5 साल की उम्र में हो गया था पोलियो...कमजोरी को ताकत बना जीता गोल्ड, पढ़िए प्रमोद भगत की संघर्ष भरी क

9/4/2021 6:48:39 PM

हाजीपुरः टोक्यो पैरालिंपिक में गोलड मेडल जीतने वाले प्रमोद भगत ने बिहार ही नहीं पूरे देश का नाम रौशन किया है। उनकी इस सफलता पर पूरा गांव जश्न मना रहा है, लेकिन कहते है न कि हर इंसान की सफलता के पीछे एक संघर्ष भरी कहानी छिपी होती है। जीवन में संघर्ष करने वाला व्यक्ति ही अपना लक्ष्य हासिल कर सकता है। तो आइए आज जानते हैं प्रमोद भगत की कहानी...

कमजोरी को बनाया ताकत
बिहार के हाजीपुर के रहने वाले प्रमोद भगत को पांच साल की उम्र में ही पैर में पोलियो हो गया था, जिसके इलाज के लिए उनकी बुआ उन्हें अपने साथ ओडिश लेकर चली गईं। इलाज भी चला लेकिन पोलियो ने पीछा नहीं छोड़ा। वहीं उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया। प्रमोद के किसान पिता रामा भगत बताते हैं कि बचपन से ही उनकी खेल में रुचि थी। लेकिन इसी बीच उन्हें पोलियो हो गया तो सब दुखी हो हुए। उनकी बहन किशुनी देवी को कोई संतान नहीं था इसलिए उन्होंने प्रमोद को गोद ले लिया और अपने साथ ओडिश लेकर चली गईं। भुवनेश्वर में ही प्रमोद ने शिक्षा ग्रहण की। वर्तमान में वह स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं। प्रमोद कुमार के इरादे पोलियो की वजह से कभी कमजोर नहीं हुए। उन्होंने इसे ही अपनी ताकत बना लिया और बैडमिंटन खेला शुरू किया। उनकी लगन, हिम्मत और जुनून का ही परिणाम है कि दिव्यांग होने के बावजूद उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर पूरी दुनिया में भारत का मान बढ़ाया।  

4 गोल्ड समेत 45 इंटरनेशनल पदक जीते 
वर्ष 2006 में प्रमोद का चयन ओडिशा टीम में हुआ। 2018 पैरा एशियाई खेलों में उन्होंने एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इसके बाद 2019 में वे राष्ट्रीय टीम के लिए चयनित हुए। 2019 में ही उन्हें अर्जुन अवार्ड और ओडिशा सरकार की ओर से बीजू पटनायक अवार्ड मिला। वे वर्ल्ड चैम्पियनशिप में चार गोल्ड समेत 45 इंटरनेशनल पदक जीत चुके हैं। उन्होंने दुबई पैरा बैडमिंटन टूर्नामेंट में दो गोल्ड मेडल जीते थे। पिछले आठ साल में BWF वर्ल्ड चैम्पियनशिप में दो गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीता। वहीं टोक्यो पैरालंपिक में शनिवार को प्रमोद भगत ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने SL3 कैटेगरी के फाइनल में ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को 21-14, 21-17 से हरा दिया।

 

 

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Ramanjot