झारखंड में नाबालिगों व महिलाओं सहित 15 माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण: पुलिस

4/12/2024 1:56:12 PM

 

रांचीः लोकसभा चुनाव से पहले सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी सफलता में झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में वांछित मिसिर बेसरा के दस्ते से जुड़े एक नाबालिग और दो महिलाओं सहित 15 माओवादियों ने अपने हथियार डाल दिए। पुलिस ने यह जानकारी दी। नक्सली दक्षिणी झारखंड के कोल्हान क्षेत्र में एशिया के सबसे घने साल के जंगल सारंडा में सक्रिय थे, जहां सुरक्षा बलों ने उग्रवादियों के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया है।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “बृहस्पतिवार को 15 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। वे सारंडा में सक्रिय थे और भाकपा (माओवादी) पोलित ब्यूरो सदस्य मिसिर बेसरा के दस्ते के सदस्य थे, जिसके सिर पर 1 करोड़ रुपए का इनाम है।” पश्चिमी सिंहभूम को देश के सबसे अधिक वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में से एक माना जाता है। पिछले साल यहां 46 माओवादी घटनाएं हुईं, जिनमें 22 मौतें हुईं। पश्चिम सिंहभूम के उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने बताया, “यह एक बड़ी उपलब्धि है और सिंहभूम निर्वाचन क्षेत्र में बिना किसी डर के स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।”

पुलिस मुख्यालय से जारी एक बयान में कहा गया, “संयुक्त सुरक्षा बलों ने विशेष रूप से उनके (माओवादियों के) ईआरबी (पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो) कमान को निशाना बनाया और हमारे निरंतर अभियानों के परिणामस्वरूप कोल्हान क्षेत्र से उनके ईआरबी मुख्यालय को नष्ट कर दिया गया है।” इसमें कहा गया, “अशांत क्षेत्रों में निरंतर संचालन और सुविधाजनक सुरक्षा माहौल और सुरक्षा बलों की पहुंच के कारण, स्थानीय दस्ते के सदस्यों को टीम को छोड़कर अपने परिवारों में शामिल होने और मुख्यधारा के समाज में सामान्य जीवन जीने के लिए प्रेरित किया गया है।” इसमें कहा गया है कि सुरक्षा बलों के प्रयासों के परिणामस्वरूप प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) के 15 सदस्यों ने जिला प्रशासन और सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। बयान में कहा गया है कि यह उजागर करना महत्वपूर्ण है कि वे सभी पश्चिमी सिंहभूम जिले के निवासी हैं और माओवादी नेताओं की करतूतों से असंतुष्ट हैं। आत्मसमर्पण करने वाले कुछ माओवादी सात-आठ वर्षों से सक्रिय थे। बयान में कहा गया, “सुरक्षा बलों के समक्ष सक्रिय स्थानीय दस्ते के सदस्यों का सामूहिक आत्मसमर्पण माओवादी नेताओं, विशेष रूप से मिसिर बेसरा जैसे वरिष्ठ कैडरों के प्रभाव में गिरावट को दर्शाता है, जो सबसे कुख्यात नक्सलियों में से एक रहा है।”

झारखंड की सिंहभूम लोकसभा सीट के माओवादी गढ़ के कई अंदरूनी इलाकों में 13 मई को पहली बार या दशकों के लंबे अंतराल के बाद मतदान होगा। सारंडा में रहने वाले लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने में सक्षम बनाने के लिए मतदान कर्मियों और सामग्रियों को हेलीकॉप्टरों से पहुंचाया जाएगा।


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Nitika

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