मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की महिलाओं को दिखाई है विकास की नई दिशा, शिक्षा और नौकरी मिलने से बेटियों की बदली किस्मत
Saturday, Jun 21, 2025-12:31 PM (IST)

पटना (विकास कुमार): 90 के दशक में बिहार की गिनती एक पुरुष प्रधान वाले राज्यों में होती थी। पहले बिहार के लोग अपनी बेटियों को पढ़ाने पर जोर नहीं देते थे। परिवार के बेटों को तो पढ़ने का अवसर मिलता था लेकिन बेटियों को शादी होने तक घर में बिठा कर रखा जाता था। महिलाओं की स्थिति में सुधार लाए बिना बिहार के सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था को विकास की पटरी पर दौड़ाना नामुमकिन सा हो गया था। जब नीतीश कुमार ने पहली बार बिहार की सत्ता संभाली तभी उन्होंने इस समस्या को समझ लिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की महिलाओं के उत्थान के लिए एक के बाद एक कर कई बड़े फैसले लिए हैं। बेटियों को साइकिल का तोहफा दिया गया ताकि वे स्कूल आराम से जा सकें। वहीं बेटियों को पोशाक योजना का लाभ दिया गया और इससे गरीब परिवार की बेटियों भी सम्मान के साथ स्कूल जाने लगीं। वहीं बेटियों को पहली क्लास से लेकर ग्रेजुएशन तक स्कॉलरशिप देने का इंतजाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला सशक्तिकरण के लिए राज्य में विभिन्न योजनाएं चलाई हैं। मुख्य तौर पर निम्नलिखित योजनाओं ने महिलाओं के सामाजिक,शैक्षणिक,सांस्कृतिक और आर्थिक सशक्तिकरण में अहम भूमिका अदा की है:-
*मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना
* मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना
* मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना
* मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना
*मुख्यमंत्री सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना
*जीविका दीदी
महिलाओं के लिए चलाई जा रही योजनाओं पर बिंदुवार चर्चा
महिलाओं की शिक्षा के क्षेत्र में हुआ क्रांतिकारी बदलाव
* पहले बेटियों को शिक्षा से वंचित रखा जाता था, अब सरकारी योजनाओं ने उन्हें स्कूल तक पहुंचाया।
* मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना के तहत 9वीं कक्षा की छात्राओं को ₹3000 साइकिल के लिए दिए जाते हैं।
* मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना के तहत कक्षा 1 से 12 तक की छात्राओं को ₹600 से ₹1500 की पोशाक राशि दी जाती है।
* मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना से बेटियों को ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई के लिए ₹94,100 तक की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
बिहार में महिलाओं को सरकारी नौकरी में मिला आरक्षण
* पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को दिया गया 50 फीसदी आरक्षण।
* राज्य की सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित किया गया।
* शिक्षक नियोजन (कक्षा 1-5) में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया गया।
सिविल सेवा की तैयारी में महिलाओं की सरकार ने की मदद
* मुख्यमंत्री सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना-
* UPSC प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर महिलाओं को दी जा रही है 1 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि।
* BPSC प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर महिला को मिलती है 50,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि।
महिलाओं को बनाया गया उद्यमी (मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना)
* महिलाओं को ₹10 लाख तक की सहायता – ₹5 लाख अनुदान + ₹5 लाख ब्याज मुक्त ऋण।
* ऋण चुकाने की अवधि 84 महीने (7 साल), कोई ब्याज नहीं।
* योजना का क्रियान्वयन बिहार स्टार्टअप फंड द्वारा।
‘जीविका’ योजना से ग्रामीण महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
* 2007 में शुरू की गई जीविका दीदी योजना 38 जिलों के 534 ब्लॉकों में संचालित हो रही है।
* महिलाओं को Self Help Group (SHG) के माध्यम से जोड़ा गया।
* प्रत्येक समूह को ₹30,000 की सरकारी वित्तीय सहायता दी जाती है।
