गयाजी में आज से शुरू हुआ पिंडदान, सुरक्षा के कड़े प्रबंध; जगह-जगह पुलिस कर्मियों की तैनाती
Sunday, Sep 07, 2025-05:51 PM (IST)

Gaya ji News: बिहार की धार्मिक नगरी गया जी में सुरक्षा के कड़े प्रबंध के बीच आज से पिंडदान कर्मकांड शुरू हो गया। इस बार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने स्वयं इस पिंडदान मेले की शुरुआत से पहले तैयारियों का जायजा लिया था और सुरक्षा के चाकचौबंद व्यवस्था के निर्देश दिए थे। इस बार पिंडदान को लेकर जगह-जगह पुलिस कर्मियों की तैनाती के साथ तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए प्रमुख चौक चौराहों पर शिविर बनाया गया है। इन शिविरों में तीन शिफ्टों में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई हैं।
चाय, बिस्किट, पेयजल आदि की निशुल्क व्यवस्था
इसके अलावा स्वयं सेवी संस्थाओं के द्वारा शिविर लगाकर तीर्थ यात्रियों को चाय, बिस्किट, पेयजल आदि की निशुल्क व्यवस्था की गई है। जिला प्रशासन के द्वारा भी कंट्रोल रूम बनाया गया है, जहां किसी भी तरह की जानकारी तीर्थयात्री ले सकते हैं। आगामी 21 नवंबर तक चलने वाले पिंडदान कर्मकांड पितृपक्ष मेले में आज पहले दिन देवघाट पर पिंडदानियों के द्वारा पितरों की मोक्ष कामना को लेकर पिंडदान कर्मकांड किया गया। इसके साथ ही फल्गु नदी के जल से तर्पण कर्मकांड किया गया। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ के लिए फल्गु नदी के तट पर गया जी में श्राद्ध और पिंडदान किया था।
भगवान विष्णु ने गयासुर नमक दैत्य को दिया था वरदान
एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु ने गयासुर नमक दैत्य को वरदान दिया था कि जहां उसका शरीर पत्थर बन कर फैला है, वहां किए गए पिंडदान से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी। मान्यताओ के अनुसार पिंड दान करने से पुत्र को पिता के ऋण से भी मुक्ति मिलती है । स्थानीय पंडा संदीप शास्त्री ने बताया कि वैसे तो देश में कई स्थानों पर पिंडदान कर्मकांड किया जाता है, लेकिन गयाजी में पिंडदान का सबसे ज्यादा महत्व है। ऐसा माना जाता है, यहां पिंडदान कर्मकांड करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृपक्ष मेला के दौरान अगर कोई व्यक्ति फल्गु नदी के जल को छू ले तो उसके सात कुलों का उद्धार होता है। गया में वैसे तो कई प्रमुख पिंड वेदियां है, जहां श्राद्ध कर्मकांड होता है, लेकिन मुख्य रूप से विष्णुपद मंदिर, देवघाट, फल्गु नदी, सीताकुंड, प्रेतशिला, रामकुंड, मातंगवापी, अक्षयवट, धर्मारण्य आदि पिंड वेदियों पर तीर्थ यात्रियों के द्वारा पिंडदान कर्मकांड किया जाता है।