Niti Ayog Report: बिहार में घटी गरीबी, जानिए राज्य की गरीबी दर में कैसे आई रिकॉर्ड कमी

Tuesday, Jul 25, 2023-06:34 PM (IST)

पटनाः नीति आयोग द्वारा जारी बहुआयामी गरीबी सूचकांक के प्रतिवेदन के अनुसार बिहार राज्य ने गरीबी में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की है। वर्ष 2015-16 की तुलना में बिहार राज्य का गरीबी प्रतिशत 51.89 से घट कर वर्ष 2019-21 में 33.76 प्रतिशत हो गया है। इस प्रकार बिहार राज्य में 18.13 प्रतिशत गरीबी कम हुई है, जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक कमी है। यह उपलब्धि केन्द्र की उदार नीतियों की वजह से नहीं बल्कि राज्य के कल्याणकारी योजनाओं एवं बेहतर वित्तीय प्रबंधन के कारण हुई। 

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार से राज्यों को केन्द्रीय वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में केन्द्रीय करों में राज्य का हिस्सा पित आयोग द्वारा अनुशासित अनुदान अतिरिक्त केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम एवं केन्द्रीय क्षेत्र स्कीम में अनुदान प्राप्त होता है, जो निम्नवत है-

1. विभाज्य पूल में राज्यों का हिस्सा (State's Share in Divisible Pool)- केन्द्रीय वित्त आयोग केन्द्र सरकार द्वारा एकत्र किए गए निवल (Net) करों के एक हिस्से को विभिन्न राज्यों के बीच अंतरित किए जाने की अनुशंसा करता है। केन्द्रीय करों में राजा की हिस्सेदारी केन्द्रीय विश आयोग की अनुशंसा पर निर्धारित होती है न कि केन्द्र सरकार द्वारा केन्द्रीय वित्त आयोग एक संवैधानिक संस्था है और इसकी अनुशंसा पर मिलने वाला राजस्व राज्य का संवैधानिक अधिकार है। राज्यों के बी विभाज्य पूल में प्रत्येक राज्य का हिस्सा डीविज हिस्सेदारी (Horizontal Sharing) के रूप में जाना जाता है। बिहार राज्य का हिस्सा विगत कई केन्द्रीय वित्त आयोग की अनुशंसाओं में लगातार कम होता रहा है। 13 वित्त आयोग (वर्ष 2010-15) में यह 10, 917 प्रतिशत था जो 14वें वित्त आयोग (वर्ष 2015 -20) में घट कर 9665 प्रतिशत एवं 15वें वित्त आयोग वर्ष 2020-21 में 10,061 प्रतिशत तथा वर्ष 2021-26 में 10.058 प्रतिशत हो गया है। 13वें वित्त आयोग (वर्ष 2010-15 ) में बिहार राज्य के लिए क्षतिज हिस्सेदारी की तुलना में 14वें वित्त आयोग (वर्ष 2015-20) एवं 15वें वित्त आयोग (वर्ष 2020-21 वर्ष 2021-26) में सैतिज हिस्सेदारी (Horizontal Sharing) में जी प्रतिशत कमी की गई है, उसके अनुसार बिहार राज्य को 61195.80 करोड़ रुपए की क्षति हुई है. जिसे निम्न तालिका द्वारा देखा जा सकता है-

