5 लोगों के हत्यारे को नैनीताल हाईकोर्ट से मिली राहत, निचली अदालत ने सुनाई थी फांसी की सजा

Wednesday, Jul 10, 2024-02:00 PM (IST)

नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपने पिता, सौतेली मां और बहन और भांजी की चाकू से गोद कर निर्मम हत्या करने वाले अभियुक्त की फांसी की सजा को मेडिकल आधार पर गैर इरादतन हत्या में बदल दिया है। इससे साफ है कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अभियुक्त लगभग दस साल की सजा काटने के बाद और जेल से बाहर आने के लिए स्वतंत्र हो गया है। 

अक्टूबर, 2014 का है मामला 
इस मामले में न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में सुनवाई हुई और पीठ ने विगत चार जुलाई को इस मामले में निर्णय सुरक्षित रख लिया था और मंगलवार को अदालत ने अपना निर्णय सुनाया। वाकया लगभग दस साल पहले का है। गत 23 अक्टूबर, 2014 को दीपावली की रात को देहरादून के आदर्श नगर में हरप्रीत ने पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, गर्भवती बहन हरजीत कौर और भांजी सुखमणि की सोते हुए निर्मम हत्या कर दी थी। मृतकों के शरीर पर चाकू के 85 निशान पाए गए थे। तब आरोप लगाया गया कि हरप्रीत ने संपत्ति के विवाद में अपने परिजनों को मौत के घाट उतार दिया। आदर्श नगर पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी को जेल भेज दिया था तथा देहरादून के अपर जिला जज (पंचम) आशुतोष मिश्रा की अदालत ने पांच अक्टूबर, 2021 को इस घटना को जघन्य करार देते हुए हरप्रीत को फांसी की सजा सुनाने के साथ ही एक लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया था। 

कोर्ट ने फांसी की सजा को गैर इरादन हत्या में बदला 
साथ ही अदालत ने फांसी की सजा को पुष्टि के लिए उच्च न्यायालय भेज दिया था। मंगलवार को निर्णय जारी करते हुए मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली युगलपीठ ने साक्ष्यों के आधार पर हरप्रीत की फांसी की सजा को गैर इरादन हत्या में बदल दिया। अपीलकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनीषा भंडारी की ओर से कहा गया कि अभिुयक्त मानसिक रूप से बीमार है और निचली अदालत की ओर से इस तथ्य की अनदेखी की गई है। पीठ ने मेडिकल परीक्षण की रिपोर्ट के आधार पर गैर इरादन हत्या मानते हुए फांसी की सजा को भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 304 में बदल दिया। इस सजा के तहत अधिकतम दस साल की सजा का प्रावधान है। अभियुक्त अधिकतम 10 साल की सजा जेल में रहते हुए काट चुका है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Ramanjot

Related News

static