रामविलास के बाद क्‍या दलित वोट बैंक बनाए रख पाएंगे चिराग पासवान? JDU का बिगड़ सकता है खेल

10/9/2020 6:03:11 PM

पटनाः लंबे समय से बीमार चल रहे लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) संस्थापक रामविलास पासवान का बिहार विधानसभा चुनाव के प्रचार से पहले ही निधन हो गया है। उनके गुजरने के बाद बिहार चुनाव में अपने दम पर उतरी लोजपा (लोक जनशक्ति पार्टी) के लिए किले को मजबूत रखना किसी परीक्षा से कम नहीं। रामविलास पासवान के पुत्र और लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के सामने पिता के गुजरने के बाद खाली हुई जगह को भरने की चुनौती भी है।

ऐसी परिस्थितियों के अंदर लोजपा के चुनावी परिणामों पर क्या असर पड़ेगा, ये तो आने वाले वक्त ही बताएंगे। तो वहीं बिहार चुनाव से ठीक पहले पासवान की मौत की वजह से उपजने वाली सहानुभूति कई जिलों में सियासी समीकरण बिगाड़ सकती है। इतना ही नहीं चुनावी खेल तो सभी दलों का खराब होने की आशंका है, लेकिन ज्यादा असर जेडीयू पर पड़ सकता है। जानकार बताते हैं कि रामविलास पासवान के जाने के बाद पासवान जाति के लोग एकजुट होकर लोजपा के पक्ष में वोट कर सकते हैं। हालांकि चिराग पासवान के नेतृत्व में लोजपा एनडीए से बाहर का रास्ता तय कर चुकी है। 

इस बारे में पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा एमएलसी संजय पासवान ने कहा कि चिराग पासवान के लिए अपने पिता की विरासत को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी। रामविलास पासवान जैसे बड़े नेता का यूं चले जाना किसी भी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती होती है। राम विलास जी को जिस तरह का जनाधार और लोकप्रियता हासिल थी, वह उनके समर्थकों को चौंका देने वाली थी। चिराग के लिए अपने पिता की विरासत और पार्टी को प्रासंगिक बनाए एक बड़ी परीक्षा होगी। 

ज्ञात हो कि चिराग पासवान लगातार अपने पिता की बीमारी को लेकर बिहार की जनता को अवगत करा रहे थे और यह स्वीकार कर रहे थे कि खासकर चुनाव के दौरान पिताजी का अस्पताल में रहना काफी खल रहा है। रामविलास पासवान लोक जनता जनशक्ति पार्टी के संस्थापक भी थे और वर्तमान में केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री भी अपनी बीमारी को देखते हुए उन्होंने पार्टी की पूरी जिम्मेदारी चिराग पासवान को दे दी थी और राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बना दिया था लेकिन अब बड़ा सवाल है बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों पर वरिष्ठ दलित नेता के निधन का प्रभाव होगा। 


 

Tamanna Bhardwaj