* शुरुआत में सफल भुगतान के बाद बैंक ₹1.5 लाख तक का लोन देती है।
* 1.3 करोड़ महिलाएं जीविका से जुड़ चुकी हैं।
महिलाओं की सुरक्षा और सामाजिक सुधार पर जोर
*महिलाओं की मांग पर शराबबंदी कानून लागू किया गया।
* घरेलू हिंसा और नशाखोरी से महिलाओं को मिली राहत।
मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के अन्तर्गत राज्य सरकार बेटियों के जन्म से लेकर स्नातक तक की पढ़ाई के लिए सभी जरूरतों का ख्याल रखती है। इसके लिए विभिन्न चरणों में 94 हजार 100 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना के तहत कक्षा एक से 12 तक की छात्राओं को पोशाक के लिए छह सौ से पंद्रह सौ रुपए का प्रावधान राज्य सरकार की ओर से किया गया है। मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना के अन्तर्गत सरकारी विद्यालय में कक्षा नौवीं में पढ़ने वाली छात्राओं को साइकिल के लिए तीन हजार की राशि का प्रावधान किया गया है।
वहीं मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना के तहत अपना उद्यम स्थापित करने के लिए महिलाओं को दस लाख रुपए की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है। इसमें पांच लाख अनुदान और पांच लाख ब्याज मुक्त ऋण का प्रावधान राज्य सरकार की ओर से किया गया है। मुख्यमंत्री सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत महिला अभ्यर्थियों के यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने पर एक लाख रुपए और बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने पर पचास हजार रुपए प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
महिलाओं के कल्याण के लिए नीतीश बाबू ने चलाई कई योजनाएं
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे पहले लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान दिया। स्कूल में लड़कियों के नामांकन में इजाफे के लिए सरकार ने बिहार में बालिका साइकिल योजना शुरू की थी। साथ ही स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों को मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना से ड्रेस मुहैया कराया गया। महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए नीतीश बाबू ने एक बड़ा ऐतिहासिक फैसला लिया। उन्होंने पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया। वहीं नीतीश बाबू ने सरकारी नौकरी में महिलाओं की भागीदारी के लिए पहली बार बिहार में महिला आरक्षण का भी प्रावधान लागू किया। शिक्षक नियोजन में वर्ग 1 से 5 तक में टीचरों की बहाली में महिलाओं को 50 फीसदी का आरक्षण दिया गया। बिहार सरकार की तमाम सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण नीतीश कुमार ने ही दिलाया। साथ ही मुख्यमंत्री सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत महिला अभ्यर्थियों को यूपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने पर एक लाख रुपए और बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने पर पचास हजार रुपए प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाने का प्रावधान भी किया गया है।
महिलाओं को उद्यमी बनाने की सरकार की योजना
नीतीश बाबू को ये पता था कि केवल सरकारी नौकरी में आरक्षण देने से ही महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति नहीं बदलने वाली है। इसलिए उन्होंने महिलाओं को उद्यमी बनाने की योजना बनाई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं को लघु उद्योग खड़ा करने में भी मदद की है। नीतीश बाबू ने मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना के तहत महिलाओं को अपना उद्यम स्थापित करने के लिए दस लाख रुपए की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया है। इसमें पांच लाख अनुदान और पांच लाख ब्याज मुक्त ऋण का प्रावधान नीतीश सरकार की ओर से किया गया है। इस योजना में महिलाओं को महज 5 लाख रुपए ही सरकार को वापस चुकाने होते हैं।महिलाओं को इस लोन के लिए ब्याज भी नहीं देना पड़ता है। लोन के रूप में मिले 5 लाख रुपए को एक साल के बाद 84 मासिक किस्तों में चुकाना होता है। इस योजना का कार्यान्वयन बिहार स्टार्टअप फंड द्वारा किया जाता है। इस योजना के जरिए बिहार की महिलाएं सरकारी सहायता से अपने लिए रोजगार शुरू कर सकती हैं। साथ ही दूसरी महिलाओं के लिए भी रोजगार का सृजन कर सकती हैं।
