आज झारखंड के महान दिग्गजों का जन्मदिन, संघर्ष भरा रहा इनका सफर
Saturday, Jan 11, 2025-12:51 PM (IST)
रांची: आज यानी 11 जनवरी को झारखंड के 2 महान दिग्गजों का जन्मदिन है। आज दिशोम गुरू शिबू सोरेन और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का जन्मदिन है। आज दिशोम गुरू शिबू सोरेन 81 साल के हो गए हैं तो वहीं, बाबूलाल मरांडी 67 साल के हो गए हैं।
3 बार झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं शिबू सोरेन
1944 में शिबू सोरेन का जन्म रामगढ़ के नेमरा गांव में हुआ था। शिबू सोरेन से दिशोम गुरू बनने की उनकी कहानी काफी संघर्ष भरी है। शिबू सोरेन ने दसवीं तक की पढ़ाई की है। शिबू सोरेन के पिता सोबरन मांझी की 1957 में हत्या कर दी गई थी। वो महाजनी प्रथा के खिलाफ लगातार आंदोलन कर रहे थे। अपने पिता की हत्या के बाद ही शिबू सोरेन आदिवासी हित में उग्र होकर बोलने लगे। उन्होंने धान काटो आंदोलन चलाया। झारखंड मुक्ति मोर्चा का 1972 में गठन हुआ। शिबू सोरेन ने अलग झारखंड की मांग को लेकर आंदोलन चलाया। आपातकाल में उनके नाम का वारंट निकला, उन्होंने तब सरेंडर कर दिया। दिशोम गुरु झारखंड के 3 बार मुख्यमंत्री बने। वो पहली बार 1977 में चुनाव लड़े, तब वो हार गए। उसके बाद उन्होंने संथाल की ओर अपना रूख किया। 1980 में वो पहली बार दुमका से जीते। वो 8 बार यहां से जीते। शिबू सोरेन दो बार राज्यसभा सांसद भी बने। केंद्र में उन्होंने कोयला मंत्रालय का भार भी संभाला।
शिबू सोरेन के 3 बेटे हैं- दुर्गा सोरेन, हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन। शिबू सोरेन के बेटे दुर्गा सोरेन का 40 साल की उम्र में निधन हो गया। आधिकारिक रूप से उनकी मौत के कारणों के बारे में कुछ नहीं बताया गया है। अटकलें लगाई गई कि बाप-बेटे में किसी बात को लेकर नोकझोंक हुई थी जिसके बाद दुर्गा ने अधिक मात्रा में नींद की गोलियां खा ली थीं। दूसरी तरफ ये भी अटकलें लगाई गई कि उन्हें शराब की लत थी, जिससे उनका गुर्दा खराब हो गया था। वहीं, बात करें शिबू सोरेन के दूसरे बेटे हेमंत सोरेन की तो वह झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। हेमंत सोरेन ने भारी मतों से लगातार दूसरी बार जीत हासिल की। वहीं, शिबू सोरेन के तीसरे बेटे बसंत सोरेन तो वह वर्तमान में दुमका के विधायक हैं। शिबू सोरेन की बहूएं सीता सोरेन और कल्पना सोरेन दोनों राजनीति में हैं। कल्पना सोरेन वर्तमान में गांडेय की विधायक है।
शिक्षक से मुख्यमंत्री तक का सफर रहा कठिन
वहीं, बाबूलाल मरांडी का भी आज जन्मदिन है। आज वे 67 वें साल में प्रवेश कर गये हैं। उनका जन्म 11 जनवरी 1958 में गिरिडीह के कोदाईबांक गांव में हुआ था। वो किसान परिवार से आते हैं। उन्होंने शिक्षक से मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया है। बाबूलाल मरांडी कॉलेज के दिनों से ही आरएसएस से प्रभावित होकर संघ से जुड़ गये थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह गांव के ही एक प्राथमिक स्कूल में टीचर थे। नौकरी करने के दौरान एक बार उन्हें किसी काम से शिक्षा विभाग जाना पड़ा। वहां पर कार्यरत क्लर्क ने उनसे पैसे मांग लिये। बाबूलाल मरांडी ने इसका विरोध किया, लेकिन सरकारी बाबू अपनी जिद में अड़ा हुआ था। इसके बाद वह घर आए और नौकरी से इस्तीफा दे दिया। बाबूलाल मरांडी कुछ सालों तक विश्व हिंदू परिषद के सचिव भी रहे। साल 1991 में वे पहली बार भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन हार गये। उस वक्त संताल में शिबू सोरेन का प्रभाव इतना था कि कोई भी आम नेता उन्हें चुनौती नहीं दे सकता था। साल 1998 उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। 1998 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें पार्टी की कमान सौंपी और उसी साल उन्होंने शिबू सोरेन को हरा दिया जिसके बाद उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी के कैबिनेट में मंत्री बनाया गया। झारखंड गठन के बाद वो यहां के पहले मुख्यमंत्री बने थे। 1990 में बाबूलाल मरांडी बीजेपी के संथाल परगना के संगठन मंत्री बने। बाबूलाल मरांडी दुमका में शिबू सोरेन के विजय रथ को रोका। वहां से सांसद बने। साल 2000 में झारखंड गठन के बाद वो राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने। साल 2003 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया। बाबूलाल मरांडी ने 2006 में अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया। तीन चुनाव लड़े। साल 2020 में उन्होंने पार्टी का विलय बीजेपी में कर दिया।