले रंग के कपड़े पहनते है और माथे पर हल्दी का तिलक लगाया जाता है। यहां घर-घर में माता सरस्वती की पूजा की जाती है। गलियों, चौराहों एवं स्कूलों में सरस्वती माता की पूजा का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर बिहार के लोग माता सरस्वती को खीर और मालपुए का भोग लगाते हैं। माता को पीले और केसरिया रंग की बूंदी अर्पित करते हैं। बसंत पंचमी के दिन मीठा खाने की परंपरा है इसलिए लोग मालपुए, खीर एवं बूंदी खाते और बांटते हैं। इस दौरान महिलाएं माता सरस्वती की तस्वीर वाली मेहंदी( Basant Panchami Mehndi Design) अपने हाथों पर रचाती हैं। 

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पीला रंग ऊर्जा, सात्विकता और बलिदान का प्रतीक है प्रतीक ( Basant Panchami Mehndi Design)

सनातन धर्म में पीला रंग बेहद शुभ माना जाता है। यह ऊर्जा, सात्विकता और बलिदान का प्रतीक है। बसंत पंचमी (Basant Panchami 2025) के दिन पीले रंग का भोजन करने का तात्पर्य है कि हमारे शरीर में ऊर्जा की वृद्धि हो, हम सात्विक बनें और हमारे मन में परोपकार की भावना जाग्रत होती रहे। 


 


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Ramanjot

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