बिहार में वेटलैंड संरक्षण को मिलेगा नया आयाम, एडीब्‍ल्‍यूसी को मिलेगा संस्थागत स्वरूप

Saturday, May 10, 2025-07:55 PM (IST)

पटना:विश्व प्रवासी पक्षी दिवस के अवसर पर  शनिवार को “एशियन वॉटरबर्ड सेंसस इंडिया कोऑर्डिनेटर्स मीटिंग” का आयोजन किया गया। यह दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक वेटलैंड संरक्षण, जलपक्षियों की निगरानी और राज्य-स्तरीय पहलों पर केंद्रित रही।

इस दो दिवसीय बैठक के पहले दिन मुख्य अतिथि के रूप में बिहार सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. सुनील कुमार, विभाग की अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बमहरा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) प्रभात कुमार गुप्ता, और मुख्य वन्यजीव संरक्षक अरविन्दर सिंह समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

मंत्री डॉ. सुनील कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि “आर्द्रभूमियों का संरक्षण, सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एडब्ल्यूसी जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से हमें प्रकृति के साथ संतुलन स्थापित करने का मौका मिलता है।” अपर मुख्य सचिव हरजोत कौर बमहरा ने कहा कि “बिहार अपनी समृद्ध वेटलैंड विरासत के लिए जाना जाता है और पक्षी हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के अभिन्न अंग हैं।”

बैठक में एडब्ल्यूसी इंडिया की अब तक की प्रगति, बीआरएमएस ऐप का उपयोग, बिहार में एडब्ल्यूसी  को संस्थागत रूप देने की प्रक्रिया और भविष्य की कार्ययोजनाओं पर चर्चा की गई।

इस बैठक की सबसे खास बात भारत के विभिन्न राज्यों से आए एडब्ल्यूसी राज्य समन्वयकों की प्रस्तुतियां रहीं। गुजरात से लेकर जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, उत्तराखण्ड, झारखंड, पश्चिम बंगाल, गोवा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में किए गए जलपक्षी गणना कार्य, वेटलैंड की स्थिति और संरक्षण योजनाओं पर विस्तार से जानकारी साझा की।

एडब्ल्यूसी समन्वयकों की इन प्रस्तुतियों से  राज्य-स्तरीय प्रयासों की झलक देखने को मिली। इस बैठक में देश के विभिन्न राज्यों से  पर्यावरणविदों , शोधकर्ताओं और अधिकारियों ने भाग लिया। 
यह बैठक बिहार के एडब्ल्यूसी को संस्थागत बनाने और आर्द्रभूमि संरक्षण को आगे बढ़ाने में नेतृत्व को रेखांकित करती है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Ramanjot

Related News

static