झारखंड में पलाश के फूल से केमिकल फ्री प्राकृतिक रंग-अबीर बनाते हैं ग्रामीण

3/19/2022 10:52:02 AM

 

रांचीः झारखंड के जंगलों में समय-समय पर कई तरह के फूल खिलते हैं और उसी में एक है पलाश के फूल, जो खासतौर से बसंत ऋतु के आगमन पर ही खिलते हैं। फगुआ के समय में तो ये फूल अपने पूरे शबाब पर होते हैं। होली के मौके पर इस पलाश के फूल का अपना एक खास महत्व होता है।

राज्य में ग्रामीण इलाके के लोग पलाश के फूलों से केमिकल फ्री रंग और अमीर बनाते हैं और उसका उपयोग होली में करते हैं। झारखंड के जंगलों में इन दिनों चारों ओर लाल-लाल खूबसूरत फूलों का नजारा दिखता है। ये पलाश के फूल होते हैं जो खासतौर पर बसंत के आगमन पर ही खिलतें हैं। झारखंड के प्रमुख लोक कलाकार पद्मश्री मधु मंसूरी बताते हैं कि पलाश के वृक्ष झारखंड के जंगलों में वृक्षों की माता के समान होती। जिस जंगल में पलाश के पेड़ नहीं होते हैं, वह जंगल बनावटी जंगल लगता हैं।

मंसूरी का कहना है कि पलाश के फूल ने अक्सर यहां के कवि एवं साहित्यकारों को अपनी ओर आकर्षित किया है। हमारे पुराने शास्त्रों एवं कथाओं में भी पलाश के फूलों की चर्चा है। प्रकृति ने झारखंड को कई खूबसूरत तोहफों से नवाजा है उसी में एक है पलाश के फूल। झारखंड सरकार ने पलाश के फूल को राजकीय फूल का दर्जा प्रदान किया है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Diksha kanojia

Recommended News

Related News

static