बिहार सरकार ने जारी की प्रेस विज्ञप्ति, हरित आवरण 15% से बढ़ाकर 17% किये जाने का रखा लक्ष्य
Monday, Oct 07, 2024-09:04 PM (IST)
पटना: बिहार राज्य के भौगोलिक क्षेत्रफल ने 2024 सूचना एवं जन संपर्क विभाग के सहयोग से सूचना भवन के संवाद कक्ष में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस का सम्बोधन डॉ० प्रेम कुमार, मंत्री, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार के द्वारा किया गया। इस अवसर पर वंदना प्रेयषी, सचिव, कंवल तनूज, विशेष सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, अरविन्द कुमार सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुरेंद्र सिंह, मुख्य वन संरक्षक, एस चन्द्रशेखर, मुख्य वन संरक्षक (आई०टी०) एवं विभाग के पदाधिकारी उपस्थित रहे।
1. हरित आवरण
* बिहार राज्य के भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 15% हरित आवरण से आच्छादित है। चतुर्थ कृषि रोड मैप में इसे बढ़ाकर 17% किये जाने का लक्ष्य है।
* जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत विभाग के द्वारा वन एवं वन से बाहर भूमि पर व्यापक पैमाने पर वृक्षारोपण कराया जा रहा है। किसानों के माध्यम से कृषि वानिकी के पौधारोपण एवं * जीविका दीदियों के सहयोग से उनकी भूमि पर पौधा रोपण किया जा रहा है।
* चतुर्थ कृषि रोड मैप के अंतर्गत वर्ष 2023-28 के अवधि में 20 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य है। वर्ष 2023-24 में 3.68 करोड़ * पौधे जबकि 2024-25 में 4.68 करोड़ *पौधारोपण के लक्ष्य के विरूद्ध अभी तक 3:54 करोड़ पौधे लगाये जा चुके है।
* एक पेड़ माँ के नाम अभियान के अंतर्गत 30 सितंबर 2024 तक बिहार राज्य द्वारा 2.80
* करोद पौधे लगाये जान थे, जिसके अंतर्गत समय से पूर्व लक्ष्य की प्राप्ति की जा चुकी है।
* 2024-25 में कृषि वानिकी योजना अंतर्गत अभी तक किसानों के द्वारा 41.5 लाख के लक्ष्य के विरूद्ध 29 लाख पौधों का रोपण किया जा चुका है। वहीं जीविका दीदियों के द्वारा 80 लाख पौधों के रोपण के रोपण के लक्ष्य के विरुद्ध 68.35 लाख पौधों का रोपण किया।
* पौधों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये राज्य में 246 पौधशालाएं स्थापित है. जिनकी उत्पादन क्षमता 08 करोड़ से अधिक है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री निजी पौधशाला योजना के अंतर्गत 192 किसान एवं 302 जीविका पौधशालायें स्थापित है, जहां से 01 करोड पौधे प्रति वर्ष उत्पादित होते हैं।
2. मृदा पूर्व जल संरक्षण
* चतुर्थ कृषि रोड मैप (2023-28) के अंतर्गत 01 लाख हे० वन भूमि पर भू एवं जल संरक्षण के कार्य किये जाने है। इसके अंतर्गत वन क्षेत्रों में अपेक्षाकृत ऊँचाई वाले क्षेत्री मेंTrenches. Gully plugging के माध्यम से विभिन्न जलधाराओं पर बाँध इत्यादि का निर्माण कर वन क्षेत्रों के जल को वन क्षेत्रों में ही रोककर रखने का कार्य किया जा रहा है। वर्ष 2023-24 में वन क्षेत्रा में 19525 00 में मृदा एवं नमी संरक्षण के कार्य किये गये है तथा वर्ष 2024-25 में अक्टूबर से मार्च के बीच 20.000 हे० में भू-जल संरक्षण कार्य