पासवान- झोपड़ी में पैदा होने वाला वह नेता, जिसने 50 साल तक किया लोगों के दिलों पर राज

10/9/2020 2:10:41 PM

 

जालंधर(विकास कुमार): भारत की राजनीति में अपना अमिट छाप छोड़ने वाले रामविलास पासवान अब हमारे बीच नहीं हैं। अपने पीछे वे ऐसी राजनीतिक और सामाजिक विरासत छोड़ गए हैं, जिसे आगे आने वाली कई पीढ़ीयां याद रखेंगी।

बिहार के कोसी के पिछड़े और बाढ़ प्रभावित इलाके में आने वाले खगड़िया जिले के शहरबन्नी गांव में उनका जन्म हुआ था। एक गरीब और दलित परिवार की झोपड़ी में 5 जुलाई 1946 को जन्मे रामविलास पासवान ने पूरे देश में सफलता का डंका बजा दिया। बाद के दिनों में उन्होंने ये नारा भी दिया था कि वे उस घर में दिया जलाने निकले हैं जहां सदियों से अंधेरा कायम रहा है। लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता इतनी ज्यादा रही कि आज भी ये नारा लगाया जाता है। गूंजे धरती आसमान- रामविलास पासवान।

राजनीति में कदम रखने से पहले रामविलास पासवान ने कोसी कॉलेज और पटना यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। उनकी प्रतिभा का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वे 1969 में ही बिहार में डीएसपी पोस्ट के लिए सेलेक्ट हुए थे, लेकिन सामाजिक बदलाव और गरीबों को इंसाफ दिलाने के लिए उन्होंने राजनीति में कदम रखा। अपनी आधी सदी लंबी राजनीतिक यात्रा के दौरान रामविलास पासवान ने ना केवल सर्वाधिक वोटों से जीतने का रिकार्ड बनाया, बल्कि उनके नाम पर छह प्रधानमंत्रियों के साथ बतौर कैबिनेट मिनिस्टर काम करने का भी रिकार्ड दर्ज है। वहीं राम विलास पासवान आज अपने पीछे एक भरा पूरा परिवार छोड़ कर दुनिया को अलविदा कहा है। उन्होंने 2 शादियां की थीं। 1960 के दशक में राजकुमारी देवी से रामविलास पासवान ने शादी की थी, लेकिन रामविलास पासवान ने उन्हें 1981 में तलाक दे दिया था। पहली पत्नी से रामविलास पासवान को उषा और आशा नाम की दो बेटियां हैं।

वहीं 1983 में उन्होंदने रीना शर्मा से विवाह किया था। इस परिवार में चिराग पासवान और एक बेटी है। चिराग पासवान को उन्होंने अपनी छत्रछाया में राजनीति का ककहरा पढ़ाया है। चिराग पासवान पर अब रामविलास जी की राजनीतिक विरासत को आगे ले जाने की बड़ी जिम्मेदारी है। आज भले ही रामविलास पासवान इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन अपने पीछे जो वे राजनीतिक और सामाजिक संदेश की महान विरासत छोड़ गए हैं। वह करोड़ों लोगों के दिलों में हमेशा उनकी यादों को ताजा रखेगा। ये कहना गलत नहीं होगा कि एक राज्य से निकलकर वे देश की राजनीतिक क्षितीज पर छा गए।
 

Nitika