JDU के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. रणबीर नंदन ने कहा- कोरोना काल में बिहार की प्रगति दूसरे राज्यों के लिए बड़ी नजीर
Saturday, Feb 26, 2022-06:04 PM (IST)

पटना. बिहार के आर्थिक सर्वेक्षण में स्पष्ट दिखा है कि जब कोरोना काल में देश का विकास दर निगेटिव हो गया था, उस स्थिति में भी माननीय मुख्यमंत्री नीतीश नीतीश कुमार जी की दूरदर्शिता और कुशल प्रबंधन के कारण बिहार की अर्थव्यवस्था ढाई फीसदी की दर से बढ़ी। इस संबंध में जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधान पार्षद डॉ. रणबीर नंदन ने कहा कि कोरोना काल में बिहार का विकास दूसरे सभी राज्यों के लिए नजीर है। साथ ही विपक्ष के नेताओं के लिए भी यह जानने की बात है कि अनर्गल प्रलाप से नहीं, दृढ़शक्ति और दूरदर्शी नेतृत्व से विकास होता है।
जदयू प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि यह माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी की नीतियों का ही प्रतिफल रहा कि वर्ष 2020-21 में राज्य का अपने कर से आय 36543 करोड़ था, जबकि 2019-20 के 33858 करोड रुपए हो गया। राज्य की अर्थव्यवस्था जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे ही राज्य के प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी हो रही है। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से सरकार द्वारा सामाजिक क्षेत्र में निवेश बढ़ने और अन्य आर्थिक गतिविधियों में लगातार हो रहेे सुधार के चलते हो रहा है। समावेशी विकास नीति के कारण अब सरकारी की कल्याणकारी योजनाओं की राशि भी समाज के निचले पायदान पर खड़े लोगों तक पहुंच रहा है।
डॉ. नंदन ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने समाज के हर तबके का ख्याल रखा है। उनके विकास का असर समाज के हर पायदान के लोगों तक पहुंचा है। वर्ष 2012-13 में बिहार में प्रति व्यक्ति आय 26459, 2013-14 में 29251 रुपए हो गई। 2015-16 में यह आंकड़ा 33218 तक पहुंचा, 2016-17 में 37052, 2017-18 में 40065, 2018-19 में 44451 और 2020-21 में बिहार में प्रति व्यक्ति आय 50555 रुपए हो गई।
पूर्व विधान पार्षद ने कहा कि बिहार ने प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी के साथ शहरीकरण के स्तर में भी लगातार बढ़ोतरी की है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में शहरीकरण का स्तर मात्र 11.3 फीसदी था जो अब बढ़कर 15.3 फीसदी हो गया है। वर्ष 2015-16 में नगर विकास विभाग का खर्च 1648 करोड़ था जो 2019-20 यानी 5 वर्षों में बढ़कर 2766 करोड़ हो गया है। उसी तरह आवास बनाने पर खर्च वर्ष 2015-16 में 1486 करोड़ था जो 2019-20 यानी 5 वर्षों में चौगुना बढ़कर 5658 करोड़ हो गया है।