कराने का लक्ष्य इसके अतिरिक्त मारलैंड ट्रेस योजना के अंतर्गत 1500 हे० मी० का लक्ष्य निर्धारित है। उसका विरुद्ध वर्ष 2023-24 में 126 हे० मी० की उपलब्धि रही है जबकि 2024-25 में 300 १० मी० को योजना का क्रियान्वयन अक्टूबर से मार्च के बीच में कराये जाने का लक्ष्य है। हर अंत तक सिंचाई का पानी योजना के अंतर्गत कुल 99 स्थानों पर इस विभाग द्वारा गाजता का कियाम्ययन किया जाना है। ये कार्य अक्टूबर से मार्च के बीच किये जायेंगे। योजनाओं से स्थानीय तौर पर जल की उपलब्धता लंबे समय तक निश्चित होगी तथा इससे वन, वन्यप्राणी एवं आम जन एक साथ लाभान्वित होंगे।
3. वन्य प्राणी प्रबंधन
वन्य प्राणी घोडा परास (नीलगाय) द्वारा फसल क्षति किये जाने पर सहायता राशि का प्रावधान पूर्व निर्मित विभागीय संकल्प संख्या वन्य प्राणी-02/2002-1125 (2), दिनांक-23.09.2020 में नहीं था। अद्यतन निर्गत विभागीय संकल्प संख्या-वन्य प्राणी 02/2002-369(2) दिनाक-19.07.2024 में वन्यप्राणी धाडपरास (नीलगाय द्वारा फसल क्षति किये जाने पर सहायता राशि का प्रावधान किया गया है।
बाजा में मेर-यभ इलाकों में मोठपरास एवं जगली सुअर द्वारा फसल एवं अन्य स्वरूप की श्रति की समस्या को दुष्टिपथ में रखते हुए दिनाक 09.07.2024 से अगले पाँच वर्षों तक इन वन्य जन्तुओं के आखेट के लिए आदेश देने की शक्ति अधीनस्य पदाधिकारी को प्रत्यायोजित करने बंतु विभागीय अधिसूचना संख्या-वन्यप्राणी-01/13-327)/पज.प. विनाक-09.07.2024 निर्गत किया गया है।
* पर्यावरण बनए जलवायु परिवर्तन विभाग बिहार की विभागीय अधिसूचना संख्या-कन्यप्राणी-01/2013-127 (ई) एजप दिनाक 10.02.2022 के द्वारा बिहार राज्य के गैर बल इलाकों में आतकी चाडपरास तथा जंगली सुअर के आखेट मापने से सम्बन्धित आदेश निर्गत है जिसके अन्तर्गत पचायत सीमा के अंदर गैर वन इलाकों में खत्तरताक पोहपरास तथा जगली सुअर के आखेट मारने के लिए वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 11 (1) (b) के अन्तर्गत मुखिया की शक्तियों दी गयी है।
* बिहार राज्य में आतंकी चाडपरासी एवं जगली सुअरों के प्रकोप से कृषि क्षेत्रों में खड़ी कसली तथा मनुष्यों के जानमाल के खतने सबंधी समस्याओं के समाधान हेतु दिनांक 27.08. 2024 को माननीय मंत्री कृषि विभाग माननीय मंत्री पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग तथा माननीय मंत्री, पंचायती राज विभाग, बिहार सरकार के स्तर पर संयुक्त बैठक आहुत की गयी जिसमें निर्णय लिया गया कि इस समस्या के समाधान हेतु तीनों विभागों के मध्य समन्यय करते हुए इसके निडान के प्रावधानों को गृकता से लागू किया जाय।
* उका उच्चस्तरीय बैठक में लिये गये निर्णय के आलोक में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर राज्य के चिन्हित छः जिलों यथा वैशाली पूर्वी बम्पारण, बेगूसराय बक्सर, सीवान एवं समस्तीपुर के विहित प्रखंडों एवं पंचायतों में दिनांक 09:00.2024 से घोडपरासों की बढ़ती सख्या को नियंत्रित करने हेतु नियमानुसार हेतु अभियान चलाया गया।
