Arrah Lok Sabha Seat: आरा सीट पर क्या हैट्रिक लगा पाएंगे RK Singh, भाकपा माले ने सुदामा प्रसाद को मैदान में उतारा

4/7/2024 12:27:27 PM

Arrah Lok Sabha Seat: बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से एक आरा लोकसभा सीट है। आरा में भोजपुर जिले का मुख्यालय है। प्राचीन काल में आरा का नाम आराम नगर था। गंगा और सोन नदी के बीच होने की वजह से यहां की मिट्टी काफी उपजाऊ है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने बनवास काल का कुछ वक्त यहां भी बिताया था। इतना ही नहीं 1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख योद्धा बाबू वीर कुंवर सिंह की कार्यस्थली होने की वजह से भी यहां की पहचान है। यहां के दर्शनीय स्थलों में आरण्य देवी और मढ़िया का राम मंदिर प्रसिद्ध है। 

आजादी के बाद साल 1952 में हुए चुनाव में यह पटना शाहाबाद सीट के रूप में जाना जाता था और उस वक्त कांग्रेस के टिकट पर बाली राम भगत सांसद चुने गए। वहीं 1957 में इस सीट का नाम शाहाबाद हो गया और एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर बाली राम भगत चुनाव जीते। 1962 से इस सीट का नाम बदलकर आरा कर दिया गया। इसके बाद 1962, 1967 और 1971 तक यह सीट कांग्रेस के खाते में ही रही और तीनों बार बाली राम भगत ही चुनाव जीते यानि 1952 से 1971 तक लगातार 5 बार बाली राम भगत सांसद चुने गए। आपातकाल के बाद लोगों में कांग्रेस के प्रति गुस्सा चरम पर था। ऐसे में 1977 में हुए चुनाव में इस सीट पर भारतीय लोकदल के टिकट पर चंद्रदेव प्रसाद वर्मा सांसद चुने गए तो 1980 में एक बार फिर से जनता पार्टी सेकुलर के टिकट पर सांसद बने। वहीं इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस को सहानुभूति मिली और 1984 में इस सीट पर भी कांग्रेस ने एक बार फिर से वापसी की। इस बार भी बाली राम भगत सांसद चुने गए।



हालांकि 1989 में कांग्रेस इस सीट को बचा नहीं सकी और इंडियन पीपुल्स फ्रंट के टिकट पर रामेश्वर प्रसाद सांसद बनने में कामयाब हुए। 1991 में जनता दल के टिकट पर राम लखन सिंह यादव सांसद बने तो 1996 में जनता दल के टिकट पर ही चंद्रदेव प्रसाद वर्मा सांसद चुने गए। 1998 में यह सीट समता पार्टी के खाते में गई और एचपी सिंह सांसद बनने में कामयाब रहे। 1999 में राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर राम प्रसाद सिंह सांद चुने गए। 2004 में भी यह सीट राष्ट्रीय जनता दल के पास ही रही और कांति सिंह सांसद बने। 2009 में जेडीयू के टिकट पर मीना सिंह सांसद बनीं तो 2014 में मोदी लहर में पहली बार यह सीट बीजेपी के पास गई और आर के सिंह सांसद चुने गए। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भी आरा से आरके सिंह को ही जीत मिली तो 2024 के लोकसभा चुनाव में भी आरा सीट पर आर के सिंह पर ही बीजेपी ने भरोसा जताया है। 

आरा लोकसभा के तहत आती हैं विधानसभा की 6 सीटें



आपको बता दें कि आरा लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल 7 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें भोजपुर जिले की अगियांव, संदेश, शाहपुर, बड़हरा, तरारी, आरा और जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। 

एक नजर 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर 



2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी कैंडिडेट राज कुमार सिंह ने जीत हासिल की थी। राज कुमार सिंह ने 5 लाख 66 हजार 480 वोट हासिल किया था तो सीपीआई एमएल एल कैंडिडेट राजू यादव ने 4 लाख 19 हजार 195 वोट लाकर दूसरा स्थान हासिल किया था। वहीं 21 हजार 825 वोट लाक नोटा ने तीसरा स्थान हासिल किया था। 

एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर 



अब एक नजर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो साल 2014 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के राज कुमार सिंह ने 3 लाख 91 हजार 74 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था। वहीं RJD के श्री भगवान सिंह कुशवाहा 2 लाख 55 हजार 204 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि CPI(ML)L के राजू यादव को 98 हजार 805 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। 

लोकसभा चुनाव 2009 के नतीजे 



साल 2009 की बात करें तो जेडीयू की मीना सिंह ने 2 लाख 12 हजार 726 वोट हासिल कर जीत हासिल की थी। वहीं एलजेपी के रामाकिशोर सिंह 1 लाख 38 हजार 6 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि CPI(ML)L के अरुण सिंह को 1 लाख 15 हजार 966 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। 

लोकसभा चुनाव 2004 के नतीजे 



साल 2004 की बात करें तो आरजेडी के कांति सिंह ने 2 लाख 99 हजार 422 वोट हासिल कर जीत हासिल की थी। वहीं CPI(ML)L के राम नरेश राम 1 लाख 49 हजार 679 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि निर्दलीय ब्रह्मेश्वर नाथ सिंह को 1 लाख 48 हजार 973 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे। 

भोजपुर में यादव मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा 
आरा लोकसभा सीट पर एक जून को मतदान होगा। आरा सीट से बीजेपी कैंडिडेट आर के सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं महागठबंधन की तरफ से भाकपा (माले) ने आरा से सुदामा प्रसाद को चुनावी मैदान में उतारा है। आरा सीट पर यादव, राजपूत, मुस्लिम, ब्राह्मण, पिछड़ा और अति पिछड़ा जाति का बड़ा वोट बैंक है। उन्हें कोई भी पार्टी नजरअंदाज नहीं कर सकती। भोजपुर जिले में यादव मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। जिले में लगभग 3 लाख 50 हजार यादव हैं। यादव समाज को आरजेडी का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। आर के सिंह इस बार हैट्रिक लगा पाएंगे या नहीं इस पर सबकी नजर टिकी है। 

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Ramanjot