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2. केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम के Sharing Pattern में बदलाव-  केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम की राय एवं इसके वित्तपोषण में केन्द्र राज्य के अनुपात में निरंतर परिवर्तन हो रहा है। यह परिवर्तन बिहार राज्य के लिए प्रतिकूल रहा है। उल्लेखनीय है वर्ष 2015-16 के पूर्व केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम में केन्द्र राज्य के बीग के व्यास का अनुपात 1000 90:10 85 15 एवं 25 25 का था, जो वर्ष 2015-16 के बाद सामान्य तौर 60:40 तथा कई स्कीमों में 50:50 का हो गया है। वहीं दूसरी और जहां वर्ष 2015-16 के पूर्व केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम की संख्या 28 सीमित की गई थी। वह आज बढ़कर 100 से अधिक हो गई है। इस परिवर्तन से बिहार राज्य के अपने स्कीम के पित पोषण पर अतिरिक्त दबाब तथा पूजीगत कार्यों हेतु संसाधन में कमी हुई है। वर्ष 2015-16 में राज्य की वार्षिक स्कीम में केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम के केन्द्र या हिस्सा जहां 29 प्रतिशत था वह वर्ष 2022-23 में घटकर 21 प्रतिशत हो गया है, जिसके कारण राज्य को 31,000 करोड़ रुपए की अति हुई है। वर्ष 2015-16 से वर्ष-2022-23 के बीच राज्य की वार्षिक स्कीम में केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी निरंतर कम होती गई है, जिसे निम्नलिखित तालिका द्वारा देखा जा सकता है-

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केन्द्र द्वारा राज्यों को दिए जाने वाले अनुदान में एक बड़ा हिस्सा वित्त आयोग की अनुशंसा पर मिलने वाला अनुदान है। वित्त आयोग अनुदान के अन्तर्गत ग्रामीण तथा शहरी स्थानीय निकाय, राज्य आपदा राहत कोष तथा राज्य आपदा समन कोष एवं स्वास्थ्य अनुदान मद में राशि प्राप्त हो रही है। इसके अतिरिक्त वित्तीय वर्ष 2017-18 से वित्तीय वर्ष 2022-23 तक GST क्षतिपूर्ति अनुदान भी प्राप्त हुए हैं। इस प्रकार केन्द्र द्वारा राज्यों को केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम के अन्तर्गत प्राप्त होने वाली राशि में निरंतर कमी हुई है।

3. केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम में केंन्द्र द्वारा अपनी हिस्सेदारी में निरंतर कमी करना एवं स्कीम पर Capping करना- उदाहरण के तौर पर सर्व शिक्षा अभियान / समग्र शिक्षा अभियान के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2015-16 में केन्द्र की राशि 3799.29 करोड़ रुपए प्राप्त हुई थी, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 में घटकर 2623.99 करोड रुपए हो गई है। इस प्रकार 1175.39 करोड़ रुपए की क्षति राज्य को हुई है। इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2014-15 से वित्तीय वर्ष 2021-22 तक अन्य पिछड़ा वर्ग प्री-मैट्रिक छात्रवृति योजना में केन्द्र सरकार का 0.85 प्रतिशत अंशदान रहने के कारण 10222.15 करोड़ रुपये एवं पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति योजना में 20.05 प्रतिशत अंशदान रहने के कारण 1996.37 करोड़ रुपए राज्य सरकार को वहन करना पड़ा है जबकि दोनों योजनाएं केन्द्र प्रायोजित योजना है एवं इन योजनाओं में केन्द्रांश राज्यम50.50 एवं 100:0 प्रतिशत है। इसी प्रकार इन्दिरा गांधी वृद्धावस्था पेंशन योजना अंतर्गत राज्य में कुल पेंशनधारियों की संख्या 34,80,751 है, जिसमें भारत सरकार द्वारा मात्र 31.57.256. लाभुकों को ही पेंशन की राशि प्राप्त होती है। शेष 3,23,495 लाभुक पेंशनधारी को शत्-प्रतिशत पेंशन राशि लगभग 1358.28 करोड़ रूपये का वहन राज्य सरकार द्वारा अपने स्त्रोत अर्थात् राज्य योजना मद से किया गया है। राज्य के प्रति केन्द्र की उदासीनता के बावजूद भी राज्य की यह उपलब्धि अभूतपूर्व है और बिहार राज्य ने विकास के पैमाने पर अपनी विश्वसनीयता कायम की है।


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Content Writer

Ramanjot

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