* दिनांक 09.09.24 से 22.09.24 तक पैनल शूटरों के साथ एक विशेष कलिग ऑप्रेशन आयोजित किया गया था. जिसमें कुल 243 घोड़परासी का शिकार किया गया। बन्य जीव अधिनियम के तहत अपने पंचायतों के घोडपरासों और जंगली सुअरों के शिकार का निर्णय लेने के लिए सौंपी गई शक्तियों से मुखियाओं को अवगत कराने के लिए डीपीआरओ द्वारा एक कार्यशाला सरह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
Bombay Natural History Society वी साथ एम०ओ०यू० के तहत भागलपुर में देश का चौथा Bird Ringing and Monitoring Station स्थापित किया गया है। इनके द्वारा स्थानीय एवं प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के उद्देश्य से ग्रामीणों विद्यार्थियों के बीच जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। साथ ही वन विभाग के कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
2021-22 में बिहार की पहली वार्षिक वाटरबर्ड जनगणना (AWC)" आयोजित की गई. इसके बाय 2022-23, 2023-24 में AWC 2024 की गई। वर्ष 2004 की पक्षी गणना में BRMS Mobile App तकनीक का प्रयोग किया गया। इस गणना में 84 आर्द्रभूमि क्षेत्रों के अन्तर्गत 220 प्रजातियों एवं 80240 पक्षी पाये गये हैं। एशिया एवं भारत का पहला राष्ट्रीय बॉल्फिन शोध केन्द्र, पटना का निर्माण पटना विश्वविद्यालय के परिसर में 2.60 एकड में 3052 करोड़ की लागत से पूर्ण किया गया है। डॉल्फिन के संरक्षण के लिए बिहार सरकार द्वारा मछुआरी और नागरिकों के लिए प्रोत्रग्रहन-सह-क्षतिपूर्ति योजना शुरू की गयी, जिसने रु० 2000/- तक का नकद मुआवजा / प्रोत्साहन राशि प्रदान किया जाता है।
* भारत में पक्षी संरक्षण पहल जंगली पक्षियों के अवैध शिकार अधिग्रहण और व्यापार पर विशेष फोकस विषय पर वर्ष 2024 में अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन पटना में किया गया, जिसमे 9 देशों के प्रतिनिधियों के अतिरिक्त 50 से अधिक प्रतिभागियों द्वारा नाग लिया गया। नागी पक्षी महोत्सव, 2024 का आयोजन जमुई में किया गया। इस महोत्सव में इको-पर्यटन एवं पशी संरक्षण पर बल दिया गया।
* काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान विशेषज्ञों की भागीदारी के साथ वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में "गैडा पुनस्र्थापन परियोजना चल रही है। वन्य प्राणियों से जानमाल / फसल क्षति हेतु सहाय्य राशि (भुआवजा का प्रावधान पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार का संकल्प संख्या-309(ई) दिनांक-19 07:2024 द्वारा निर्धारित जंगली जानवरों द्वारा जानमाल की इति किये जाने पर पीडितों को नियमानुसार सहायय राशि भुगतान की राशि को दोगुना
* अचया स्थायी अक्षमता पर रू० 10 लाख गम्भीर चोट पर क० 144 लाख ही भोट होने पर रु० 0.24 लाख फसल शति होने पर 50 हजार प्रति हेक्टेयर तथा पालतू पशुओं एवं मकान क्षति पर मुआवजा भुगतान का प्रावधान है। बिहार का प्रस्तावित तीसरा जैविक उद्यान-रानीगंज जैविक उद्यान अररिया की स्थापना का प्रस्ताव केन्द्रीय चिडियाघर प्राधिकरण, नई दिल्ली के Expert Group on Zoo Designing द्वारा दिनांक-15.07.2024 की बैठक में सशर्त अनुशासित। इसका प्रस्तावित क्षेत्रफलमा एकड तथा स्थापना हेतु प्राक्कलित राशि सकते है। नवानगर पुनर्वास केन्द्र बक्सर की स्थापना का प्रस्ताव केन्द्रीय विठियाघर प्राविकरण नई दिल्ली के Expert Group on Zoo Designing द्वारा दिनांक 15.07.2024 की बैठक में सह अनुशंसित। इसका प्रस्तावित क्षेत्रफल 37 एकड तथा स्थापना हेतु प्राक्कलित राशि १० 414, 00 लाखा है।
* कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी को टाईगर रिजर्व घोषित कराने के प्रस्ताव पर NICA तकनीकी समिति से सैद्धांतिक सहमति प्राप्त है। कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी के इको-सिटिव जोन के निर्धारण का प्रस्ताव भारत सरकार को समर्पित है। इसके स्वीकृति के उपरान्त टाईगर रिजर्व घोषित किये जाने का प्रस्ताव दिया जायेगा। घड़ियाल इक्यूबेशन कम इन्टरपीटेशन सेंटर बेतिया पं० धन्पारण की स्थापना WII के सहयोग से करने हेतु राज्य सरकार की सैद्धांतिक सहमति प्राप्त है। इसकी स्थापना से घड़ियाल के संरक्षण में नया अध्याय जुड़ेगा।
टर्टल रिसर्च एंड मोनिटरिंग स्टेशन अररिया में 5 लागत से स्थापित किये जाने का प्रस्ताव है। इसकी स्थापना से जलीय जीवों विशेषकर कंकुआ के सबंध में अध्ययन, शोध के प्रयास को बल मिलेगा। साथ ही उनके रक्षण एवं सुरक्षा की कार्य नीति तैयार की जायेगी।
* वाघ्र आरक्ष में बाधों की संख्या विगत वर्षों में गुना बढ़ी है। वर्ष 2023 सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार बाधों की संख्या 54 मारिसकी व्याघ्र आरक्ष के लिये केन्द्र प्रायोजित कीमा परियोजना एवं गज (00:40) एवं (50.50) अनतर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा कुज रु० 1049 74 लाख की वार्षिक कार्य मोजता स्वीकृत है।
4. इको दुरिज्म तथा पाकों का विस्तार/विकास तथा रख-रखाव
विभाग में एक अलग ईको टूरिज्म बनाया है ताकि इको टूरिज्म की योजनाओं को नयी दिशा दी जा सके।
* बिहार के पहले जू सफरी का निर्माण राजगीर (नालंदा) हेक्टेयर क्षेत्र में कुल 18 करोड़ की लागत से किया गया है। 4.79 करोड़ की लागत से Bird Aviary को निर्माण किया गया है साथ ही 2.72 करीब की लागत से सुविधाओं का विस्तार किया गया है। तक 20 लाख से अधिक पर्यटकों द्वारा सफारी काम किया गया है।
* राजगीर में वर्ष 2021 में स्थापित नेचर सफारी में प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख से अधिक पर्यटक आत है।
* विभाग के द्वारा जैव विविधता संरक्षण के दृष्टिकोण से अलग-अलग क्षेत्रों में जैव विविधता पार्क का निर्माण किया जा रहा है। गया जमुई. अररिया में जैय विविधता पार्क का निर्माण किया गया है। गोपालगंज के थावे बांका के मदार सुपौल के पीरपुर में जैव विविधता पार्क के निर्माण का कार्य चल रहा है।
* वर्ष 2024-25 में औरंगाबाद में जैव विविधता पार्क का निर्माण किया गया है। नवादा में ककोलत जल प्रपात में जन सुविधाओं का विकास एवं पार्क का निर्माण किया गया है। किशनगंज में अब्दुल कलाम आजाद जैव विविधता पार्क निर्मित है। कैमूर में माँ मुण्डेश्वरी वन्यप्राणी पार्क एवं तेलहार कुण्ड का उद्घाटन दिनांक 18.09.2024 को माननीय मुख्यमंत्री, बिहार के द्वारा किया गया है।
