Dev Uthani Ekadashi 2025 Date: 01 या 02 नवंबर — कब करें व्रत? जानें शुभ मुहूर्त और खास उपाय
Wednesday, Oct 29, 2025-08:41 AM (IST)
Dev Uthani Ekadashi 2025 Date: वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागृत होते हैं और चातुर्मास का समापन होता है। यही से शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। इस साल देवउठनी एकादशी का व्रत 01 नवंबर को रखा जाएगा, जबकि पारण 02 नवंबर को किया जाएगा। जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण का सही समय।
देवउठनी एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष देवउठनी एकादशी का व्रत 01 नवंबर को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि 01 नवंबर की सुबह 09:11 बजे से शुरू होकर 02 नवंबर की सुबह 07:31 बजे तक रहेगी।
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:50 से 05:41 तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 01:55 से 02:39 तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:36 से 06:02 तक
देवउठनी एकादशी 2025 पारण का समय
व्रत का पारण अगले दिन यानी 02 नवंबर 2025 को किया जाएगा। पारण का शुभ समय दोपहर 01:11 बजे से लेकर 03:23 बजे तक रहेगा। इस दौरान व्रती भगवान विष्णु को प्रसाद चढ़ाकर व्रत का समापन करते हैं।
देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु का जागरण
धार्मिक मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं। इस दिन से ही शुभ कार्य जैसे — विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन और व्रत उत्सव दोबारा शुरू होते हैं।
आर्थिक तंगी से मुक्ति का दिन
देवउठनी एकादशी पर भगवान लक्ष्मी-नारायण की पूजा करने से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है। कहा जाता है कि श्रीहरि विष्णु का दूध से अभिषेक और लक्ष्मी पूजन करने से घर में धन-संपन्नता आती है।
देवउठनी एकादशी का महत्व
यह तिथि भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के जागरण का प्रतीक मानी जाती है। इस दिन पूजा करने से समस्त पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
देवउठनी एकादशी पर करें ये उपाय, दूर होगी आर्थिक तंगी
इस दिन भगवान लक्ष्मी-नारायण (Lakshmi Narayan Puja) की विधिवत पूजा करने से आर्थिक संकट खत्म होते हैं।
सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु का कच्चे दूध से अभिषेक करें और नीचे दिए गए मंत्रों का जाप करें —
विष्णु मंत्र
"शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्।
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्॥
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्।
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥"
धन्वंतरि मंत्र
"ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतरायेः
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धन्वंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥"
आस्था और विज्ञान दोनों का संगम
देवउठनी एकादशी को “प्रबोधिनी एकादशी” भी कहा जाता है। यह दिन धार्मिक ही नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह सकारात्मक ऊर्जा, नए आरंभ और आस्था की पुनर्स्थापना का प्रतीक है।

