तुलसी जैसी औषधीय फसलों की खेती से जीवन बदलने में जुटे पलामू के किसान

11/29/2021 1:24:31 PM

 

पलामूः झारखंड के पलामू कम बारिश का क्षेत्र रहा है और ऐसे में वर्षा आधारित धान, गेहूं जैसे परंपरागत फसलों से अलग यहां के किसान वैकल्पिक एवं संभानाओं वाली खेती की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। पलामू प्रमंडल के किसानों में वैकल्पिक खेती की ओर रुझान बढ़ा है। इसी का परिणाम है कि पलामू के किसान तुलसी जैसे औषधीय फसलों की खेती में जुटे हैं।

पलामू जिले के हुसैनाबाद प्रखंड अंतर्गत दंगवार, डुमरहाथा के 20 किसानों ने अपनी 10 एकड़ से अधिक की भूमि पर तुलसी की खेती प्रारंभ की है। इसका फसल भी तैयार हो चुका है। औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी की खेती किसानों को व्यवसायिक द्दष्टिकोण से मजबूत बनाएगी और किसानों के लिए समृद्धि का द्वार खुलेगी। पहली बार में ही तुलसी की अच्छी खेती देखकर किसानों में काफी उत्साह व्याप्त है। फसल की गुणवत्ता को देखकर किसानों को इस ओर कदम बढ़ाना सार्थक लगने लगा है। साथ ही वे इसकी खेती के लिए यहां की मिट्टी और जलवायु भी उपयुक्त मान रहे हैं। कुछ अलग एवं नया करने की उनकी चाहत से हौसला भी बढ़ा है। इतना ही नहीं आसपास के किसानों में भी इसकी चर्चा खास बनी हुई है।

वहीं अन्य बुद्धिजीवी वर्ग भी पलामू में तुलसी की खेती होने की काफी सराहना कर रहे हैं। हुसैनाबाद के किसान प्रियरंजन सिंह ने बताया कि बीर कुवंर सिंह कृषक सेवा सहकारी समिति लिमिटेड डुमरहाथा के बैनर तले 3000 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से 10 किलोग्राम बीज केन्द्रीय औषधीय सुगंधित संस्थान, लखनऊ से लाया गया और काला तुलसी की खेती प्रारंभ की गयी। बीज लाने के बाद उसकी नर्सरी तैयार की गयी और करीब एक माह बाद खेतों में उसका रोपण किया गया। उन्होंने बताया कि यहां लगाए गए तुलसी की वेराइटी सिम सौमया है। जिसमें लौंग, इलाइची, पान आदि 4 तरह के सुगंध व्याप्त हैं।


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Content Writer

Diksha kanojia

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