* नगर विकास विभाग के द्वारा 224 पार्कों का हस्तांतरण पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को किया गया है। इन्हें विकसित कर संचालन का कार्य किया जा रहा है।
* वित्तीय वर्ष 2023-24 में इको पर्यटन एव पार्क का विकास योजना अंतर्गत 87.26 करोड़ की राशि से विकास कार्य कराये गये हैं।
* वित्तीय वर्ष 2024-25 में पूर्णियों, गया, पटना, बेगूसराय, सारण, औरंगाबाद एवं मुंगेर जिले में पार्क का विकास तथा उन्नयन कार्य के लिए रूपये 2791.57 लाख स्वीकृत कर कार्य कराया जा रहा है। अकेले राजधानी पटना में 142 पार्क है जिनमें 109 पार्क विकसित किये गये हैं, जिनसे आम जन को Recreation के लिये सुन्दर स्थल उपलब्ध हो सका है। शेष 33 पार्कों के विकास का कार्य किया जा रहा है।
* आने वाले समय में रोहतास में तुतला भवानी, करमचट गुप्ताधाम, रोहतास गढ़ किला, शेरगढ़ किला, मांडारकुंड, भभुआ में करकटगढ़, करमचट डैम, दुर्गावती वाटरफॉल बन्ही खोह जमुई में नागी नकटी, गरही डैम, सिमलतुल्ला, नरोवा वाटरफॉल, गया में कढी-नवादा, सिलौजा, गहलोर घाटी, तपोवन, बांका में मंदार, जहानाबाद में बाणावर गुफा, भागलपुर में गांगेय डॉल्फिन आश्रयणी जगतपुर झील, कदवा दियारा, जेपी उद्यान, नालंदा में जेतियान, बेगूसराय के कावर झील, मुंगेर में डॉल्फिन पार्क, खड़गपुर झील को और अधिक विकसित किया जायेगा।
नगर वन योजना इस योजना का संचालन शत-प्रतिशत पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के माध्यम से की जा रही है। इस योजना का उद्देश्य नगर निगम नगर परिषद के 10 कि०मी० के परिधि में पार्क को विकसित करना, जिससे शहर में निवास करने वाले लोगों को लाभ मिल सकें। नगर बन योजना अंतर्गत अभी तक बिहार राज्य के कुल 5 वन प्रमण्डलों यथा गया (बडयोनी पहाड)/ भागलपुर (जयप्रकाश उद्यान)/बांका (वन विज्ञान केन्द्र, गोपालगंज (बावे में) एवं रोहतास बने प्रमण्डल (शहीद संजय रिष्ट पार्क में नगर वन एवं रोहतास वनः प्रमण्डल (एनीकट, देहरी) में एक नगर कटिका की स्वीकृति मारत सरकार के द्वारा की गई हैं। उक्त स्वीकृत कार्य योजना अंतर्गत के अनुरूप तभी संबधित वन प्रमण्डली द्वाराः कार्य संपन्न जारा लिया गया है। उक्त कार्य पर कुल रु० 100 लाख का व्यय किया जा चुका है।
5. संजय गाँधी जैविक उद्यान, पटना
* केन्द्रीय चिडियाघर प्रधिकरण द्वारा बड़े विडिगाधर के श्रेणी में इसे चौथा स्थान दिया गया है।
* चिड़ियाघर में ब्लैक पैंथर हुलीक गिब्बन जैसी विशिष्ट प्रजातियों लायी गयी है।
* मदर चाइल्ड केयर यूनिट, पोस्टमार्टम रूम् 24/7 चिकित्सा/अनुश्रवण कक्ष, अस्पताल में Advanced Diagnostic Equipment की आपूर्ति हुलीक गिब्बन एनक्लोजर का निर्माण आदि कार्य कराये गये है। Small Cat enclosure बनकर तैयार हो गया।
* जल उद्यान का उन्नयन एवं विस्तार का कार्य पूर्ण है। Nature Library एवं औषधीय वाटिका में Mediconal Facility निर्माणाधीन है।
* 10 वर्षों के उपरांत Toy Train के फिर से संचालित होने का रास्ता साफ हो गया है। सब 9.88 करोड़ की लागत से योजना की स्वीकृति दी जा चुकी है।
* एक दशक से अधिक समय से लंबित जू सोसाइटी के गठन का रास्ता साफ हो गया है। इसकी स्वीकृति बहुत जल्द होने की संभावना है।
