रांची में आयोजित खादी मेला में उमड़ी लोगों की जबरदस्त भीड़, आदिवासी नगाड़े और बांसुरी की धुनों ने बांधा समां
Saturday, Jan 04, 2025-12:51 PM (IST)
रांची: झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, उद्योग विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव 2024-25 का जैसे-जैसे समापन की तिथि निकट आ रही है, वैसे-वैसे महोत्सव में लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है और बीते शुक्रवार को मेले में लगभग 10 हजार लोगों ने मेले का आनंद लिया।
महोत्सव में झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के स्टॉल में पुरुषों के लिए सूती, रेशमी, ऊनी बंडी, कुर्ता, पजामा, ड्रेस मैटरियल, टोपी, मफलर, शॉल के साथ- साथ महिलाओं के लिए भी ऊनी और रेशमी बंडी के अलावा सूती, रेशमी साड़ी, डिजिटल प्रिंटेड साड़ी, सोहराई प्रिंटेड साड़ी, म्यूरल साड़ी और मधुबनी प्रिंटेड साड़यिां खूब डिमांड में हैं। मेला परिसर में स्केचिंग का जीवंत प्रदर्शन किया जा रहा है। रांची के कलाकार रोशन कुमार लोगों की जीवंत पेंटिंग बना रहे है। ब्लैक एंड वाइट पेंटिंग 500 रुपये से शुरू है। वहीं रंगीन पेंटिंग की कीमत थोड़ी ज्यादा है। साबरमती आश्रम के जीवंत प्रदर्शनी में बच्चों का उत्साह देखा जा रहा है। यहां गांधी जी जुड़ी रोचक जानकारियां प्रदर्शनी में लगी चित्रों से प्राप्त की जा सकती है। कला एवं संस्कृति विभाग के द्वारा मलय कुमार साहू, एवं टीम सरायकेला-खरसांवा द्वारा सरायकेला छऊ नृत्य एवं रमण कुमार मिश्रा एवं दल रांची द्वारा भजन एवं गजल गायन की प्रस्तुती की गई। बच्चों के लिए आयोजित फेस पेंटिंग और रंगोली प्रतियोगिता दो आयु वर्ग में आयोजित की गई।
प्रतियोगिता में सफल प्रतिभागियों को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के तत्वावधान में टाइम्स ऑफ़ इंडिया के द्वारा ट्रैवल थ्रेड थीम पर 'खादी फैशन शो' का आयोजन किया गया। 'खादी फैशन शो' में खादी वस्त्रों से बने आधुनिक परिधानों का प्रदर्शन किया गया। हेरिटेज रिवाइवल कनेक्शन राउंड में खादी वस्त्रों से बने परिधानों को आदिवासी परंपराओं से जोड़ा गया। 'खादी फैशन शो' में खादी के धोती, कुर्ता, पजामा, रेशमी, उनी, सूती बंडी, शॉल, गर्म खादी कपड़े रेशमी, तसर, मधुबनी प्रिंटेड साड़यिां पहनकर मॉडलों द्वारा कैटवॉक किया गया। ट्रैवल फ्यूजन कलेक्शन राउंड में आदिवासी शैली को खादी से जोड़कर परिधानों का संग्रह प्रस्तुत किया गया। आदिवासी नगाड़े और बांसुरी की धुनों को लोगों ने खूब आनंद उठाया।