534 मोबाइल पशु चिकित्सा इकाईयों एवं कॉल सेन्टर का लोकार्पण एवं शुभारंभ एक महत्वपूर्ण पहलः मंत्री रेणु देवी
Tuesday, Sep 10, 2024-12:03 PM (IST)
पटना: पशुपालकों के द्वार पर पशु चिकित्सा (डोर स्टेप पशु चिकित्सा सेवा) सुविधा उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई, कॉल सेन्टर एवं मोबाईल एप्प का लोकार्पण एवं शुभारंभ सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कर कमलों द्वारा किया गया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा हरी झंडी दिखाकर मोबाइल पशु चिकित्सा इकाईयों को विभिन्न प्रखंडों हेतु रवाना किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की मंत्री रेणु देवी द्वारा की गई।
कार्यक्रम के उपरांत सूचना भवन के संवाद कक्ष में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए रेणु देवी ने उक्त जानकारियां देते हुए बताया कि 534 मोबाईल पशु चिकित्सा इकाईयों एवं कॉल सेन्टर का लोकार्पण एवं शुभारंभ राज्य के पशु चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने आगे बताया कि पशुपालकों को अपने बीमार पशुओं को पशु चिकित्सालय तक लाने में होने वाली कठिनाईयों को देखते हुए पशुपालकों के द्वार पर पशु चिकित्सा (डोर स्टेप पशु चिकित्सा सेवा) सुविधा उपलब्ध कराने हेतु राज्य के सभी 534 प्रखंडों हेतु एक-एक मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई के परिचालन की व्यवस्था की गई है। उक्त 534 मोबाइल पशु चिकित्सा इकाईयों में से 307 इकाईयों का क्रय केन्द्र प्रायोजित योजना 'राष्ट्रीय पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत Establishment and Strengthening of Veterinary Hospitals and Dispensaries Mobile Veterinary Units (ESVHD-MVU) के अन्तर्गत केन्द्र सरकार द्वारा प्रदत्त राशि से एवं शेष इकाईयों का क्रय राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना "आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय-2' के अन्तर्गत राज्य सरकार के संसाधनों से किया गया है।
मोबाइल पशु चिकित्सा इकाईयों के परिचालन से सुदूर इलाकों से बीमार पशुओं को पशु चिकित्सालय लाने में होने वाली कठिनाईयों से पशुपालकों को राहत मिलेगी, बीमार पशुओं को पशु चिकित्सालय लाने में लगने वाले समय एवं व्यय की बचत होगी, अस्वस्थ पशुओं की त्वरित एवं गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा संभव हो सकेगी, त्वरित एवं गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा के फलस्वरूप पशुओं के स्वास्थ्य एवं उत्पादकता में सुधार लाया जा सकेगा, पशुओं में संक्रामक रोग फैलने की स्थिति में रोग की त्वरित जांच एवं प्रभावी नियंत्रण किया जा सकेगा तथा पशुपालकों के बीच विभागीय योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जाएगा।