जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के हाथों सम्मानित हुआ बिहार कृषि विभाग, मिला राष्ट्रीय नवाचार पुरस्कार
Friday, Aug 22, 2025-08:15 PM (IST)

पटना:आज जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बिहार सरकार के कृषि विभाग को सार्वजनिक प्रणालियों में नवाचार केंद्र (सी॰आई॰पी॰एस॰) नवाचार पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया। कृषि विभाग, बिहार के प्रधान सचिव पंकज कुमार के द्वारा इस पुरस्कार को ग्रहण किया गया।
यह पुरस्कार दो श्रेणियों में प्रदान किया गया -“ग्रामीण विकास” श्रेणी के अंतर्गत “खेत से भाग्य तक मखाना के माध्यम से ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाना” पहल तथा “आईटी” श्रेणी के अंतर्गत सरकारी योजनाओं में निहित अनुदान प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म विकसित करने हेतु। यह सम्मान श्रीनगर के पंडित भजन सोपोरी सभागार में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में प्रदान किया गया। इस अवसर पर जम्मू और कश्मीर के मुख्य सचिव अटल डुल्लू सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम में बिहार कृषि विभाग से निदेशक उद्यान अभिषेक कुमार तथा संयुक्त निदेशक (शस्य) फसल एवं प्रक्षेत्र डॉ. राजेश कुमार भी सम्मिलित हुए।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अपने विशेष संबोधन में बिहार कृषि विभाग की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि मखाना उत्पादन ने बिहार को वैश्विक पहचान दिलाई है और यह ग्रामीण समुदायों के सशक्तिकरण का उत्कृष्ट उदाहरण है। साथ ही उन्होंने डीबीटी प्लेटफॉर्म की सफलता का उल्लेख करते हुए इसे पारदर्शिता और तकनीकी नवाचार का आदर्श मॉडल बताया, जिससे करोड़ों किसानों को प्रत्यक्ष लाभ सुनिश्चित हुआ है।
उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कृषि विभाग, बिहार को सीआईपीएस नवाचार पुरस्कार 2024 प्राप्त होने पर सभी को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि बिहार के किसानों को सशक्त बनाने और कृषि क्षेत्र में नवाचार व पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में राज्य सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। मखाना के माध्यम से ग्रामीण समुदायों को सशक्त करना और सब्सिडी का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) प्लेटफॉर्म विकसित करना, बिहार को राष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान दिलाता है। यह सफलता कृषि विकास के नए आयाम स्थापित करेगी।
सीआईपीएस का उद्देश्य और भूमिका
हैदराबाद स्थित भारतीय प्रशासनिक कर्मचारी महाविद्यालय में स्थापित सार्वजनिक प्रणालियों में नवाचार केंद्र का मुख्य उद्देश्य शासन-प्रशासन में नवाचार को प्रोत्साहित करना, उन्हें बढ़ावा देना तथा राज्यों में संस्थागत एवं मानवीय क्षमताओं का विकास करना है। यह केंद्र एक सलाहकार परिषद द्वारा संचालित किया जाता है, जिसमें सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व होता है। संचालन समिति राज्यों को रचनात्मक विचारों को व्यवहारिक और स्थायी प्रथाओं में बदलने में मदद करती है।
ग्रामीण समुदायों के सशक्तिकरण का आधार बना मखाना
पोषक तत्वों से भरपूर मखाना को वैश्विक स्तर पर सुपरफूड के रूप में पहचान दिलाने के लिए बिहार कृषि विभाग ने व्यापक प्रयास किए हैं। इस पहल के अंतर्गत मखाना की खेती के वैज्ञानिक विस्तार, प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, बाजार तक पहुँच और निर्यात संवर्धन पर विशेष जोर दिया गया। “खेत से भाग्य तक” मखाना के माध्यम से ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने की पहल से किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है तथा ग्रामीण समुदायों को आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाया गया है। यह पहल न केवल किसानों के लिए आर्थिक लाभ का स्रोत बनी है, बल्कि ग्रामीण सशक्तिकरण, समावेशी विकास और सतत कृषि की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
डिजिटल नवाचार से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती
बिहार कृषि विभाग ने सरकारी सब्सिडी के प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के लिए एक एकीकृत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तैयार किया है। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से किसानों को आधार आधारित पंजीकरण और ऑनलाइन आवेदन की सुविधा दी गई है। अब तक 2 करोड़ से अधिक किसान (रैयत एवं गैर-रैयत) पंजीकृत हो चुके हैं।
इस प्रणाली के अंतर्गत 2.28 करोड़ से अधिक ऑनलाइन आवेदनों को संसाधित किया गया है और लगभग 4300 करोड़ रुपये से ज्यादा की सब्सिडी सीधे किसानों के बैंक खातों में हस्तांतरित किए गए हैं। यह प्रणाली पूरी तरह से पारदर्शी, स्वचालित एवं समय-समय पर ऑडिटेड है, जिसकी सफलता दर 97 प्रतिशत से अधिक है।
बिहार का बढ़ता कदम
यह पुरस्कार बिहार सरकार की उस दूरदृष्टि का प्रतीक है जिसके अंतर्गत राज्य को कृषि एवं आईटी आधारित नवाचारों का अग्रणी केंद्र बनाने की दिशा में सतत प्रयास किए जा रहे हैं। कृषि विभाग की यह उपलब्धि किसानों की आय दोगुनी करने, ग्रामीण विकास को गति देने और बिहार को कृषि नवाचार का मॉडल राज्य बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम है।