रघुवर सरकार के पांच मंत्रियों की संपत्ति की जांच भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो के हवाले

Wednesday, Jun 01, 2022-05:02 PM (IST)

रांचीः खनन घोटाले में फंसे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने और अपनी सरकार के कथित भ्रष्टाचार से संभवतः ध्यान हटाने और विपक्षी दल भाजपा पर दबाव बढ़ाते हुए भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (एसीबी) को पिछली रघुवर दास सरकार के पांच काबीना मंत्रियों के खिलाफ एक साथ आय से अधिक संपत्ति की जांच का निर्देश दिया है।

भाजपा ने इसे ‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे,' कहा है। झारखंड सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने मंगलवार देर शाम जारी एक विज्ञप्ति में बताया, ‘झारखंड उच्च न्यायालय में पिछली सरकार के मंत्रियों को लेकर आय से अधिक संपत्ति मामले में दर्ज जनहित याचिका के संदर्भ में राज्य सरकार ने एसीबी जांच का आदेश दिया।'' वर्ष 2020 में पंकज कुमार यादव नामक व्यक्ति ने झारखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल कर पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के पांच मंत्रियों की संपत्ति की जांच की मांग की थी। हेमंत सरकार ने कल कहा कि उसी जनहित याचिका को ही आधार बनाकर पूर्व सरकार के पांच मंत्रियों की संपत्ति की जांच का आदेश मुख्यमंत्री ने एसीबी को दिया है। उक्त याचिका में याचिकाकर्ता ने रघुवर दास की सरकार के मंत्री अमर कुमार बाउरी, नीरा यादव, नीलकंठ सिंह मुंडा, रणधीर सिंह एवं लुईस मरांडी के पास आय से अधिक संपत्ति होने का आरोप लगाया था। अब राज्य सरकार ने इन्हीं पांचों पूर्व मंत्रियों की संपत्ति की जांच करने के आदेश एसीबी को दिया है जिससे राज्य में राजनीतिक हड़कंप मच गया है।

ज्ञातव्य है कि रघुवर दास की सरकार में मंत्री रहे सरयू राय लगातार पूर्ववर्ती सरकार में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं और उन्होंने कई मौकों पर राज्य सरकार से उन मामलों की जांच की मांग भी की थी। समझा जाता है कि उपर्युक्त जनहित याचिका भी सरयू राय के सहयोग से ही दायर की गयी थी। हेमंत सोरेन के इस कदम की तीखी आलोचना करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता रघुवर दास ने आरोप लगाया कि स्वयं खान आवंटन घोटाले और अपनी सरकार के तमाम भ्रष्टाचार के मामलों में फंसने के बाद हेमंत सोरेन ने यह कदम वैसे ही उठाया है जैसे ‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।'' पूर्व मुख्मयंत्री ने यहां मीडिया से कहा, ‘‘जिसके इशारे पर वर्ष 2020 में रिट याचिका दायर की गयी थी उस ‘सुपारी नेता' की अपनी संपत्ति 2005 के तीस लाख रुपये से बढ़कर 2019 में साढ़े चार करोड़ रुपये हो गयी। ऐसे में पहले मुख्यमंत्री उस सुपारी नेता एवं अपनी तथा अपने मंत्रियों एवं विधायकों की संपत्ति की जांच करवा लें तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा कि वास्तव में भ्रष्ट कौन है?''

दास ने दो टूक कहा, ‘‘जब मुख्यमंत्री की अपनी कुर्सी खान आवंटन घोटाले में जाने की स्थिति में है और उनकी ढाई वर्ष पुरानी सरकार पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लग रहे हैं तो उससे ध्यान हटाने की कोशिश में राजनीतिक विद्वेष की भावना से उन्होंने उनके मंत्रिमंडल के पांच (पूर्व) मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो से जांच का आदेश दिया है जो और कुछ नहीं बल्कि ‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे' की स्थिति है।'' उन्होंने पूछा कि स्वयं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अपनी संपत्ति वर्ष 2014 में तीन करोड़ रुपये की थी और 2019 में बढ़कर यह आठ करोड़ हो गयी तो उनकी संपत्ति में आखिर यह ढाई सौ से तीन सौ प्रतिशत की वृद्धि कहां से हुई, इसकी जांच मुख्यमंत्री जी कब करवायेंगे? इस बीच पूर्व मंत्री अमर बाउरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री अपने और अपनी सरकार पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों के चलते तिलमिला गये हैं और राजनीतिक विद्वेष से काम कर रहे हैं। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, ‘‘मुख्यमंत्री में यदि नैतिकता है तो वह पूर्व सरकार के पांच वर्ष के कार्यकाल से लेकर अपनी सरकार के ढाई वर्ष के कार्यकाल तक की पूरी एसीबी जांच करवा लें और अपने मंत्रियों एवं विधायकों की भी संपत्ति की जांच करवा लें तो सब कुछ दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।'' 


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Content Writer

Diksha kanojia

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