JMM का सबसे मजबूत गढ़ है राजमहल, क्या इस बार भी वर्चस्व कायम रख पाएगी झामुमो

3/29/2024 10:38:21 AM

साहिबगंज: राजमहल लोकसभा सीट को झारखंड मुक्ति मोर्चा का अभेद्य गढ़ माना जाता है। यहां 2019 के भगवा लहर में भी झामुमो सीट निकालने में सफल रही थी। इस बार बीजेपी ने यहां से ताला मरांडी को चुनावी मैदान में उतारा है। ताला मरांडी यहां झामुमो का गढ़ भेद पाएंगे या नहीं ये तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे।भारत के झारखंड राज्य में कुल 14 लोकसभा सीटें हैं। राजमहल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र इन लोकसभा क्षेत्रों में से एक है। यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। इस लोकसभा सीट के अंतर्गत पाकुड़ और साहिबगंज जिले की कुल 6 विधानसभा सीटें आती हैं। आइए आपको बताते हैं कि किस जिले की कौन सी विधानसभा सीटें राजमहल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं। राजमहल लोकसभा क्षेत्र साल 1957 में पहली बार अस्तित्व में आया। इस सीट पर साल 1957 से 1971 तक लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा। 

आपातकाल के बाद 1977 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी का विजय रथ रुक गया और 1977 में इस सीट से जनता पार्टी के एंटन मुर्मू ने जीत दर्ज की। इसके बाद लगातार राजमहल लोकसभा चुनाव का समीकरण बदलता रहा, लेकिन 1980 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और लगातार दो बार यानी 1980 और 1984 के चुनाव में सेठ हेम्ब्रम ने जीत हासिल की जबकि 1989 और 1991 में हुए चुनाव में इस सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के साइमन मरांडी ने जीत दर्ज की। 1996 में यहां से एक बार फिर कांग्रेस के थॉमस हांसदा ने जीत हासिल की। 1998 में पहली बार इस सीट पर कमल खिला और सोम मरांडी चुनाव जीते। हालांकि केंद्र में भाजपा की गठबंधन सरकार नहीं टिकी और साल भर बाद हुए मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस के थॉमस हांसदा एक बार फिर यहां से सांसद बने। साल 2004 में झामुमो के हेमलाल मुर्मू ने जीत हासिल की तो 2009 के चुनावों में बीजेपी के देवीधन बेसरा ने झामुमो के हेमलाल मुर्मू को हराकर सीट पर कब्जा जमाया। वहीं साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट पर झामुमो के विजय कुमार ने बीजेपी के हेमलाल मुर्मू को हराकर जीत का परचम लहराया। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में जेएमएम कैंडिडेट विजय कुमार हांसदा ने जीत हासिल की। 2024 के लोकसभा चुनाव में राजमहल सीट से ताला मरांडी को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है।

एक नजर 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर

वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में जेएमएम कैंडिडेट विजय कुमार हांसदा ने जीत हासिल की थी। हांसदा को पांच लाख सात हजार 830 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी कैंडिडेट हेमलाल मुर्मू ने 4 लाख 8 हजार 635 वोट लाकर  दूसरा स्थान  हासिल किया था। वहीं सीपीआईएम कैंडिडेट गोपिन सोरेन ने 35 हजार 586 वोट लाकर तीसरा स्थान हासिल किया।

एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर

अब एक नजर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर डालें तो साल 2014 में इस सीट पर झामुमो के विजय कुमार को 3 लाख 79 हजार 507 वोट मिले थे जबकि बीजेपी के हेमलाल मुर्मू 3 लाख 38 हजार 170 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं जेवीएम के अनिल मुर्मू 97 हजार 374 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे थे।

एक नजर 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर

साल 2009 में हुए लोकसभा उपचुनाव पर नजर डालें तो बीजेपी के देवीधन बेसरा ने 1 लाख 68 हजार 357 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था तो वहीं जेवीएम के हेमलाल मुर्मू 1 लाख 59 हजार 374 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि राजद के थॉमस हांसदा  को 1 लाख 35 हजार 11 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।

एक नजर 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर

साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो जेवीएम  के हेमलाल मुर्मू ने 2 लाख 67 हजार 395 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था तो वहीं कांग्रेस के थॉमस हांसदा 2 लाख 23 हजार 437 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे जबकि बीजेपी के सोम मरांडी  को 1 लाख 92 हजार 454 वोट मिले थे और वे तीसरे स्थान पर रहे थे।

राजमहल लोकसभा सीट संथाल परगना में आता है। राजमहल सीट को झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ माना जाता है। 2019 के मोदी लहर में भी झामुमो का ये गढ़ नहीं टूट पाया। इसलिए बीजेपी ने इस बार रणनीति में बदलाव करते हुए नया कैंडिडेट उतारा है, लेकिन बीजेपी की ये रणनीति कितनी कामयाब होगी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

 

Content Editor

Khushi