उपेंद्र कुशवाहा ने खोल दिया चिराग पासवान की बंद किस्मत का ताला

3/22/2021 6:43:36 PM

 

पटना(विकास कुमार): विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान के बीच तनाव चरम पर था। चिराग पासवान लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे थे। बिहार में विकास, बेरोजगारी, नौकरशाही के दबदबे जैसे मुद्दों पर चिराग ने नीतीश बाबू के खिलाफ सियासी जंग का ऐलान कर दिया था।

नीतीश और चिराग के बीच अदावत का सीधा फायदा आरजेडी को मिला और विधानसभा में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। कई सीटों पर जनता दल यूनाइटेड को हार का सामना करना पड़ा। इससे नीतीश बाबू का सियासी कद भी एनडीए के भीतर घट गया। इसकी खीझ नीतीश बाबू ने चिराग पासवान पर निकाली। विधानसभा चुनाव में सीटों का नुकसान झेलने के बाद नीतीश का गुस्सा भी सातवें आसमान पर चला गया था। उन्होंने बीजेपी को साफ संदेश दिया था कि किसी भी सूरत में चिराग पासवान को एनडीए से दूर रखा जाए। एक तरह से पिता के दिवंगत होने के बाद चिराग चौतरफा संकट से घिर गए थे। विधानसभा चुनाव में लोजपा फेल हुई थी और नीतीश बाबू ने चिराग के खिलाफ पटना से दिल्ली तक तलवार खींच ली थी, लेकिन एक पुरानी कहावत है कि बुरा वक्त भी जैसे तैसे कट ही जाता है।

लगता है कि चिराग पासवान का बुरा वक्त अब खत्म होने ही वाला है। बिहार में जो नए सियासी रिश्ते गढ़े गए हैं उससे अगर सबसे ज्यादा फायदा किसी को हुआ है तो वह चिराग पासवान ही हैं। चिराग को सबसे ज्यादा फायदा उपेंद्र कुशवाहा ने पहुंचाया है। उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू में घर वापसी कर ली है और नीतीश बाबू ने भी दिल खोलकर अपने बिछड़े हुए छोटे भाई का स्वागत किया है। उपेंद्र कुशवाहा के जेडीयू में शामिल होते ही बीजेपी को अब चिराग को यूनियन कैबिनेट में जगह देने का एक बहाना मिल गया है। लंबे समय से नीतीश कुमार पर्दे के पीछे से चिराग की एनडीए में वापसी में रोड़े अटकाने में लगे थे, लेकिन अब बदलती सियासी परिस्थितियों ने चिराग पासवान की एनडीए में वापसी की राह आसान बना दी है। बीजेपी के नेता अब नीतीश बाबू के विरोध पर कुशवाहा का उदाहरण दे सकते हैं, क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा ने बसपा और ओवैसी के साथ गठजोड़ कर नीतीश कुमार के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा था।

नीतीश बाबू ने इस कड़वाहट को भूलाकर लव कुश समीकरण को मजबूत कर लिया है। ऐसे में बीजेपी का आलाकमान भी नीतीश बाबू को ये बता सकता है कि अगर आप कुशवाहा को साथ ला सकते हैं तो फिर आप चिराग को एनडीए में आने से रोकने का नैतिक आधार नहीं रखते हैं। पिछले कई महीनों से चिराग पासवान भी चुपचाप सारा तमाशा देख रहे हैं। चिराग पासवान टकटकी लगाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तरफ देख रहे हैं। चिराग पासवान को अभी भी एनडीए में सम्मानजनक वापसी की उम्मीद है। वैसे उपेंद्र कुशवाहा ने चिराग की इस उम्मीद को नई उड़ान दी है। दिल्ली के सियासी गलियारों में मोदी कैबिनेट के विस्तार की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। नवंबर महीने तक मोदी कैबिनेट के विस्तार की कयास लगाई जा रही है। इसमें बिहार से शामिल कुछ केंद्रीय मंत्रियों का नाम कटने की चर्चा भी अंदरखाने चल रही है। बीजेपी से जहां सुशील मोदी कैबिनेट में शामिल होने की कतार में खड़े हैं। साथ ही जेडीयू से ललन सिंह और आरसीपी सिंह के बीच मोदी कैबिनेट में शामिल होने की रस्साकस्सी चल रही है तो वहीं चिराग पासवान भी बदले माहौल में यूनियन कैबिनेट में एक सीट पाने को लेकर आश्वस्त हो गए हैं।

उपेंद्र कुशवाहा ने रालोसपा के ऑफिस का ताला बंद कर चिराग पासवान के बंद किस्मत के ताले को तो खोल ही दिया है। वैसे भी आने वाले सियासी संग्राम में चिराग पासवान और बीजेपी को एक-दूसरे की जरुरत तो पड़नी ही है। खासकर बीजेपी और कुछ हद तक नीतीश बाबू भी चिराग पासवान को तेजस्वी यादव के गोद में बैठने नहीं देंगे। इसलिए देर सबेर चिराग बाबू की किस्मत चमकनी तय है।
 


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Nitika

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