* National Biologist conference का आयोजन कराया गया जिसने देश भर के सभी चिडियाघर के Biologist ने भाग लिया।
6. जैव विविधता प्रबंधन समिति
जैव विविधता प्रबंधन समिति के गठन हेतु सभी पंचायतों में विशेष ग्राम सभा का आयोजन किया जा रहा है। वृक्षों को मित्र बनाये योजना के तहत् विभिन्न स्कूलों के बच्बों को करें पक्षियों एवं वन्यप्राणियों की पहचान हेतु प्रतिक्षित एवं जागरूक बनाने के लिये आवश्यक मानय बल का चयन किया गया है। इनके सहयोग से विद्यार्थियों को पर्यावरण, वन एवं पशु पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाना है।
बिहार में विरासत वृक्षों के सर्वेक्षण एवं के लिए Binar Hentage Tree App की शुरुआत की गयी है। इस App के माध्यम से 50 वर्षों से अधिक पुराने, दुर्लभ प्रजाति के सौंदर्यपूर्ण तथा संस्कृतिक महत्य के वृक्षों, जिन्हें विरासत वृक्ष की श्रेणी में रखा गया है, को विनिहत किया जा रहा है। इसकी मदद से विरासत वृक्षों को संरक्षित किया जावेगा।
7. नियुक्ति
* वाहन चालक के पद पर नियुक्ति हेतु 57 सफल अभ्यर्थियों की अनुशंसा प्राप्त हुई है। माह अक्टूबर में नियुक्ति की कार्रवाई पूर्ण कर ली जायेगी।
8. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा प्रदूषण नियंत्रण पूर्व पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किये गये प्रयास।
* बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद एक वैधानिक नियामक संस्था है। इसकी स्थापना जल (प्रदूषण निवारणा एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा-4 के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा 07 नवम्बर 1974 में की गयी।
* राज्य में वायु प्रदूषण के अनुश्रवण हेतु अनवरत परिवशीय वायु गुणवत्ता प्रबोधन केन्द्र का विस्तार किया गया है। वर्तमान में राज्य के 23 जिलों में कुल 35 अनवरत परिवेशीय वायु गुणवत्ता प्रबोधन प्रबोधन केन्द्र स्थापित किये गये है
* पटना मुजफ्फरपुर एवं गया शहरों में वायु प्रदूषण के निवारण एवं नियंत्रण हेतु कार्य-योज….
* बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा गगा नदी के 34 स्थलो इसकी सहायक नदियां तालाबी के 70 एवं भू-गर्भीय जल के 70 स्थती विश्लेषण किया जाता है।
* गंगा एवं इसकी सहायक नदियों के जल में जीवाणुओं की संख्या को छोड़कर सभी पारामीटर यथा डी.ओ. बी ओठी. मानक के अधीन पाया गया है।
* राज्य सरकार की ओर से बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के सहयोग से Climate Resilient andytow Carbon Development Pathway विकरित करने हेतु एक अध्ययन किया जा रहा है।
* बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा एक विशेष वायु प्रयोगशाला भवन का निर्माण पाटलीपुत्रा, औद्योगिक क्षेत्र पटना में किया जा रहा है।
* पर्षद द्वारा सहमति/प्राधिकार आवेदनों का निष्पादन जनवरी, 2016 से ऑनलाईन प्रणाली के माध्यम से ही किया जा रहा है। इकाईयों द्वारा सूचनाओं का आदान…
10. कैम्या संभाग
* भारत सरकार पर्यावरण एवं जलवायु परिवलन मत्रालय, नई दिल्ली द्वारा (साग) अधिनियम 1980 को सचेत करते हुए किया गया है। अधिनियम, 2023 दिनाक 01.12.2003 से लागू
