कातिल मां को फांसी की सजा... 10 साल की बेटी ने आशिक संग संबंध बनाते देखा तो मां ने कर दी हत्या; ऐसे हुआ खुलासा

Friday, Nov 28, 2025-11:43 AM (IST)

Bihar crime: दस वर्षीय बेटी की हत्या के दिल दहला देने वाले मामले में अररिया के एडीजे-4 रवि कुमार की अदालत ने दोषी मां पूनम देवी को फांसी की सजा सुनाई है। अदालत ने आदेश दिया कि दोषी को “गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए, जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए।” कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस कृत्य ने "मां" शब्द को कलंकित कर दिया है। 

क्या था पूरा मामला? 

पूनम देवी, अररिया के रामघाट कोशिकापुर वार्ड-5 की निवासी है और अपनी 10 वर्षीय बेटी शिवानी कुमारी के साथ रहती थी। उसका पति चंदन पंजाब में मजदूरी करता था। पति की गैर-मौजूदगी में पूनम का गांव के ही रूपेश कुमार सिंह से अवैध संबंध बन गया था। इसी बीच 21 जून 2023 को शिवानी ने अपनी मां को रूपेश के साथ आपत्तिजनक हालत में देख लिया तो उसने यह बात पिता को बताने की बात कही। इसी बीच पूनम को जानकारी मिली कि उसका पति चंदन घर लौट रहा है तो उसने बेटी को रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली। 

10 जुलाई 2023 की शाम पूनम हटिया से मछली और कीटनाशक दवा खरीदकर लाई। मछली बनाते समय उसने कुछ हिस्सा अलग रखा और बाकी में कीटनाशक मिला दिया। शिवानी मछली खाने के बाद बेहोश हो गई। इसके बाद पूनम ने सब्जी काटने वाले चाकू से गला और पेट पर वार कर उसकी हत्या कर दी। शव को घर में रखे मकई के ढेर में छिपा दिया। अगले दिन पूनम ने झूठे अपहरण का नाटक शुरू कर दिया। 

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शव मिलने से खुला राज 

वहीं 12 जुलाई 2023 को मकई के ढेर से शिवानी का शव मिला। पुलिस ने जांच शुरू की और आसपास के लोगों से पूछताछ में पूनम के अवैध संबंध का खुलासा हुआ। प्रेमी रूपेश ने पूछताछ में अफेयर की बात स्वीकार कर ली। पुलिस की सख्ती के बाद पूनम भी टूट गई और उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया।

एक ही आरोपी पर हुआ चार्जशीट

इस मामले में चौकीदार भगवान कुमार पासवान की ओर से एफआईआर दर्ज हुई थी। इसमें पूनम और उसका प्रेमी रूपेश दोनों आरोपी बनाए गए थे। लेकिन जांच में केवल पूनम देवी के खिलाफ ही पर्याप्त सबूत मिले। उसके खिलाफ ही कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया। स्पीडी ट्रायल के तहत सुनवाई पूरी करते हुए अदालत ने कहा- पूनम ने मातृत्व को कलंकित किया। बच्ची की हत्या “क्रूर और नृशंस” तरीके से की गई। समाज में भय और न्याय की भावना बनाए रखने के लिए फांसी की सजा उचित है। अदालत ने विभिन्न धाराओं के तहत 60 हजार रुपये के आर्थिक दंड का भी आदेश दिया।
 


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Ramanjot

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