‘जीविका’ योजना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदर्शिता का है प्रतीक
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ग्रामीण महिलाओं के उत्थान के लिए जीविका योजना की शुरुआत की है। 'जीविका' बिहार के ग्रामीण इलाकों में उन महिलाओं के लिए काफ़ी मददगार है जिनके पास आय का कोई साधन नहीं है। यह योजना बिहार के सभी 38 जिलों के सभी 534 ब्लॉक में चल रही है।जीविका के तहत सबसे पहले ग़रीब महिलाओं को चुना जाता है, जिनके पास आय का कोई साधन नहीं होता है।ऐसी 10 से 12 महिलाओं का एक सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाया जाता है, ताकि उन्हें किसी काम काज से जोड़ा जा सके।ऐसे हर ग्रुप का एक बैंक खाता खुलवाया जाता है और हर महिला को हफ़्ते में 10 रुपए बचाकर बैंक में जमा कराना होता है ताकि उनमें पैसे बचाने की आदत डाली जा सके। हर ग्रुप के खाते में बिहार सरकार की तरफ से भी 30 हज़ार रुपए जमा कराया जाता है। इसे प्रोजेस्ट फाइनेंसिंग कहा जाता है।स्वयं सहायता समूह की महिलाएं इससे कर्ज़ लेकर कोई भी काम शुरू कर सकती हैं।किसी भी ज़रूरत के लिए यहां से ग्रामीण महिलाएं लोन ले सकती हैं।इसका पैसा इन्हें ग्रुप के खाते में वापस करना होता है।यहां पैसे को सफलता से वापस करने के बाद बैंक ऐसे एक समूह को शुरू में डेढ़ लाख रुपए तक का लोन देती है।
'जीविका' योजना ने बदली बिहार के ग्रामीण इलाकों की तस्वीर
नीतीश सरकार ने साल 2007 में जीविका योजना लागू किया था। इस योजना का बिहार के ग्रामीण इलाकों पर सकारात्मक असर पड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक 'जीविका' योजना से राज्य की एक करोड़ 30 लाख महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इस योजना में एक परिवार से एक महिला को जोड़ा जाता है। बिहार की क़रीब आधी आबादी जीविका योजना से जुड़ी हुई है और ग्रामीण आबादी की बात करें तो करीब 60 फ़ीसदी आबादी सीधे तौर पर 'जीविका' से जुड़ी हुई है। ग्रामीण इलाके की महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में जीविका योजना की अहम भूमिका रही है,इसलिए केंद्र सरकार ने भी ‘जीविका’ को ‘आजीविका’ के रूप में अपना लिया है। जीविका योजना ने बिहार के ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका अदा की है।
नीतीश राज में लिखी गई बदलाव की नई गाथा
90 के दशक और अब के समय में बिहार में एक बड़ा फर्क आया है। अगर 90 के दशक में आप सुबह बिहार की सड़कों पर निकलते तो एक भी लड़की पढ़ने के लिए जाती हुई नजर नहीं आती थी, लेकिन पिछले दस सालों में ये तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है। अब बिहार की सड़कों पर सुबह में हजारों की तादाद में आत्मविश्वास से लबरेज बेटियां साइकिल चलाकर पढ़ने के लिए जाती नजर आ जाएंगी। इस सकारात्मक बदलाव का क्रेडिट आम तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही दिया जाता है।
बिहार में 2005 से पहले महिलाओं की स्थिति दयनीय थी। जब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की कमान संभाली है तब से ही उन्होंने महिलाओं के उत्थान पर खास ध्यान दिया है। नीतीश बाबू ने बिहार में महिलाओं को एक अलग सामाजिक और राजनीतिक समूह के तौर पर विकसित किया है। उन्होंने महिलाओं को ऐसे समूह के रूप में तैयार किया है, जो जात-पात से ऊपर उठकर उनका समर्थन करते हैं। नीतीश बाबू ने महिलाओं की सुरक्षा पर खास ध्यान दिया है। महिलाओं की सिफारिश पर ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून लागू किया था। शराबबंदी कानून से बिहार की महिलाओं को काफी फायदा हुआ है।महिलाओं को शराबी पति के हाथ से हो रहे उत्पीड़न से मुक्ति मिली है। साफ है कि एक सशक्त महिला विकसित परिवार और समाज का आधार होती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सफलता इस तथ्य में निहित है कि उन्होंने बिहार की महिलाओं को सशक्त कर बड़े सामाजिक,सांस्कृतिक और आर्थिक बदलाव का रास्ता प्रशस्त कर दिया है।