उन (संरक्षण एक सकांन) अधिनियम 2023 लागू तान के उपराना सार्वजनिक सड़क और रेलमार्ग के परवरित सुविधाओं और मर्यादती क भूमि के पैर पानिकी उपयोग की गति विभाग का प्रयायाजित किया गया है। पथ प्रदान करने के लिये प्रति नामला 0.1 FO सरकार (पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन।
उपकारात अधिनियम लागू होने के उपकरण वन एप जलवायु परिवर्तन विभाग बिहार के पत्राका वन मुझे-10/2004 240) (20) (दनाक 31052024 प्रक्रियाओं का निर्धारण किया गया है।
03 माह में पेट्रोल पम्प अनुमोदन दिया जा चुकी है। प्रक्रिया जं के मामलों में निष्पादन में लगने वाला समय बीमा उन(एन) नियम 21:23 में लानेवाली भूमि चिनिया कर उपलब्ध कराया जाना निवार्य…
11. आई० टी०
वन एवं एक सिगलटन एध्यम से विभाग की कि विनिन्नवा तक पहुँचने के लिए एक एकीकृत प्रदान करने के लिए किया है। नर्सरी एसएमसी कार्य आदि की के लिए एक इंटरकंस भी पहान करताहै। और नए माध्यम से विभिन्न विभागप्रभावीयउत्तका प्रबंधन किया।
राज्य के द्वारा लकड़ी एवं वन उपज के परिवहन के लिए राष्ट्रीय पारगमन पास प्रणाली (एनटीपीएस) को अपनाया गया है। देश में राज्य एनटीपीएस अपनाने वाला पांचवा राज्य बन गया है। इस प्रणाली का उपयोग निजी भूमि पर उगाई गई प्रजातियों से प्राप्त काष्ट के परिवहन हेतु Transit Permit ऑनलाइन प्राप्त करने हेतु किया जाता है।
12 अन्याय
अनुसूचित जनजाति कल्याण योजना
* संविधान की धारा 275 (1) अंतर्गत गया/मुंगेर/बांका/पूर्णियाँ/जमुई/बेतिया प्रमण्डल 1 एवं प्रमण्डल-2/ औरंगाबाद एवं नवादा वन प्रमण्डल हेतु रू० 608273 लाख की योजना स्वीकृत की गई है।
* SCA to TSS योजना का संचालन गया, मुगेर रोहतास, कैमूर जमुई बेतिया प्रमण्डल एवं प्रमण्डल 2 में किया जा रहा है। वन क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले आदिवासी के कल्याण के लिये 2024-25 में 10. 669.61 लाख की योजना की स्वीकृति है। इसके अंतर्गत अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिये तालाब का निर्माण, चापाकल, मछली पालन, सोलर लाईट लगाना, फलदार पौधे लगाना, सिलाई मशीन का वितरण, साल के पत्तों से प्लेट बनाना जैसे कार्य किये जा रहे है।
बिहार वानिकी विकास निगम लिमिटेड द्वारा वर्ष 2015 से राज्य के पाँच जिले गया नवादा औरंगाबाद, बांका तमा जमुई में केन्दु पत्ती के संग्रहण एवं व्यापार का कार्य किया जा रहा है एवं वर्ष 2018 से नवादा रोहतास एवं कैमूर जिले के आश्रयणी क्षेत्र से बाहर भी कन्तु पत्ती संग्रहण का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य से वर्ष 2023 24 में 154.322 मानव दिवस तथा वर्ष 2024-25 में संग्रहण के अनुसार 1.78.408 मानय दिवस के रोजगार सृजित हुए है।
13. बजट
* पर्यावरण एवं वन का संरक्षण सरकार की प्राथमिकता सूची में है।
राज्य योजना में रू०. 473.23 करोड़ का वार्षिक उदव्यय था। सरकार के द्वारा प्रथम अनुपूरक में इसे बढ़ाकर रू० 649.45 करोड किया गया है। विभाग के द्वारा अभी तक लगभग रु० 450 करोड की योजनाएँ स्वीकृत की जा चुकी है। विभाग के द्वारा अब तक 25 प्रतिशत राशि व्यय की जा चुकी है।